छपी-अनछपी: शाह के पूर्णिया दौरे से पहले पीएफआई पर ‘चढ़ाई’, ‘आरएसएस के इमाम’ की भागवत से मुलाक़ात

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना।
केंद्र की मोदी सरकार अपने 8 साल के दौर में सबसे बुरे समय से गुजर रही है। रुपया डॉलर के मुकाबले काफी गिर चुका है। विपक्ष एकजुट हो रहा है। सरकार की लोकप्रियता भी कम हो रही है। ऐसे समय में एनआईए की ओर से पीएफआई के दफ्तरों पर पड़े एनआईए और ईडी ने चढ़ाई की है। चढ़ाई की बात भास्कर अखबार ने लिखी है।
इत्तेफाक है कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पूर्णिया के दौरे पर हैं तो उस से ठीक एक दिन पहले पीएफआई के पूर्णिया दफ्तर पर भी छापेमारी हुई है। इसी तरह आरएसएस के करीब माने जाने वाले एक मस्जिद के इमाम की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की खबर भी सजी है।
हिंदुस्तान की पहली खबर है: सख्ती: पीएफ़आई पर पुरजोर प्रहार। इसमें बताया गया है कि बिहार समेत 15 राज्यों में एनआईए और चींटी ने एक साथ पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की है।
प्रभात खबर की सुर्खी है: 15 राज्यों में 93 ठिकानों पर छापा, टेरर फंडिंग और ट्रेनिंग कैंप पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई। जागरण ने लिखा है: पीएफआई पर एनआईए का सबसे बड़ा अभियान, पूर्णिया सहित देश के 93 जगहों पर छापेमारी। भास्कर की सुर्खी है: बिहार समेत 10 राज्यों में पीएफआई पर चढ़ाई। राज्यों की संख्या में अंतर है। इस कार्रवाई का इस अखबार ने दो कारण बताये हैं। एक टेरर फंडिंग यानी आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे जमा करना और दूसरा मार्शल आर्ट के नाम पर ट्रेनिंग कैंप लगाना। यह आरोप कितने सही हैं, यह तो अदालत में तय होगा।
पूर्णिया के बारे में हिंदुस्तान की खबर है: पीएफआई कार्यालय पर 8 घंटे एनआईए का छापा। इसमें जानकारी दी गई है कि एनआईए की टीम महत्वपूर्ण कागज लेकर गयी है।
इस विषय पर आज कई अखबारों ने संपादकीय भी लिखा है। हिंदुस्तान ने ‘निशाने पर कट्टरता’ शीर्षक से अपने संपादकीय में लिखा है मजहबी कट्टरता और आतंकवाद पर प्रहार का सिलसिला जारी रहना चाहिए। इसमें यह बताया गया है कि जांच एजेंसियों की नजर पीएफआई को मिल रहे धन, नेटवर्क और प्रशिक्षण पर है।
भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: आश्रम पर सियासत शुरू। आश्रम जाने की बात शिवानंद तिवारी ने कही थी। उन्होंने नीतीश कुमार से यह उम्मीद जाहिर की थी कि वे मुख्यमंत्री का पद तेजस्वी यादव को देखकर वे आश्रम में रहना शुरू करेंगे। इस पर जदयू के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने शिवानंद तिवारी पर निशाना साधते हुए उन्हें आश्रम में रहने की सलाह दी थी।
हिंदुस्तान की एक सुर्खी है: इमाम ने भेंट के दौरान भागवत को ‘राष्ट्रपिता’ बताया। श्री मोहन भागवत आरएसएस के सरसंघचालक हैं और वे कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित एक मस्जिद का दौरा करने पहुंचे थे। उनसे मिले ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी ने उन्हें राष्ट्रपिता और राष्ट्रऋषि बताया। हालांकि श्री भागवत ने श्री इलियासी को टोते हुए कहा कि राष्ट्रपिता देश में एक ही हैं, बाकी सभी लोग भारत की संतानें हैं। श्री भागवत के बारे में यह खबर भी है कि वह आजादपुर के मदरसा तज्वीदुल कुरान भी गए। वहां बच्चों ने वंदे मातरम और जय हिंद के नारे भी लगाए।
विपक्षी एकता के लिए अपने प्रयास में नीतीश कुमार लालू प्रसाद के साथ सोनिया गांधी से 25 सितंबर को दिल्ली में मुलाकात करेंगे। यह खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की सबसे बड़ी खबर है: राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से अलग हुए, एक व्यक्ति, एक पद पर ज़ोर।
डॉलर के मुकाबले में रुपए की कीमत गिरकर 80.80 होने की खबर सभी अखबारों में है।
बिहार में जमीन के सर्वे का काम जारी है और इस सिलसिले में हिंदुस्तान की खबर है कि बिहार में नवंबर 2024 तक जमीन के सर्वेक्षण का काम पूरा हो जाएगा।
जागरण ने खबर दी है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सभी खाली पद भरे जाएंगे। यह बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है।
सरकारी नौकरी के लिए चरित्र प्रमाण पत्र बनाना आजकल बहुत मुश्किल काम हो गया है। इस सिलसिले में हिंदुस्तान की खबर राहत देने वाली है कि मोबाइल और ईमेल पर चरित्र प्रमाण पत्र भेजे जाएंगे।
अनछपी: पीएफआई पर अखबारों का रुख वही है जो सरकार का है। एनआईए और ईडी की कार्रवाई में किसी ठोस सबूत के मिलने की कोई जानकारी तो नहीं है अलबत्ता अखबार यह संकेत दे रहे हैं कि यह कार्रवाई किसी संभावित गतिविधि को रोकने के लिए की जा रही है। इस बात की भी चर्चा है कि पीएफआई पर बैन लगाने की तैयारी हो रही है। पीएफआई और एसडीपीआई मुसलमानों के अधिकार की आवाज़ उठाती रही है। उसके नेता भारतीय संविधान और क़ानून में आस्था की बात करते रहे हैं। ऐसे में सरकार की इस तरह की कार्रवाई सामान्य नहीं लगती। बहुत से लोग इसे दमनकारी मानते हैं और क़ानून के विरुद्ध भी। अगले कुछ दिनों में पीएफआई के बारे में कोई महत्वपूर्ण फैसला लिया जा सकता है लेकिन ध्यान में रखना होगा कि क्या वह क़ानून सम्मत है।

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