छपी-अनछपी: बिहार सड़कों के मामले में आगे बढ़ा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक समुदाय पर अंगुली उठा रहे
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार का आर्थिक सर्वेक्षण सभी जगह पहली खबर है जिसमें बताया गया है कि सड़कों के मामले में बिहार काफी आगे बढ़ा है। मुस्लिम शासकों के नाम वाले शहरों और सड़कों के नाम बदलने के लिए किए गए केस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह एक विशेष समुदाय की ओर उंगली उठाना और देश को उबाल पर रखना है। इससे जुड़ी खबर तो है लेकिन उसमें इस बात को उजागर नहीं किया गया है। बेगूसराय और समस्तीपुर में दो लोगों की गोली मारकर हत्या की खबर भी पहले पेज पर है।
जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: आर्थिक विकास में बिहार की गति देश से भी तेज। अखबार के अनुसार 2021-22 में देश की आर्थिक विकास दर जहां 8.68% थी, वहीं बिहार में आर्थिक विकास की गति 10.98% रही। बिहार से दो राज्यों -आंध्र प्रदेश और राजस्थान नेआर्थिक विकास में मामूली बढ़त ली। बिहार विधानसभा में सोमवार को वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जिसमें यह बात बताई गई है। वित्त मंत्री ने बताया कि देशभर के जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार आर्थिक विकास के मामले में बिहार का देश में तीसरा स्थान है जबकि पहले स्थान पर आंध्रप्रदेश है, जिसकी विकास दर 11.4% है।
सड़क की लंबाई, कमाई-महंगाई बढ़ी
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी हेडलाइन है: बिहार सड़कों के घनत्व में केरल-बंगाल से ही पीछे। अख़बार के अनुसार बिहार में हर 1000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 3167 किलोमीटर सड़क का अनुपात है जो देश में तीसरा सर्वाधिक है। केरल में यह 6690 किलोमीटर है जबकि पश्चिम बंगाल में 3198 किलोमीटर है। राज्य में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 54383 रुपए हो गई है जो पहले से ₹6400 अधिक है। राष्ट्रीय औसत डेढ़ लाख रुपये है। भास्कर की पहली खबर है: कमाई 13% बढ़ी तो शहर में 12.2 और गांव में 9.7% बढ़ गई महंगाई।
एक समुदाय को टार्गेट करना
यह खबर अक्सर अखबारों में दब गई है लेकिन जागरण ने इसे दूसरी सबसे महत्वपूर्ण जगह दी है, मगर हेडलाइन सुप्रीम कोर्ट के एतराज पर नहीं है। इसकी हेडिंग है: हिंदू एक महान धर्म, यह कट्टरता की अनुमति नहीं देता: सुप्रीम कोर्ट। अखबार के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी हमलावरों के नाम पर रखे गए सड़कों और शहरों के नाम बदलकर प्राचीन मूल नामों को रखने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि हिंदू एक महान धर्म है, यह कट्टरता की अनुमति नहीं देता। तत्वमीमांसा के आधार पर शायद हिन्दू सबसे महान धर्म होगा, कृपया इसे छोटा ना बनाएं। कोर्ट ने कहा कि भारत सेकुलर देश है और हम अतीत का बंधक बनकर नहीं रह सकते। कोर्ट ने कहा: अंग्रेज हमारे समाज को बांटने के लिए फूट डालो राज करो की नीति लेकर आए थे, हमें उसे वापस नहीं लाना चाहिए। कोर्ट ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आपकी उंगली एक विशेष समुदाय की ओर उठ रही है जिसे आप क्रूर कह रहे हैं। क्या आप देश में उबाल बनाए रखना चाहते हैं? इन टिप्पणियों के साथ ही जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
लालू-राबड़ी को फिर समन
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत 16 लोगों के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी मामले में सीबीआई कोर्ट ने समन जारी किया है। यह खबर सभी अखबारों में पहले पेज पर है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कहा कि रिकॉर्ड पर पेश सामग्री के अनुसार प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला बनता है। अदालत ने लालू प्रसाद समेत सभी आरोपितों को 15 मार्च को पेश होने को कहा है।
समस्तीपुर-बेगूसराय के खूनी
भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: बेगूसराय से समस्तीपुर तक 75 किलोमीटर में कार सवार ने तीन को गोली मारी, दो की मौत। जागरण ने लिखा है कार सवार तीन बदमाशों ने 2 घंटे में 50 किलोमीटर की दूरी में बेगूसराय के पड़ोसी जिले समस्तीपुर में दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। पहली हत्या रविवार की रात 2:00 बजे तेघड़ा थाना की गौरा पंचायत और दूसरी हत्या 3:40 पर शाहपुर पटोरी बाजार के चंदन चौक के पास कुमार ठाकुर की हुई। बदमाशों ने बछवाड़ा टोल प्लाजा के पास फायरिंग कर एक ट्रक ड्राइवर को लूटने की भी कोशिश की जिस दौरान तीनों की हरकत सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई। इनमें से मुख्य आरोपित दिलखुश कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया जबकि दो और भाग गए। बीते साल 13 सितंबर को 25 किलोमीटर तक सरेआम सड़कों पर फायरिंग कर अनजान लोगों को बेवजह गोली मारी थी।
केंद्र का असहयोग
जागरण ने इस खबर को प्रमुखता दी है: केंद्र से नहीं मिल रहा बिहार का हिस्सा, योजना राशि देने में भी देर: नीतीश। नीतीश कुमार ने सोमवार को पहले विधानसभा के सेंट्रल हॉल में महागठबंधन विधायक दल की बैठक की। वे देर शाम भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के आवास पर आयोजित जदयू विधायक दल की बैठक में शामिल हुए। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का जो हिस्सा है वह भी केंद्र से नहीं मिल रहा। योजनाओं की राशि में भी लेट लतीफी हो रही है। एक लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये देने की बात थी लेकिन अभी तक पूरी राशि नहीं मिली है।
कुछ और सुर्खियां
- नीट-पीजी की तारीख बढ़ाने से इनकार, परीक्षा 5 मार्च को ही होगी
- एग्जिट पोल: त्रिपुरा-नगालैंड में भाजपा गठजोड़ को बहुमत, मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा
- बिहार विधान परिषद की 5 सीटों के लिए वोटिंग 31 मार्च को
- दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 4 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में
- डीजीपी से विवाद के बाद चर्चा में आए आईजी विकास वैभव को पुलिस मुख्यालय भेजा गया
- जीतन राम मांझी ने कहा- मां कसम, नीतीश जी का साथ नहीं छोडूंगा
अनछपी: शहरों और सड़कों के नाम बदलने की ओछी और सांप्रदायिक राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बहुत ही जरूरी हो चुकी थी। ऐसा केस दर्ज करने वाले अश्विनी उपाध्याय को वकील के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के नेता के रूप में भी बताया जाना जरूरी है। वे हमेशा मुस्लिम व अल्पसंख्यक विरोधी केस लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं। इन्होंने ही धर्मांतरण और वक़्फ़ का मामला भी सुप्रीम कोर्ट तक लाया है जिसमें शीर्ष कोर्ट का समय बर्बाद होता है। नाम के बारे में बहस के दौरान श्री उपाध्याय ने अपनी अर्जी वापस लेनी चाहिए तो कोर्ट ने कहा कि अभी उन्हें कुछ टिप्पणी करनी है। उन टिप्पणियों में जहां कोर्ट ने हिंदू धर्म को मेटाफिजिक्स के लिहाज से महान बताया वहीं श्री उपाध्याय से कहा कि इतिहास में जो घटनाएं हो गई हैं उन्हें हम वापस नहीं ले सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या हमारे देश में दूसरी समस्याएं नहीं हैं? जजों ने कहा कि भाईचारे का सिद्धांत सबसे ऊपर होना चाहिए। ध्यान रहे कि नाम बदलने में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सबसे आगे रही है। सवाल यह है कि कोर्ट की ऐसी टिप्पणियों के बाद क्या सरकार नाम बदलने की गंदी राजनीति से बाहर आएगी? जजों ने जो बातें अपने ऑब्जर्वेशन में कहीं हैं उन्हें देश के हर नागरिक, खासकर हर बच्चे को पढ़ाया जाना चाहिए।
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