‘बिहार के गांधी’ मौलाना मजहरुल हक़ के साथ नहीं हुआ इंसाफ़
बिहार लोक संवाद डॉट नेट
हर साल 22 दिसंबर आता है और मौलाना मज़हरुल हक़ को श्रद्धांजलि देने की रस्म अदायगी की जाती है। उनके नक़्शेक़दम पर चलने और उनकी तरह त्याग और बलिदान करने की बातें होती हैं।
मौलाना मज़हरुल हक़ की पैदाइश 22 दिसंबर, 1866 को पटना जिले के ब्रहमपुर गांव में हुई थी। उन्होंने आखि़री सांसें सीवान जिले के मौजा फरीदपुर स्थित आशियाना में ली। आशियाना वह ठिकाना है, जिसे उन्होंने बड़े अरमान से बनवाया था। यहीं पर उनका मजार भी है।
मौलाना मजहरुल हक कामयाब वकील और क्रांतिकारी नेता थे। हिन्दू-मुस्लिम एकता के पैरोकार थे। बिहार कांग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष रह चुके थ। उन्होंने पटना में सदाकत आश्रम और बिहार विद्यापीठ की बुनियाद डाली। उन्हीं के नाम पर पटना में 10 अप्रील, 1998 को मौलाना मजहरुल हक अरबी और फारसी यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। मौलाना की जयंती पर यूनिवर्सिटी का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर बिहार लोक संवाद डॉट नेट के कंसल्टिंग एडिटर समी अहमद ने मौलाना की शख़्सीयत और खिदमात पर इतिहास के प्रोफेसर डॉ. इम्तियाज अहमद से बात की।
मौलाना के पोता अब्दुल फारूकी कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि मौलाना मजहरुल हक अरबी और फारसी यूनिवर्सिटी की एक शाखा सीवान में भी खुले। जनता दरबार में पेश होकर इसकी लिखित मांग उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की थी। नीतीश ने इस संबंध में अपने अधिकारियों को निर्देश भी दिया था। लेकिन सरकार की तरफ से इस दिशा में आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
2013 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सेन्टर के लिए बिहार सरकार ने किशनगंज में 224 एकड़ जमीन फ्री ऑफ कॉस्ट उपलब्ध कराई है। उम्मीद है, मौलाना मजहरुल हक के नाम पर सीवान में भी अरबी और फारसी यूनिवर्सिटी की शाखा के लिए नीतीश कुमार जल्द ही पेशकदमी करेंगे।
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