छपी-अनछपीः एम्स में जगह नहीं तो मजबूरी में पीएमसीएच और वहां भी डाॅक्टर गायब
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। रविवार के दो हिन्दी अखबारों में नगर निकाय चुनाव से संबंधित खबर लीड है। दो अलग-अगल अखबारों में एम्स और पीएमसीएच के बारे में ऐसी खबरें हैं जिनसे सेहत के महकमे की गंभीर बीमारी का पता चलता है।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर हैः नगर निकाय चुनावों पर अहम फैसला कल। यानी नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत आदि के चुनाव जो टाल दिये गये थे, उनके चुनाव की तारीख और जानकारी कल मिल सकती है। इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी डीएम की बैठक बुलायी है। भास्कर की लीड हैः पटना में महिला ही हांेगी मेयर, डिप्टी मेयर नये आरक्षण पर चुने जाएंगे।
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर हैः सबसे पहले पेपर लीक करने वाला कपिलदेव डे गिरफ्तार। यह खबर बीपीएससी की परीक्षा के बारे में है।
जागरण की पहली खबर हैः मुख्यमंत्री का निर्देश, किसानों की हर संभव सहायता को रहें तैयार।
बिहार में सुखाड़ की चिंता है तो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अचानक आयी बाढ़ में 25 लोगों की मौत की खबर छपी है।
प्रभात खबर में एक अहम खबर हैः सात अक्टूबर से सात जिलों के लिए सेना रैली भर्ती।
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राजद कोटे से मंत्री बनने वालों के लिए छह सूत्री आचार संहिता जारी की है। यह खबर सभी जगह प्रमुखता से छपी है। इसमें नयी गाड़ी नहीं खरीदने, उम्रदराज से किसी भी हाल में पांव नहीं छुआने और भेंट में गुलदस्ता की जगह किताब-कलम के इस्तेमाल की बात कही गयी है।
बिहार विधान परिषद के नये सभापति देवेश चंद्र ठाकुर होंगे, यह खबर भी सभी जगह है।
एक और राजनैतिक खबर में सुशील मोदी ने राजद कोटे के मंत्री रामानंद यादव से कहा है कि अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी तो मानहानि का केस करेंगे। मंत्री ने उन पर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है।
हिन्दुस्तान की एक खास खबर हैः पटना एम्स में गंभीर मरीजों को भी नहीं मिल रहे बेड। यहां आने वाले मरीजों को आईजीआईएमएस ले जाने की सलाह दी जाती है लेकिन वहां भी बेड नहीं मिलता। ऐसे में गरीब मरीज पीएमसीएच-एनएमसीएच ले जाये जाते हैं। वहां भी बेड नहीं मिलने पर जमीन अथवा स्ट्रेचर पर लिटाकर उनका इलाज किया जाता है। वहां एम्स या आईजीआईएमएस जैसी सुपर स्पेश्यल्टी की सुुविधा नहीं मिल पाती है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां इमर्जेंसी और जनरल वार्ड मिलाकर 976 बेड हैं जबकि मरीज इससे तीन गुना आते हैं। इसी तरह ओपीडी के मरीजों के लिए क्षमता 2000 की है, मरीज इससे दुगना आते हैं।
प्रभात खबर में पीएमसीएच के बारे में खबर छपी हैः औचक निरीक्षण में ड्यूटी से गायब मिले 11 डाॅक्टर।
अनछपीः बिहार और पूरे देश में आम आदमी का इलाज बस किस्मत से तय होता है, उसकी जरूरत के हिसाब से नहीं। बिहार में दो बड़े सरकारी अस्पताल हैं जहां गंभीर मरीजों के इलाज को लेकर गरीब मरीजों को भी थोड़ा भरोसा रहता है। हमारे नेता इस बात का तो खूब प्रचार करते हैं कि उन्होंने एम्स खुलवा दिये या फलां अस्पताल में यह सुविधा दे दी लेकिन हकीकत यही है कि गरीब आदमी के लिए मायूसी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता और किस्मत के भरोसे ही कभी कभी इमर्जेंसी में जगह मिल जाती है। इस पर तुर्रा यह कि नेता बढ़ी हुई आबादी को इसकी वजह बताते हैं। क्या कभी किसी नेता या बड़े अफसर को इन अस्पतालों में जगह पाने में दिक्कत होती है? वैसे भी, उनके पास प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने के लिए काफी पैसे होते हैं। इस स्थिति के दो मोटे कारण आसानी से देखे जा सकते हैं। पहला कारण तो यह है कि बिहार में इतने मेडिकल काॅलेज खुले हैं, वे खुद बीमार रहते हैं। आये दिन खबर आती रहती है कि वहां दवा-सूई नहीं और डाॅक्टर भी ड्यूटी पर नहीं मिलते। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस ओर ध्यान देकर इस व्यवस्था के बारे में जांच कराएं कि जितना खर्च उन सरकारी मेडिकल काॅलेज-अस्पतालों में हो रहा है, क्या वहां इलाज भी उस तरह का मिल रहा। दूसरी बात कि ये जो सुपर स्पेश्यल्टी सेंटर खुले हैं, वे सारे के सारे अधूरे हैं। पटना एम्स में तो कई महत्पवूर्ण विभाग नहीं हैं। इसके अलावा स्टाफ और साजो सामान भी पूरे नहीं है।
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