जांच टीम के सवालों का जवाब नहीं दे सके फुलवारी के एएसपी मनीष कुमार

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना।
भाकपा-माले, एआइपीएफ और इंसाफ मंच की एक संयुक्त राज्यस्तरीय टीम ने मंगलवार को फुलवारीशरीफ का दौरा किया और अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि एएसपी मनीष कुमार उसके कई सवालों का जवाब नहीं दे सके।
इस टीम ने बताया कि आरोपितों के परिजनों व स्थानीय लोगों से बातचीत और पीएफआई के कार्यालय के लिए दी गई जगह अहमद पैलेस के दौरा के बाद जांच टीम को उपर्युक्त चार लोगों के आतंकवादी या देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने के कोई ठोस सबूत नहीं मिले। टीम ने एएसपी मनीष कुमार से भी इस बाबत सबूत मांगे, लेकिन वे भी कोई ठोस सबूत नहीं दिखला सके।
यह पूछे जाने पर कि यदि जलालुद्दीन खां द्वारा किराए पर दी जाने वाली जगह पर आतंकी व देशविरोधी गतिविधियां चलाने की जानकारी पुलिस को पहले से थी, तो उसने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की? एएसपी के पास इसका कोई जबाव नहीं था। वे इसका भी जवाब नहीं दे सके कि 12 जुलाई की गिरफ्तारी के बाद उस जगह को सील क्यों नहीं किया गया?
जलालुद्दीन खां ने अहमद पैलेस को कोई दो महीने पहले अतहर परवेज को किराए पर दिया था, जिसका एग्रीमेंट भी है। यह अभी निर्माणाधीन है। लगभग 600 वर्ग फीट के किसी कमरे में, जिसके अंदर दो पीलर हों, भला चाकू या तलवारबाजी कैसे हो सकती है? कमरे का सड़क की ओर का पूरा हिस्सा पारदर्शी है, फिर भला ऐसी कार्रवाई होते रहे और लोगों को पता न चले, यह कैसे संभव है? एएसपी इसके बारे में भी कुछ नहीं बतला सके। वे सिर्फ इतना कहते रहे कि मार्शल आर्ट की आड़ में गैरकानूनी काम होते थे।
एएसपी ने स्वीकार किया कि ये गिरफ्तारियां शक के आधार पर की गई हैं। फिर जब इस आधार पर पूरे फुलवारीशरीफ व मुस्लिम समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, तब उसे रोकने के लिए प्रशासन ने कौन से कदम उठाए, इसपर फिर वे कोई जवाब न दे सके।
अतहर परवेज के भाई शाहिद परवेज ने बताया कि उनके घर से एसडीपीआई के कुछ झंडे पुलिस ने पकड़ा और कुछ प्रोपर्टी डीलिंग के कागजात। अतहर परवेज के छोटे भाई मंजर परवेज को बहुत पहले सिमी मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिर उनकी बाइज्जत रिहाई भी की गई। गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले से इस परिवार का कोई संबंध नहीं है, जिसे खूब प्रचारित किया जा रहा है। इस तथ्य को एएसपी ने भी स्वीकार किया.
अरमान मलिक की मां, पत्नी व बहन ने जांच दल को बताया कि पुलिस 14 जुलाई को 2 बजे रात में आई और उन्हें उठाकर ले गई। पुलिस ने कहा कि दिल्ली से खबर मिली है अरमान मलिक देशविरोधी गतिविधियां चलाते हैं। अरमान मलिक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और एनआरसी के खिलाफ चले आंदोलन के एक मुख्य संगठनकर्ता रहे हैं। जांच दल को यह आशंका है कि ऐसे आंदोलनों में शामिल रहने वाले लोगों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
गिरफ्तार मरगूब 75 प्रतिशत मानसिक तौर पर बीमार है, उसे मोबाइल का एडिक्शन है। वह कभी विदेश नहीं गया, जिसे खूब उछाला जा रहा है। उसे गजवा-ए-हिंद के कुछ व्हाट्सएप ग्रुप चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यदि उसे ऐसे मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है, तो देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिन-रात कसमें खाने वाले और संविधान की हत्या करने वालों के बारे में प्रशासन चुप क्यों है?
जांच दल की मांग
1. प्रशासन गिरफ्तार सभी गिरफ्तार 5 आरोपितों के बारे में जनता के सामने सबूत पेश करे, ताकि भ्रम की स्थिति खत्म हो। किसी भी निर्दोष को गिरफ्तार न किया जाए।
2. पूरे मुस्लिम समुदाय व फुलवारीशरीफ को टारगेट करने वाले विचारों व व्यक्तियों की शिनाख्त कर कार्रवाई की जाए। गैरजिम्मेवराना हरकत से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ाने वालों पर कठोर कार्रवाई हो।

3. यह पूरी कार्रवाई प्रधानमंत्री के बिहार दौरे से भी जोड़कर देखी जा रही है। जांच दल इसे भाजपा की एक सुनियोजित चाल मानती है। अतः नीतीश कुमार अपनी चुपी तोड़ें और मामले की अपने स्तर से जांच कराएं।

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