छपी-अनछपी: दक्षिण कोरिया में भगदड़ मचने से 120 से ज़्यादा लोगों की मौत, गुजरात में कॉमन सिविल कोड का नारा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में भगदड़ मचने से 120 से अधिक लोगों के मरने की खबर है। वैसे, पटना के अखबारों में छठ की खबरें छाई हुई हैं। उधर, गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव के मद्देनजर कॉमन सिविल कोड का नारा उछाल दिया है। 

हिन्दुस्तान ने दक्षिण कोरिया की खबर में लिखा है: “हैलोवीन उत्सव ईसाई समुदाय के लोग मनाते हैं। उनका मानना है कि इस उत्सव से उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन लोग डरावना मेकअप करते हैं और मास्क लगाते हैं। शनिवार रात हैलोवीन उत्सव में भगदड़ मचने से करीब 50 लोगों को दिल का दौरा पड़ गया। इस हादसे में 120 लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें से कुछ को गंभीर चोटें आई हैं।” दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि घायलों का इलाज सुनिश्चित किया जाए और हैलोवीन स्थलों की सुरक्षा की समीक्षा की जाए। 

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: महापर्व: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज। छठ के लिए व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला उपवास का संकल्प लेते हैं। प्रभात खबर की लीड है: छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब। पटना जिले में 606 घाटों पर छठ पूजा की तैयारी की गई है। जागरण की भी सबसे बड़ी खबर यही है: अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य आज। 

जागरण में पहले पेज पर गुजरात की यह खबर है: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुजरात में समान नागरिक संहिता की तैयारी। इसमें जानकारी दी गई है कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट के लिए कमेटी बनाई जाएगी। यह फैसला गुजरात सरकार के कैबिनेट में लिया गया। इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सरकार भी ऐसी विशेषज्ञ समिति बना चुकी है। अखबार के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नोटों पर गणेश और लक्ष्मी जी की फोटो छापने की मांग की काट के लिए इसे भाजपा का बड़ा गांव माना जा रहा है।

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ ‘जीरो टालरेंस’। इसमें बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति ने आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसे दिल्ली घोषणापत्र कहा जा रहा है। हिन्दुस्तान में इससे संबंधित खबर की सुर्खी है तकनीक का दुरुपयोग चुनौती: जयशंकर। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को सुरक्षा परिषद की आतंकवादी निरोधक समिति की विशेष बैठक में यह बात कही। 

हिन्दुस्तान में दूसरी सबसे बड़ी खबर है: गया: म्यांमार- थाईलैंड के लिए विमान सेवा आज से। अखबार लिखता है: कोरोना की मार से दो साल तक बंद अंतरराष्ट्रीय उड़ान रविवार से फिर से शुरू हो जाएगी। गया हवाई अड्डे से नियमित परिचालन जारी रखने वाली विदेशी विमानन कंपनियों ने शेड्यूल जारी कर दिया है। फिलहाल, थाईलैंड की दो एयरलाइंस कंपनियां थाई स्माइल एयरवेज और थाई एयर एशिया एयरवेज तथा म्यांमार की म्यांमार इंटरनेशनल एयरवेज 30 अक्टूबर से नियमित परिचालन शुरू कर रही हैं। वहीं म्यांमार की म्यांमार नेशनल एयरलाइंस 4 नवंबर से उड़ान शुरू करेगी।

औरंगाबाद में आग लगने के बाद सिलेंडर में हुए विस्फोट में दर्जनों लोगों के ज़ख्मी होने की खबर सभी अखबारों में है। नगर थाना क्षेत्र में शाहगंज तेली मुहल्ला में शनिवार की देर रात शार्ट सर्किट से घर में आग लगने के बाद गैस सिलेंडर विस्फोट कर गया। इससे 35 लोग घायल हो गए। घायलों में नगर थाना की पेट्रोलिंग पार्टी के जवान भी शामिल हैं। कुछ जगह घायलों की संख्या 40 बताई गई है। 

अनछपी: गुजरात में चुनाव जीतने के लिए भाजपा किस तरह बेचैन है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने वहां कॉमन सिविल कोड लागू करने के लिए विशेषज्ञ की समिति बनाने की घोषणा की है। कहा जा रहा है कि गुजरात में भाजपा की स्थिति इस बार पहले के मुकाबले में उतनी अच्छी नहीं है। कांग्रेस वहां चुपचाप प्रचार में लगी है लेकिन अरविंद केजरीवाल अपनी आम आदमी पार्टी के साथ भाजपा को हिंदुत्व के मैदान में ही पछाड़ना चाहते हैं। श्री केजरीवाल ने नोटों पर लक्ष्मी और गणेश जी की तस्वीर लगाने की मांग चुनावी लाभ के लिए ही की है और इससे भाजपा को अपने वोटों में बिखराव का अंदेशा हुआ है। कॉमन सिविल कोड की बात को कांग्रेस ने चुनावी स्टंट करार दिया है लेकिन यह बात भी ध्यान देने की है कि राजनीतिक पार्टियों को चुनाव जीतने के लिए ऐसे मुद्दों की तलाश रहती है जिनसे वह यह संदेश दे पाएं कि मुसलमानों को दबाकर रखने में वे किसी से कम नहीं हैं। कॉमन सिविल कोड का साफ मतलब होगा मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत कानूनी प्रावधानों की समाप्ति। अपने ही अल्पसंख्यक समुदाय को ऐसे अधिकारों से वंचित कर चुनाव जीतने की रणनीति तात्कालिक लाभ तो दे सकती है लेकिन अंततः इसका सामाजिक दुष्परिणाम बहुत खतरनाक हो सकता है। 

 

 

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