छ्पी-अनछपी: छह महीने में बहाल होंगे 78 हज़ार पुलिसकर्मी, मदरसों की फंडिंग जारी रहेगी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में 78 हज़ार पुलिसकर्मियों की बहाली अगले 6 महीने में की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि मदरसों की फंडिंग पर रोक नहीं लगाई जाएगी। बिहार का पहला ड्राई पोर्ट बिहटा में शुरू किया गया है। बहराइच हिंसा में वहां के भारतीय जनता पार्टी के विधायक ने अपनी पार्टी के लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई है।

हिन्दुस्तान के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छह माह के अंदर पुलिस के रिक्त 78 हजार पदों पर बहाली की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। वे सोमवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में उन्होंने 1239 नवनियुक्त पुलिस अवर निरीक्षकों (दारोगा) को नियुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया। इनमें 442 महिलाएं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी पुलिसबल की संख्या 1.10 लाख है। 21 हजार की बहाली प्रक्रिया जारी है, जबकि 20 हजार पुलिसबल की बहाली के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने पुलिस महानिदेशक से कहा कि रिक्त पदों पर बहाली जल्द कराएं। बिहार में पुलिसबल की संख्या 2.29 लाख होनी चाहिए।

जब नीतीश ने हाथ जोड़ लिए…

भास्कर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डीजीपी आलोक राज से हाथ जोड़कर कहा जल्द पुलिसकर्मियों की नियुक्ति कीजिए। उनसे पूछा, ‘करिएगा कि नहीं। यहां आकर माइक पर बोलिए।’ डीजीपी ने कॉर्डलेस माइक से हामी भरी तो मुख्यमंत्री ने उनका धन्यवाद किया। मुख्यमंत्री ने हाथ जोड़ते हुए डीजीपी से कहा, “अरे जरा इधर ताकिए। काहे नहीं इधर तक रहे हैं? हम कह रहे हैं कि पुलिसकर्मियों के खाली पदों को तेजी से भरिए। समझ गए ना। अगले साल तो चुनाव है। 6 महीने में यह काम जरूर कीजिए।”

मदरसों की फंडिंग बंद करने के निर्देश पर रोक

हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर रोक लगा दी। आयोग ने आरटीई 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लेने, बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने और फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी। शीर्ष अदालत ने एनसीपीसीआर के निर्देशों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही परिणामी कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पारदीवाला और मनोज की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एनसीपीसीआर के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया है। याचिका में एनसीपीसीआर के निर्देशों और इसके बाद केंद्र व राज्यों द्वारा की जा रही कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद-30 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को शिक्षा देने के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है।

धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता’ को हमेशा संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना जाता रहा है। कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी’ शब्दों को हटाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी’ शब्दों को पश्चिमी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। ‘समाजवाद का मतलब यह भी हो सकता है कि अवसरों की समानता हो और देश की संपत्ति का समान वितरण हो। उन्होंने कहा, धर्मनिरपेक्षता शब्द के साथ भी यही बात है। पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन से सवाल किया कि क्या आप नहीं चाहते हैं कि भारत धर्मनिरपेक्ष हो?

बिहार का पहला ड्राई पोर्ट

प्रभात खबर की खबर है कि सोमवार को राजधानी पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर बिहटा में बिहार के पहले ड्राई पोर्ट और इनलैंड कंटेनर डिपो का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र ने किया। इस कंटेनर से पहली खेप में हाजीपुर के जूते रूस भेजे गए हैं। हाजीपुर से एक कंपनी द्वारा रूस की सेना के लिए जूते भेजे जाते हैं। इस ड्राई पोर्ट और इनलैंड कंटेनर डिपो के जरिए औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। स्टोरेज और एक्साइज ड्यूटी जैसी सुविधा भी मिलेगी।

भाजपा विधायक ने भाजपा नेताओं पर कराई एफआईआर

जागरण के अनुसार बहराइच हिंसा के आरोपितों की धर पकड़ और पुलिस कार्रवाई के बीच उस समय नया मोड़ आ गया जब महसी से भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह ने अपनी ही पार्टी के भारतीय जनता युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष अर्पित श्रीवास्तव समेत उपद्रवी भीड़ पर मुकदमा दर्ज कर दिया। इसमें अर्पित समेत सात लोग नामजद हैं। विधायक का आरोप है की प्रतिमा विसर्जन यात्रा में मारे गए युवक रामगोपाल मिश्र के शव को वह पोस्टमार्टम हाउस में रखवा कर लौट रहे थे तो अर्पित व अन्य लोगों ने उनके काफिले पर पत्थरबाजी व फायरिंग की।

पूर्वी लद्दाख पर भारत-चीन में समझौता

हिन्दुस्तान की खबर है कि भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर फिर से गश्त शुरू होने पर सहमति बन गई है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को इस समझौते का ऐलान किया। इससे डेप्सांग और डेमचौक से भी सेनाओं के पीछे हटने की उम्मीद है। इस फैसले के बाद एलएसी पर तनाव खत्म होने की भी आस जगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिक्स सम्मेलन के लिए रूस रवाना होने से एक दिन पहले भारत के इस ऐलान को अहम माना जा रहा है।

कुछ और सुर्खियां

  • बेगूसराय में गहने की दुकान से 35 लाख की लूट, दुकानदार की गोली से दो लुटेरे घायल
  • नालंदा जिले के लोदीपुर में पांच लोगों की हत्या के मामले में 15 दोषियों को उम्रक़ैद
  • झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत राजद को अब मिलेंगी 7 सीटें
  • लगातार मिल रही धमकियों के बीच पटना हवाई अड्डे पर 30 दिन का हाई अलर्ट
  • गिरिराज सिंह ने कहा, सीमांचल में एनआरसी लागू करना होगा
  • सोने की कीमत रिकॉर्ड ₹80,650 पर पहुंची, चांदी एक लाख रुपये के करीब

अनछपी: आपने इस सुनीता का नाम शायद नहीं सुना होगा। यह मुजफ्फरपुर के सकरा की सुनीता थीं जिनकी दोनों किडनी 2 सितंबर 2022 को निकाल ली गई थी और अब दो साल के बाद वह इस दुनिया में नहीं रहीं। सुनीता ने सोमवार को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दम तोड़ दिया। कहने को तो भारत में राष्ट्रपति और आम आदमी को समान दृष्टि से देखा जाता है लेकिन दलित समुदाय से आने वाली सुनीता दो साल तक इंसाफ के लिए जूझती रहीं और उनके लिए सरकार और समाज ऐसा कुछ नहीं कर सका कि उनकी जान बच सके। इस मामले में पहला अपराध तो यह हुआ कि किसी फर्जी डॉक्टर ने उसकी दोनों किडनी निकाल ली। दूसरा अपराध यह था कि समाज और सरकार की व्यवस्था में उसे एक अदद किडनी नहीं मिल सकी। सुनीता को बच्चेदानी का ऑपरेशन कराना था लेकिन अपराधी डॉक्टर ने उनकी दोनों किडनी निकाल ली और उन्हें इस बात का पता तब चला जब परेशानी होने पर उनकी एमआरआई कराई गई। दो साल तक वह डायलिसिस के बल पर जिंदा रहीं। सोमवार को डायलिसिस के दौरान सुनीता का ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया और आईसीयू में भर्ती कराए जाने के बावजूद उनकी जान नहीं बची। सुनीता को एक अदद किडनी की जरूरत थी लेकिन वह बस डायलिसिस पर चल रही थीं। अखबारों के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कुछ लोग सामने भी आए लेकिन उनकी जांच नहीं हो सकी। जनता की सेवा करने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि, विधायक या मंत्री, कोई आपको इस मामले में दिलचस्पी दिखाता हुआ मिला? सुनीता के पति अकलू राम मजदूरी करते थे लेकिन सुनीता की बीमारी की वजह से उनका काम भी छूट गया। इस मामले में नर्सिंग होम संचालक की गिरफ्तारी हुई लेकिन ऑपरेशन करने वाला आरके सिंह अब तक फरार है। अफसोस की बात है कि इतने बड़े कांड के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी तो दो एक अदना कर्मचारी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। सवाल यह है कि उस सरकार का इसमें अपराध क्यों न माना जाए जिसके ज़िम्मे स्वास्थ्य विभाग है और ऐसे फर्जी और आपराधिक नर्सिंग होम चलते हैं? क्या किसी विकसित देश में ऐसे नर्सिंग होम की कल्पना की जा सकती है जो इलाज के नाम पर आम आदमी की किडनी निकाल ले?

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