बिहार के हुसैनुल हक, अनामिका और कमलकांत को साहित्य अकादमी अवार्ड
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
साहित्य अकादमी ने वर्ष 2020 के लिए जिन बीस भारतीय भाषाओं की रचनओं को अवार्ड के लिए चुना है उनमें बिहार के गया निवासी हुसैनुल हक, मुजफ्फरपुर में जन्मीं अनामिका और मधुबनी निवासी कमलकांत झा की रचनाएं शामिल हैं।
हुसैनुल हक को उनके उपन्यास ’अमावस में ख्वाब’, अनामिका को उनके कविता संग्रह ’टोकरी में दिगन्तः थेरी गाथाः 2014’ और कमलकांत को उनकी रचना ’गाछ रुसल अछि’ के लिए यह अवार्ड देने की घोषणा की गयी है।
मगध विश्वविद्यालय के प्राॅक्टर रहे और विश्वविद्यालय के पूर्व उर्दू विभागाध्यक्ष हुसैनुल हक को इससे पहले इंटरनेशनल गालिब अवार्ड, बंगाल उर्दू अकादमी अवार्ड, बिहार उर्दू अकादमी अवार्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। 72 साल के हुसैनुल हक के सात कहानी संग्रह और कई अन्य किताबें प्रकाशित हुई हैं।
जिस उपन्यास के लिए उन्हें अवार्ड मिला है वह उन्होंने 2005 में लिखना शुरू किया था मगर इसे पूरा होने में बारह साल लगे। इस उपन्यास में 1947 से लेकर इक्कीसवीं सदी तक की एक आदमी के जीवन पर केन्द्रित कहानी है। वह अमावस में भी ख्वाब देखता है, यही इस उपन्यास का शीर्षक भी है।
डाॅ. अनामिका हिन्दी कविता के लिए यह सम्मान पाने वाली पहली महिला हैं। इससे पहले बिहार से कविता के लिए रामधारी सिंह दिनकर और अरुण कमल को यह अवार्ड मिला था। अनामिका फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय की सत्यवती काॅलेज में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं। उन्हें इससे पहले भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
जयनगर काॅलेज, मधुबनी के मैथिली विभागाध्यक्ष रहे डा. कमलकांत के कहानी संग्रह ’गास रुसल अछि’ में 27 कहानियां हैं।
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