छ्पी-अनछ्पी: मोदी बोले- आएगा तो…, चुनाव आयोग की टीम आज से बिहार दौरे पर
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। दिल्ली में हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया का हर देश जानता है, हर शक्ति जानती है कि आएगा तो मोदी ही। जागरण ने इस बयान को अपनी पहली खबर बनाया है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग की टीम बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर आज पहुंच रही है। यह हिन्दुस्तान की पहली सुर्खी है। शिक्षा विभाग और राज्यपाल के बीच फिर टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। इस खबर को प्रभात खबर ने प्रमुखता दी है।
जागरण ने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभी चुनाव बाकी है मगर कई देशों ने उन्हें अभी से जुलाई अगस्त और सितंबर में होने कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित किया है। इससे पता चलता है कि दुनिया भर के देश भाजपा सरकार की वापसी को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से मोदी सरकार के 10 साल के काम और अगले 5 साल के प्लान के साथ हर लाभार्थी और मतदाता तक पहुंचाने की अपील की। भाषण के दौरान जब मोदी ने कहा कि दुनिया का हर देश जानता है, हर शक्ति जानती है कि आएगा तो…। उनके इतना कहते ही अधिवेशन में मौजूद भाजपाइयों ने एक साथ नारा लगाया ‘आएगा तो मोदी ही’।
चुनाव की तुलना महाभारत युद्ध से
हिन्दुस्तान के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कांग्रेस और उसके साथ खड़े विपक्षी दलों पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि एक तरफ भाजपा का राष्ट्र प्रथम गठबंधन है तो दूसरी तरफ परिवारवादी दलों का खेमा है। शाह ने आगामी लोकसभा चुनाव की तुलना महाभारत के युद्ध से की। उन्होंने कहा कि जैसे महाभारत के युद्ध में दो खेमे कौरव और पांडव थे, वैसे ही आज चुनाव से पहले दो खेमे हैं। एक खेमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत राजग है और दूसरा कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन है।
भाजपा अध्यक्ष का चुनाव ज़रूरी नहीं
प्रभात खबर की खबर है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 30 जून तक बढ़ाया गया है। साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर पार्टी संविधान में संशोधन पारित किया गया। इसके मुताबिक पद खाली होने पर संसदीय बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगा। नड्डा जून 2019 में कार्यकारी और 20 जनवरी 2020 को पूर्णकालिक अध्यक्ष बने थे।
चुनाव आयोग का दौरा
हिन्दुस्तान ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए चुनाव आयोग की उच्चस्तरीय टीम तीन दिवसीय बिहार दौरे पर सोमवार शाम 6.30 बजे पटना पहुंचेगी। टीम का नेतृत्व देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार करेंगे। उनके साथ दोनों निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय व अरुण गोयल के अलावा आयोग के वरीय अधिकारी रहेंगे। आयोग के अनुसार 20 फरवरी की सुबह 9.30 बजे से 11.30 बजे तक बिहार के सभी राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त दलों के साथ बैठक होगी। वहीं, 11.45 बजे से 7 बजे शाम तक सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक, केंद्रीय बलों के प्रमुख एवं सभी प्रमंडलीय आयुक्त एवं पुलिस महानिरीक्षक के साथ बैठक होगी।
शिक्षा विभाग और राजभवन में टकराव
प्रभात खबर की पहली सुर्खी है: शिक्षा विभाग की ट्रेनिंग में नहीं जाएंगे विश्वविद्यालय के अफसर। पटना स्थित चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग की तरफ से प्रस्तावित दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम में पाटलिपुत्र सहित सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और उनके पदाधिकारी भाग नहीं लेंगे। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंगथू ने पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुल सचिव से दो टूक कहा है कि राज्यपाल सह कुलाधिपति की तरफ से इस कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है। शिक्षा विभाग राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कामकाज की समीक्षा और उनके आगे के कार्यक्रमों की रूपरेखा जानने और उसमें बेहतरी लाने के लिए दो और तीन मार्च को उन्मुखीकरण कार्यक्रम करने जा रहा है।
नवगछिया में महिला के रेप-मर्डर के बाद बवाल
भास्कर की खबर है: महिला से सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या; बवाल, पुलिस फायरिंग। भागलपुर के नवगछिया के रंगरा में दो दिन से लापता महिला से पहले सामूहिक दुष्कर्म किया गया फिर उसकी हत्या कर शव को फेंक दिया गया। महिला 16 फरवरी से लापता थी। रविवार को लाश मिलने के बाद ग्रामीणों ने सुबह 7:00 से 11:00 बजे तक 4 घंटे जमकर बवाल काटा। पुलिस पहुंची तो ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी। पुलिस ने आत्मरक्षा के लिए 12 राउंड फायरिंग की। इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। इधर गोपालपुर के जदयू विधायक गोपाल मंडल ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जाकर मिलेंगे और भागलपुर के एसपी पूरण कुमार झा को हटाने को कहेंगे।
राजद 28 लोकसभा सीटों पर लड़ सकता है
जागरण की खबर है: राजद ने सीट शेयरिंग का तैयार किया फार्मूला। राष्ट्रीय जनता दल ने सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे की जमीन करीब करीब तैयार कर ली है। जब जदयू महागठबंधन में था तो उस वक्त जो फार्मूला तैयार हुआ था उसके मुताबिक राजद और जदयू को 16-16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना था। उस वक्त भाकपा-माले ने 9 सीट जबकि भाकपा-माकपा ने पांच और कांग्रेस ने कम से कम 11 सीटों पर दावेदारी की मंशा जाहिर की थी। बदले हालात में राजद ने कम से कम 27 से 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार देने का फार्मूला बनाया है। राजद की सबसे बड़ी सहयोगी और बिहार में 19 विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस को अधिक से अधिक 8 से 9 सीटें दी जाएंगी। जबकि तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को तीन से चार सीट ही मिल सकेंगी। हालांकि अभी इस पर आधिकारिक बयान नहीं आया है।
कुछ और सुर्खियां
- भाकपा-माले 21 से 27 फरवरी तक केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी
- टेस्ट क्रिकेट में भारत की 434 रनों से सबसे बड़ी जीत, इंग्लैंड को हराया
- बिहार के सभी जेलों में एक साथ छापेमारी
- उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल अब राष्ट्रीय लोक मोर्चा
- बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी होगी जातीय गणना
- गया में जाली नोट छापने वाला गिरोह पकड़ा गया
अनछ्पी: दुनिया की सबसे बड़ी बताई जाने वाली भारतीय जनता पार्टी 2024 का चुनाव जीतने के लिए बिल्कुल बेचैन है और हर हथकंडे अपना रही है। राम मंदिर उद्घाटन के बाद बने माहौल में भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित बताए जाने के बावजूद ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। या यह कहिए कि भारतीय जनता पार्टी विपक्षी पार्टियों को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर देना चाहती है। यही कारण है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहे हैं कि आएगा तो मोदी ही और दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह चुनाव को महाभारत युद्ध बता रहे हैं। एक स्वस्थ लोकतंत्र में पक्ष विपक्ष का चुनाव लड़ना सामान्य बात है लेकिन इसकी तुलना महाभारत युद्ध से करना लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने जैसा है। महाभारत युद्ध के कौरव और पांडवों को एक दूसरे का दुश्मन बताया गया है तो क्या भारतीय लोकतंत्र में एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहीं लोकतांत्रिक पार्टियां भी एक दूसरे की दुश्मन मानी जाएंगी? अमित शाह अपनी पार्टी और अपने गठबंधन को पांडव बताना चाह रहे हैं जब के विपक्षी दलों को कौरव। भारतीय जनता पार्टी वैसे भी खुलकर राजनीति के लिए हिंदुत्व का इस्तेमाल करती है लेकिन क्या ऐसे धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करना लोकतंत्र में उचित है? भारतीय जनता पार्टी से उम्मीद की जानी चाहिए थी कि वह राजनीतिक दलों का समर्थन या विरोध जनता के मुद्दों पर करे, लेकिन वह पूरी तरह धार्मिक प्रतीकों को चुनाव का मुद्दा बना रही है और विपक्ष दलों को धर्म विरोधी बताने की कोशिश में जुटी हुई है। एक स्वतंत्र चुनाव आयोग से यह उम्मीद की जाती है कि धर्म के ऐसे राजनीतिक इस्तेमाल पर संबंधित पार्टी को नोटिस दिया जाए मगर इस मामले में उससे निराशा ही हाथ लगती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों के पास अब एक ही हथियार बचा है और वह हथियार यह है कि लोगों के बीच जाकर यह समझाया जाए कि लोकतांत्रिक चुनाव महाभारत युद्ध नहीं है और न ही यह कौरवों और पांडवों के बीच का कोई मुकाबला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ और सब का विश्वास जैसा नारा तो देते हैं लेकिन इसका खोखलापन इससे उजागर होता है कि उनके ही दल के लोग चुनाव को युद्ध बताने में लगे हुए हैं। माना जाता है कि प्रधानमंत्री पूरे देश का प्रधानमंत्री होता है लेकिन अगर चुनाव लड़ रहे लोगों को कौरव और पांडव बताया जाएगा तो प्रधानमंत्री कैसे पूरे देश के प्रधानमंत्री समझे जाएंगे?
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