छ्पी-अनछपी: तिरुपति लडडू का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, बीपीएससी में इस बार 1964 पोस्ट

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। तिरुपति लडडू में चर्बी मिलाये जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बीपीएससी की 70वीं सिविल सेवा परीक्षा में 1964 पोस्ट होंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लालू प्रसाद के खिलाफ लैंड फॉर जॉब मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। ओडिशा में सेना के अधिकारी की मंगेतर के साथ बर्बरता की खबर है। बिहार में 36 लाख लोगों ने जमीन सर्वे के कागजात जमा किए हैं।

आज के अखबारों से यह अहम खबरें हैं।

भास्कर के अनुसार आंध्र प्रदेश के तिरुपति तिरुमला मंदिर के प्रसादम लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में पशु चर्बी की मिलावट का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सीजआई डीवाई चंद्रचूड़ को भेजी याचिका में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की गुहार लगाई गई है। उधर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र प्रदेश सरकार से इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी कार्रवाई की बात कही है। इस बीच आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर वैमनस्यता फैलाने वाली राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नायडू ने अपने 100 दिन के राज में लोगों से किए वादे पूरे नहीं किये। जगन ने कहा कि लोगों का ध्यान भटकने के लिए नायडू मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट का मुद्दा उठाकर करोड़ों लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मिलावट का आरोप दोहराते हुए कहा कि जब बाजार में ₹500 किलो घी मिल रहा था तब जगन सरकार ने 320 रुपए किलो घी खरीदा था, ऐसे में घी में सप्लायर की ओर से मिलावट होनी ही थी।

बीपीएससी में इस बार 1964 पोस्ट

हिन्दुस्तान के अनुसार बीपीएससी 70वीं संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा 1964 पदों के लिए होगी। आयोग को अबतक 1929 पदों की अधियाचना प्राप्त हो चुकी है। एक विभाग से 35 पद आना शेष है। अभी तक 17 विभागों से अधियाचना भेज दी गई है।

बीपीएससी 70वीं सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन पुराने आरक्षण रोस्टर पर ही होगा। नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू होगा। इसमें महिलाओं के लिए 604, स्वतंत्रता सेनानी के पोता/पोती/नाती/नतीनी के लिए 34 और दिव्यांगों के लिए 66 पद आरक्षित हैं।

लालू पर मुकदमा चलाने की अनुमति

नौकरी के बदले जमीन मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजद सुप्रीमो और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने यह जानकारी दी। सीबीआई के आरोप पत्र पर संज्ञान लेने की कार्यवाही के दौरान जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि भ्रष्टाचार मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिल गई है। यह ‘हिन्दुस्तान’ की सबसे बड़ी सुर्खी है।

ओडिशा में सेना के अधिकारी की मंगेतर के साथ बर्बरता

भास्कर के अनुसार ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के थाने में रिटायर्ड ब्रिगेडियर की बेटी और कप्तान की मंगेतर से मारपीट और यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। यहां हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है। पीड़िता और कैप्टन छेड़छाड़ की शिकायत करने भरतपुर थाने पहुंचे थे। इसी दौरान दोनों से बदसलूकी हुई। कैप्टन को लॉकअप में बंद करने का पीड़िता ने विरोध किया तो उससे मारपीट की गई और हाथ पैर बांध दिए गए। उसके कपड़े फाड़ दिए गए। बाद में पीड़िता को ही पुलिस से अभद्रता के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। गुरुवार को हाईकोर्ट ने जमानत के बाद पीड़िता को एम्स में भर्ती कराया गया। तब उन्होंने अपने साथ हुई बर्बरता की जानकारी दी।

36 लाख लोगों ने जमा किए सर्वे के कागजात

प्रभात खबर के अनुसार बिहार में चल रहे जमीन सर्वे के लिए करीब 36 लाख लोगों ने फार्म 2 भरकर स्वघोषणा दी है। इसमें करीब 25 लाख स्वघोषणा को सर्वे शिविरों में जाकर यानी ऑफलाइन और करीब 11 लाख ऑनलाइन दी गई है। यह जानकारी शुक्रवार को राज्य के सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सामने आई।

सोशल मीडिया पर फैक्ट चेक यूनिट असंवैधानिक: बॉम्बे हाई कोर्ट

भास्कर के अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईटी (संशोधन) कानून के तहत सोशल मीडिया पर फैक्ट चेक यूनिट के नियम को असंवैधानिक करार दिया है। जस्टिस ए एस चांदूरकर ने शुक्रवार को अपने फैसले में संशोधन कानून को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह संशोधन समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध है। संशोधित नियम को बिना किसी परिभाषा के जारी किया गया। यह बेहद अस्पष्ट और चलताऊ रवैया है। इन नियमों का बेहद प्रतिकूल असर लोगों के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी पड़ेगा। हाई कोर्ट में स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड, ब्रॉडकास्ट एवं डिजिटल संगठन सहित अन्य ने याचिका देकर फैक्ट चेक यूनिट के गठन वाले आईटी संशोधन कानून को चुनौती दी थी।

कुछ और सुर्खियां

  • सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब चैनल हैक, शाम में बहाल
  • यादुका हत्याकांड में पूर्व मंत्री बीमा भारती के घर 4 घंटे तक कुर्की जब्ती
  • पहली बार 84000 अंकों के पार बंद हुआ सेंसेक्स
  • ग्रेजुएशन में अब थर्ड डिवीजन नहीं, हर सेमेस्टर में पास होने के लिए लाना होगा 45% अंक
  • कैंसर से जूझ रहे प्रसिद्ध पत्रकार रवि प्रकाश का मुंबई में निधन
  • नीट पेपर लीक मामले में ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल समेत 6 पर चार्ट शीट
  • दरभंगा एम्स का अगले महीने शिलान्यास करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • एनआईटी पटना में दूसरे वर्ष की छात्रा ने की आत्महत्या, आंध्र प्रदेश की रहने वाली थी पल्लवी

अनछपी: ओडिशा में आर्मी अफसर की मंगेतर के साथ जो कुछ हुआ वह बेहद भयावह और राष्ट्रीय शर्म की बात है लेकिन ताज्जुब है कि हिन्दी के अखबारों ने इसे उतनी तवज्जो नहीं दी है। इत्तेफाक की बात है कि यह महिला एक पूर्व ब्रिगेडियर की बेटी हैं और तब उनके साथ ऐसा हुआ है। वह छेड़खानी की शिकायत दर्ज करने अपने मंगेतर के साथ थाना पहुंची थीं लेकिन उनके साथ वहां जो व्यवहार हुआ वह छेड़खानी से भी ज्यादा भयावह था। आर्मी अधिकारी को लॉकअप में बंद कर महिला के साथ बदसलूकी की गई और उनके साथ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया जिसे यहां दोहराना संभव नहीं है। हम इस घटना की चर्चा इसलिए कर रहे हैं ताकि मीडिया के दोहरे चरित्र को उजागर कर किया जा सके। उस महिला ने अपनी बात तब सामने ले जब उसे हाई कोर्ट से जमानत मिली लेकिन मीडिया ने इस घटना को उस तरह की तवज्जो नहीं दी जैसा कि कोलकाता के आईजी कर मेडिकल में महिला के रेप व मर्डर के बाद दी गई थी। हम इस बहस में नहीं पड़ते कि कौन सी घटना ज्यादा भयावह थी क्योंकि दोनों घटनाएं हमारे समाज को कलंकित करने वाली हैं। इतना जरूर है कि ओडिशा में पुलिस से मदद मांगने गई महिला का पुलिस ने ही उत्पीड़न किया। अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में किसी पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है जो बेहद दुखदायी और शर्मनाक है। एक बात और यह है कि मीडिया जब तक राजनीतिक दल को देखकर ऐसी घटनाओं की अपनी कवरेज को बढ़ाएगा या घटाएगा तब तक ऐसे मामलों से समाज को जागरूक करना मुश्किल होगा। इसलिए ओडिशा की घटना जहां पुलिस के लिए शर्मसार करने वाली है वहीं मीडिया के रोल पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। ध्यान रहे कि ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इसलिए यह आरोप लगाया जा सकता है कि भाजपा के कारण इस घटना को उतनी कवरेज नहीं मिली जितनी की मिलनी चाहिए या जैसा ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल के मामले में मिली थी। यह बात संतोष देने वाली है कि पूर्व सेना प्रमुख व भारतीय जनता पार्टी के नेता जनरल वीके सिंह ने माना कि ओडिशा के थाने में जो हुआ वह शर्मनाक और भयानक है और उन्होंने सख्त कार्रवाई की मांग की। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने कहा है कि सरकार दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई संकोच नहीं करेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि ओडिशा के मुख्यमंत्री की बात सच साबित हो और दोषी पुलिस वालों को ऐसी सजा मिले कि आइंदा इस तरह की घटना न दोहराई जाए।

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