छपी-अनछपी: टीचर बहाली के लिए अब BPSC का टेस्ट, केंद्र से नहीं मिल रहा कोरोना का टीका

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में शिक्षक बहाली का 17 साल पुराना तरीक़ा बदल गया है। इसके साथ ही राज्य में नियमित शिक्षकों की बहाली शुरू होगी। इससे संबंधित जानकारी सभी जगह पहले पेज की पहली खबर है। कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ टीका लगाने की जरूरत भी बढ़ रही है लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि उन्हें केंद्र से यह वैक्सीन नहीं मिल रही है। यह खबर भी सभी जगह पहले पेज पर है।

भास्कर की पहली खबर है: बिहार में शिक्षक बनेंगे राज्यकर्मी, भर्ती के लिए पास करनी होगी BPSC की परीक्षा। जागरण ने लिखा है स्कूली शिक्षकों की बहाली अब आयोग से। हिन्दुस्तान की सुर्खी है: फैसला: बिहार में शिक्षकों की बहाली आयोग करेगा। बिहार में अब पहली से 12 वीं कक्षा तक के शिक्षकों की बहाली आयोग के माध्यम से होगी। इसके लिए आयोग परीक्षा लेगा। कोई भी अभ्यर्थी अधिकतम तीन बार परीक्षा में बैठ सकेंगे। किस आयोग को परीक्षा लेने की जिम्मेदारी मिलेगी, राज्य सरकार यह बाद में तय करेगी। मालूम हो कि वर्ष 2006 से ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के माध्यम से राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति हो रही थी। 17 वर्षों बाद में इसमें बड़ा बदलाव किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली, 2023 को मंजूरी दी गई।

नियोजित शिक्षकों को भी मौक़ा

नई नियमावली में साफ किया गया है कि सीटीईटी और बीटीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण ही आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठ सकेंगे। साथ ही, बिहार के स्थायी निवासी ही आवेदन कर सकेंगे। पूर्व से नियोजित शिक्षक भी अगर चाहें तो इस परीक्षा में बैठ सकेंगे। इसके लिए उन्हें आयु सीमा में अधिकतम 10 वर्ष तक की छूट मिलेगी। आयोग के माध्यम से नियुक्त शिक्षक राज्य सरकार के कर्मचारी कहे जाएंगे।

कोरोना टीका

कोरोना टीका से संबंधित खबर की सुर्खी भास्कर में इस तरह है: केंद्र सरकार नहीं दे रही वैक्सीन, बिहार खुद खरीद करेगा टीकाकरण: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि केंद्र सरकार कोरोना टीका उपलब्ध नहीं करा रही है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार अपनी तरफ से कोरोना टीका खरीदकर लोगों का टीकाकरण जारी रखेगी। मुख्यमंत्री के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग ने 25 हजार टीका खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

सूई की नोक बराबर ज़मीन

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है सुई की नोक जितनी जमीन पर भी कोई नहीं कर सकता अतिक्रमण: गृहमंत्री। हिन्दुस्तान ने लिखा है: शाह का चीन को कड़ा संदेश, सीमा पर जमीन हड़पने का जमाना गया। अमित शाह ने सोमवार को चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वह जमाना चला गया जब भारत की भूमि पर कोई भी अतिक्रमण कर सकता था। आज कोई भी आंख उठाकर हमारे देश की सीमा की ओर देख नहीं सकता। सूई की नोक के बराबर जमीन पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता। अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबिथू में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए शाह ने कहा कि थलसेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के पराक्रम ने सुनिश्चित किया है कि कोई भी भारत की एक इंच भूमि तक का अतिक्रमण नहीं कर सकता।

फ़र्ज़ी मुठभेड़ का मामला

जागरण की सुर्खी है: फर्जी मुठभेड़ मामले में याचिकाकर्ताओं के उद्देश्य पर गुजरात सरकार ने उठाए सवाल। गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में 2002 से 2006 के बीच फर्जी मुठभेड़ों से जुड़े एक मामले में याचिकाकर्ताओं के साथ दस्तावेज साझा करने पर आपत्ति जताई तथा कहा कि याचिकाकर्ताओं के याचिका दायर करने के अधिकार एवं उद्देश्य पर बड़ा संदेह है। सरकार ने कहा कि क्या इन दस्तावेजों को अजनबियों के साथ साझा किया जाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ पत्रकार बीजी वर्गीज और प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर व शबनम हाशमी द्वारा 2007 में दायर दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था जिसमें फर्जी मुठभेड़ों की जांच की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं में बीवी वर्गीज का 2014 में निधन हो गया।

कितनी देर चलाएं फोन?

हिन्दुस्तान ने अंतिम पेज पर खबर दी है: रोज तीन घंटे से ज्यादा फोन का प्रयोग घातक। वाशिंगटन से जारी इस खबर में लिखा गया है कि स्मार्टफोन बच्चों के लिए मीठा जहर साबित होने लगा है। एक नए शोध में दावा किया गया कि रोजाना तीन घंटे से अधिक स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों में कमर दर्द की समस्याएं बढ़ गई हैं। कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन कक्षाएं होने से स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल काफी हद तक बढ़ गया है। ऐसे में कमर दर्द के अलावा आंखों की रोशनी कम होने और रीढ़ की हड्डी में दर्द जैसी दिक्कतें भी बढ़ गई हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से दिल्ली में आज ईडी कर सकती है पूछताछ
  • राज्य कर्मियों और पेंशनरों का डीए 4% बढ़ा, 42% मिलेगा
  • अभ्यर्थियों के बदले जेईई मेंस की परीक्षा दे रहे 3 स्कॉलर गिरफ्तार
  • सीपीआई, एनसीपी व टीएमसी ने गंवाया राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा, ‘आप’ को मिला
  • केएस द्विवेदी बने बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग के अध्यक्ष
  • ट्विटर ने बीबीसी को बताया सरकारी मीडिया, बढ़ा विवाद
  • यात्री ने क्रू सदस्यों से की मारपीट, लंदन जा रहा विमान नई दिल्ली लौटा
  • पटना में कैश वैन का चालक डेढ़ करोड़ रुपए के साथ फरार
  • अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

अनछपी: शिक्षकों की बहाली के 17 साल पुराने नियम में बदलाव बहुत ज़रूरी था। सिर्फ नम्बर से बहाली में फ़र्ज़ी मार्कशीट की बाढ़ आ गयी थी। अब भी हज़ारों मामले हैं जहां सर्टिफ़िकेट्स की जांच चल रही है। ऐसे हज़ारों फ़र्ज़ी शिक्षक नौकरी छोड़ चुके हैं और सैंकड़ो एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि जब से इसमें टीईटी और सी टीईटी की शर्त जुड़ी तो धांधली बंद हुई। नई नियमावली में भी टीईटी को अनिवार्य बनाया गया है लेकिन इसके बाद बीपीएससी की परीक्षा को दो दृष्टि से देखा जा सकता है। पहली सोच तो यह हो सकती है कि टीईटी पास करने के बाद इसकी क्या जरूरत थी। दूसरी सोच यह भी हो सकती है कि बीपीएससी की परीक्षा शिक्षकों के मानक को सही करने में मदद देगी। यह जरूर है कि शिक्षक बनने के इच्छुक लोगों को यह अतिरिक्त बोझ लग सकता है। इस बोझ के एहसास को कम करने का तरीका यह है कि बीपीएससी अपनी परीक्षा प्रक्रिया को एक से तीन महीने के अंदर पूरी कर ले। परीक्षा लेने का यह रवैया जिसमें आवेदन करने से अंतिम परिणाम निकलने तक कई साल गुजर जाते हैं बेहद तकलीफ देने वाला है। बीपीएससी परीक्षा पास कर शिक्षक बनने वालों के लिए राहत की बात यह होगी कि उन्हें अब राज्य का नियमित कर्मचारी माना जाएगा, नियोजित नहीं। नियोजित शिक्षकों को भी 10 साल उम्र में छूट दी गई है ताकि वह नियमित बनना चाहे तो उन्हें भी यह मौका मिले। वैसे तो हर बहाली चुनाव के साथ जोड़कर देखी जाती है लेकिन सरकार को चाहिए कि नियम में बदलाव के बाद इस बहाली प्रक्रिया को जल्दी पूरा करे। उम्मीद की जानी चाहिए कि नई बहाली से स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बेहतर होगा।

 

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