छपी-अनछपी: जो बाइडन राष्ट्रपति चुनाव से हटे, बांग्लादेश में बवाल के बाद रिज़र्वेशन घटा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यह कहते हुए राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है कि यह उनकी पार्टी और देश के हित में है। बांग्लादेश में भारी बवाल के बाद वहां के सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन का कोटा काफी कम कर दिया है। कांग्रेस ने दावा किया है कि आरएसएस के कार्यक्रम में सरकारी कर्मियों के शामिल होने पर लगा बैन हटा लिया गया है।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: बाइडन हटे… राष्ट्रपति की रेस में पहली बार भारतवंशी कमला हैरिस। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक अभूतपूर्व फैसला लेते हुए रविवार देर रात राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का ऐलान कर दिया। डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बाइडन ने मतदान से 106 दिन पहले मैदान से हटने की घोषणा की। इसके साथ ही बाइडन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित करते हुए उन्हें समर्थन दिया। डेमोक्रेटिक पार्टी से सबसे प्रबल दावेदार कमला अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाली पहली भारतवंशी हो सकती हैं।  जो बाइडन इस समय कोरोना के कारण आइसोलेशन में हैं। बाइडन मैदान से तो हटे हैं लेकिन जनवरी 2025 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे। इस हफ्ते वह देश को संबोधित भी करेंगे। 27 जून को डिबेट में बाइडन की हार के बाद अमेरिकी सियासत में उठा पटक शुरू हो गई थी।

बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 56 फ़ीसद रिज़र्वेशन को 7 फ़ीसद किया

हिन्दुस्तान के अनुसार बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को अहम फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को घटा दिया। कोर्ट ने फैसले में कहा, 93 फीसदी सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं। वहीं पांच फीसदी 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिजनों और अन्य श्रेणियों के लिए दो फीसदी सीटें आरक्षित रखी जाएं। पहले मुक्ति योद्धाओं के परिजनों के लिए 30% आरक्षण था। फैसले के बाद भी ढाका सहित विभिन्न शहरों में सैनिकों की गश्त जारी रही। दूसरी ओर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि अब तक 4500 से अधिक भारतीय स्वदेश लौट चुके हैं, जिनमें से अधिकतर छात्र हैं। बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास की मदद से नेपाल के 500, भूटान के 38, मालदीव के एक छात्र को भी भारत पहुंचाया गया है।

सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस के कार्यक्रम में भाग लेने पर लगा बैन हटा

प्रभात खबर के अनुसार कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने पिछले सप्ताह जारी एक कथित सरकारी आदेश का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि सरकार ने आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर 1966 में लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है। उन्होंने कहा कि 9 जुलाई 2024 को केंद्र सरकार ने 58 साल से लगा प्रतिबंध हटा दिया है। जयराम रमेश ने लिखा है कि 4 जून के बाद प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है जिसके बाद यह प्रतिबंध हटाया गया है। उन्होंने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भी यह प्रतिबंध लागू था। कांग्रेस नेताओं द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए सरकारी आदेश की सच्चाई का तुरंत पता नहीं लगाया जा सका।

बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग फिर उठी

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इससे एक दिन पहले रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग गूंजी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में जदयू और राजद ने मजबूती से यह मुद्दा उठाया। जदयू की ओर से पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने तो राजद की ओर से राज्यसभा सांसद एडी सिंह ने बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग की। इसके अलावा बिहार में हर साल बाढ़ से होने वाले नुकसान का मुद्दा भी जदयू ने जोरदार ढंग से रखा। बैठक में वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग की।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार विधान मंडल का पांच दिवसीय मॉनसून सत्र आज से
  • संसद का बजट सत्र आज से, नीट मुद्दे पर हो सकता है हंगामा
  • सावन आज से, इस महीने पांच सोमवारी
  • उत्तराखंड में लैंड स्लाइड से केदारनाथ मार्ग पर तीन की मौत
  • बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा में 24 फर्जी परीक्षार्थी पकड़े
  • निपाह वायरस से केरल में एक 14 वर्षीय बच्चे की मौत
  • नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने विश्वास मत हासिल किया, 263 में 188 सदस्यों का समर्थन
  • पंचायत में 15 लाख तक का काम टेंडर से करने के फैसले पर पुनर्विचार होगा

अनछपी: भारत की तरह ही बांग्लादेश में रिजर्वेशन एक राजनीतिक मुद्दा है लेकिन दोनों में बड़ा अंतर है। भारत में आरक्षण का मुद्दा जहां जातीय भेदभाव के कारण हुई असमानता को खत्म करना है वहीं बांग्लादेश में यह मुद्दा ऐसा नहीं है। बांग्लादेश में जो 56% आरक्षण दिया जा रहा था उसमें सबसे बड़ा कोटा 30% का था जो बांग्लादेश के स्वतंत्रता आंदोलन में लगे लोगों के बच्चों के लिए था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह 30% का वर्ग दरअसल शेख हसीना का वोट बैंक था और छात्रों के विरोध के बावजूद वह इस कोटे को खत्म या कम नहीं करना चाहती थीं। इस समय बांग्लादेश की हालत बहुत खराब है और वहां लगातार कर्फ्यू जारी है और देखते ही गोली मारने का आदेश भी चल रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ वैसे तो बांग्लादेश में कई प्रदर्शन और आंदोलन हुए लेकिन अभी का प्रदर्शन और आंदोलन सबसे मजबूत माना जा रहा है। हमने इस कॉलम में पहले भी लिखा है कि आंदोलन और प्रदर्शन का कारण केवल रिजर्वेशन नहीं बल्कि उनके खिलाफ लंबे समय से चला आ रहा असंतोष भी है। शेख हसीना पर यह आरोप है कि उन्होंने विपक्ष को पूरी तरह दबाकर एक ऐसे चुनाव में जीत हासिल की जिसमें दरअसल विपक्ष की कोई भागीदारी थी ही नहीं। इसके अलावा अपने विरोधियों को अदालत के जरिए फांसी दिलवाने और जेल में डालने का भी उनका बहुत बड़ा रिकॉर्ड रहा है। यही कारण है कि कोटा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी छात्रों का आंदोलन खत्म नहीं हुआ और अब वह प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा की मांग पर अड़े हुए हैं। यह देखना रोचक होगा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आंदोलनकारी छात्र किस हद तक एकजुट बने रहते हैं और आंदोलन को आगे बढ़ाने में कैसे हिस्सा लेते हैं। अगर छात्रों का यह आंदोलन लंबा चला तो प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने कार्यकाल की सबसे गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा। वह इस्तीफा देती हैं या नहीं यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन कमजोर जरूर हो गई हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना को एक बड़ा वर्ग तानाशाह मानता है और इस तानाशाही का अंत चाहता है।

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