छपी-अनछपीः 60 बोगियां जलीं, 15 जिलों में इंटरनेट ठप और पूरे बिहार में युवा-छात्रों का बंद आज
छपी-अनछपीः 60 बोगियां जलीं, 15 जिलों में इंटरनेट ठप और पूरे बिहार में युवा-छात्रों का बंद आज
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। सेना में भर्ती की नयी योजना ’अग्निपथ’ के विरोध में शुक्रवार को भी बिहार समेत कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए। बिहार में 14 ट्रेनों की 60 बोगियां जला दी गयीं। उप मुख्यमंत्री रेणु देवी और बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल के बेतिया स्थित आवास पर तोड़फोड़ की गयी। हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार के 24 जिलों में उपद्रव हुआ है। दूसरी तरफ नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने ’अग्निपथ’ योजना को एक बड़ा मौका करार दिया है और इसे समझने की जरूरत बतायी है।
इस काॅलम के साथ आज की तस्वीर कल वायरल हुई थी। संदेश बहुत साफ है।
इधर, युवाओं और छात्रों ने आज बिहार बंद का आह्वान किया है जबकि सरकार ने 15 जिलों में 19 जून तक इंटरनेट ठप करने की घोषणा की है। इसके अलावा राज्य में उपद्रवियों से सख्ती से निपटने का आदेश जारी किया गया है।
टाइम्स आॅफ इंडिया ने खबर दी है कि ट्रेन जलाये जाने से झुलसे एक व्यक्ति की लखाीसराय में मौत हो गयी। उसकी पहचान नहीं हो पायी है। इसकी खबर के मुताबिक इस आन्दोलन में शुक्रवार को दूसरी जान चली गयी जब तेलंगाना के सिकंदराबाद में पुलिस की फायरिंग में एक 18 सवाल का युवा मारा गया और 13 दूसरे भी जख्मी हो गये। इससे पहले एक युवा ने आत्महत्या कर ली थी।
प्रभात खबर की हेडलाइन हैः हिंसा से लथपथ ’अग्निपथ’। हिन्दुस्तान ने सुर्खी लगायी है- अग्निपथ की आग में झुलसा बिहार। भास्कर ने पूछा है- ये कैसे ’वीर’ जो अपनी ही संपत्ति फूंक रहे। जागरण ने इस आंदोलन में विपक्ष की साजिश का पहलू ढूंढ निकाला है।
भास्कर ने यह प्रमुखता से छापी है कि बिहार में बंदोबस्ती शुल्क 50 प्रतिशत बढ़ा, यानी और महंगा होगा बालू।
टाइम्स आॅफ इंडिया की एक प्रमुख खबर है कि जम्मू कश्मीर में इस साल के अंत तक विधान सभा चुनाव हो सकताा है।
अनछपीः हिन्दुस्तान में आज संपादकीय है- सतर्कता का लाभ। इसमें जुमे को लेकर बहुत चिंता व्यक्त की गयी है और ऐसा एहसास दिलाया गया है कि जुमा न हुआ दंगा-फसाद का दिन हो गया। हेडलाइन ’सतर्कता का लाभ’ है लेकिन अंदर असल में सरकार के सही-गलत कदमों की तारीफ के पुल बांधे गये हैं। रांची में पुलिस फायरिंग और राज्यपाल के कहने पर पोस्टरबाजी का कोई जिक्र नहीं है। लिखा गया है- बहुत शांतिपूूर्ण नमाज संपन्न हुई। अब इनसे कौन पूछे कि नमाज कब शांतिपूूर्ण नहीं हुई थी। इसी वाक्य में यह भी लिखा गया है- और उन मस्जिदों में भी अमन-चैन की चिंता की गयी है जहां से हिंसा की आशंका जताई जा रही थी। अखबार ने घुमा फिराकर यह साबित करने की कोशिश की है कि मस्जिदों से भी हिंसा की आशंका थी। इस संपादकीय में जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार की तैयारी को अनुकरणीय बताया गया है, वह बहुत ही भत्र्सनीय है। यह किसे पता नहीं कि जुमे की नमाज के एक दिन पहले उन इलाकों में बुलडोजर से गश्ती करवायी गयी। एक संदेश दिया गया कि अगर प्रदर्शन करने निकले तो सीधे बुलडोजर चलेगा। कुछ धर्मगुररुओं को जनरबंद करने भी खबर है। अखबार ने इस दमनकारी नीति की तारीफ की है जोे चिंतनीय है।
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