छपी-अनछपीः रांची में दो प्रदर्शनकारियों की फायरिंग में मौत, मेडिकल एस्ट्राॅलोजी की पढ़ाई
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। आज के पटना के अखबारों में रांची में हिंसा की खबर पहले पेज पर सबसे प्रमुखता से छपी है। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी का विरोध करने को जमा रांची के मेन रोड इलाके की इकरा मस्जिद के पास प्रदर्शनकारियों का जब पुलिस ने रास्ता रोका तो झड़प शुरू हुई और हिंसा फैल गयी। सभी हिन्दी अखबारों ंने उपद्रव को प्रमुखता दी है और दो लोगों की मौत की खबर दबा दी गयी है। इन अखबारों में एक मंदिर से पत्थर और गोली चलने की खबर भी नहीं है जबकि ऐसे वीडियो वायरल हैं। रांची में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
कौमी तंजीम के पटना एडिशन में यह पहले पेज की लीड नहीं है बल्कि इसे दूसरे नंबर पर पूरे देश की खबर के साथ मिलाकर छापा गया है। अलबत्ता इसके उत्तर प्रदेश एडिशन में इमारत ए शरिया का बयान पहले पेज पर है जिसमें पुलिस कार्रवाई की निंदा की गयी है।
भास्कर ने बेहद उत्तेजनापूर्ण हेडिंग लगाकर पाठकों को गुमराह किया है- रांची में 25000 की भीड़ ने घेरा था…भगवान ने मुझे बचाया। यह बयान बिहार के मंत्री और भाजपा नेता नितिन नवीन का है जो उस समय वहां एक पारिवारिक समारोह में शामिल होने गये हुए थे। पहली बात तो यह कि एक मंत्री के बयान का भड़काने वाले हिस्सा सुर्खी क्यों बना जबकि इस अखबार के रांची संस्करण में शांति की अपील पहले पेज पर छपी है। सौ-दो सौ लोगों की भीड़ को 25 हजार बताना और उसे सनसनीखेज तरीके से छापना शांति कायम करने के लिए है? अखबार को यह भी बताना चाहिए था कि उसी भीड़ में शामिल लोगों ने उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला।
हिन्दुस्तान की हेडिंग है- रांची में प्रदर्शनकारियों का उपद्रव। बहुत गौर से देखने पर दो की मौत की खबर मिलेगी। जागरण ने हेडिंग में मौत की खबर दी है लेकिन फायरिंग की बात दबा दी है। इसकी सुर्खी है- नमाज के बाद हिसंक प्रदर्शन, दो की मौत। इस हेडिंग से ऐसा लगता है कि मौत प्रदर्शनकारियों की हिंसा से हुई है।
रांची के सबसे बड़े अखबार प्रभात खबर ने भी फायरिंग की बात दबा दी है। इसकी सुर्खी की दूसरी लाइन है- मंत्री नितिन की गाड़ी पर हमला।
हिन्दुस्तान ने अपने देश-विदेश के पन्ने पर सबसे प्रमुख खबर की हेडिंग लगायी है- यूपी से ढाका तक सड़कों पर संग्राम। इसमें लिखा गया है कि उपद्रव के दौरान घायल हुए दो लोगों की रिम्स में मौत हो गयी। यहां भी यह बात दबा दी गयी कि मौत किसी गोली से हुई है।
इन अखबारों में उन दो युवाओं के बारे में कोई स्टोरी नहीं है जिनकी मौत फायरिंग में हुई है।
अनछपीः हिन्दुस्तान अखबार की खास खबर हैः बिहार में रत्नों के माध्यम से होगी बीमारियों के इलाज की पढ़ाई। पढ़ाएगा कौन? आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय। कोर्स का नाम- पीजी डिप्लोमा इन मेडिकल एस्ट्राॅलोजी। अब तो मेडिकल सायंस के बारे में पढ़ाया जाता था। अब इसमें एस्ट्राॅलोजी का दखल हो गया है। इस खबर में यह भी बताया गया है कि बीपी, शुगर, गैस और हार्ट की बीमारियों के लिए कौन-कौन से पत्थ्र काम आते हैं। क्या यह बेहतर नहीं होता कि किसी मेडिकल सायंटिस्ट से पूछ लिया जाता कि पत्थरों से ऐसे गंभीर रोगों का इलाज संभव है। ज्ञान के नाम पर ऐसी बातें पढ़ायी जाने वाली हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
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