छपी-अनछपी: चीफ सेक्रेटरी-डीजीपी से सिपाही बहाली में जल्दी का वादा लिया गया, दिल्ली के डिप्टी सीएम गिरफ्तार

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सिपाही बहाली में तेज़ी लाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे के सबसे बड़े अफसरों को खड़े करवा कर वादा लिया है, जो पहले पेज की पहली खबर है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने लंबे सिलसिले के बाद गिरफ्तार कर ही लिया जिसकी खबर प्रमुखता से ली गई है। कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में राहुल गांधी ने कहा है कि वह सत्याग्रही हैं, जबकि भाजपा और आरएसएस के लोग सत्ताग्रही हैं। इस खबर की भी अच्छी कवरेज है।

हिन्दुस्तान की पहली हेडलाइन है: बिहार पुलिस में बहाली की प्रक्रिया तेज होगी। मुख्यमंत्री ने रविवार को पटना के मिथिलेश स्टेडियम में पुलिस सप्ताह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए इसका निर्देश दिया। इसी प्रोग्राम में नीतीश के बयान को जागरण ने सबसे बड़ी खबर बनाया है: पुराना काम भूलिए मत, बहाली तेज कीजिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार पुलिस में सिपाही समेत अन्य पदों पर बहाली में हो रही देरी पर सख्त नाराजगी जताते हुए अपने संबोधन के दौरान ही मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, गृह के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, बिहार सिपाही चयन पर्षद के अध्यक्ष पूर्व डीजीपी एसके सिंघल और डीजीपी आरएस भट्टी को अपने-अपने स्थान पर खड़ा होने के लिए कहा। फिर इन अधिकारियों से आश्वासन लेते हुए पूछा कि बहाली जल्द करवा देंगे न, देरी नहीं न होगी। सभी के हामी भरने पर ही संबोधन को आगे बढ़ाया।

मनीष सिसोदिया गिरफ्तार

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गिरफ्तार। हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: शराब घोटाले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया गिरफ्तार। शराब नीति से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने रविवार रात दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले उनसे करीब आठ घंटे तक पूछताछ की गई। अधिकारियों का दावा है कि सिसोदिया सवालों पर टालमटोल कर जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। रातभर सीबीआई मुख्यालय में रखने के बाद सोमवार सुबह उनका मेडिकल होगा। इसके बाद कोर्ट में पेश किया जाएगा। पूछताछ के लिए जाने से पहले सिसोदिया ने कहा, वह झूठे आरोपों को लेकर जेल जाने से भयभीत नहीं हैं। जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।

कौन सत्ता चाहता, किसे सत्य की इच्छा

भास्कर की एक अहम सुर्खी पहले पेज पर है: भाजपा-आरएसएस वाले सत्ताग्रही और हम सत्याग्रही: राहुल। हिन्दुस्तान में भी यही हेडलाइन है। जागरण ने लिखा है: अदानी-चीन विवाद को लेकर भाजपा के राष्ट्रवाद विकास पर राहुल का हल्ला बोल। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा और सरकार के राष्ट्रवाद पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरएसएस और भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्हें सत्ताग्रही करार दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक शब्द दिया था सत्याग्रह। इसका मतलब है कि सत्य के रास्ते पर चलो। कांग्रेस के लोग सत्याग्रही हैं और आरएसएस व भाजपा के लोग सत्ताग्रही हैं। वह सत्ता हासिल करने के लिए किसी से मिल जाएंगे, किसी के सामने झुक जाएंगे। उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर एक बार फिर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।

भाजपा का राष्ट्रवाद या कायरता

राहुल गांधी ने भाजपा सरकार के राष्ट्रवाद को कायरता करार देते हुए कहा कि अपने से कमजोर से लड़ना कायरता कहलाता है। विदेश मंत्री जयशंकर का नाम लिए बगैर कहा कि एक मंत्री कहते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था चीन से छोटी है। हम उनसे कैसे लड़ सकते हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जब हम अंग्रेजों से लड़ रहे थे तो क्या उनकी अर्थव्यवस्था हमारी अर्थव्यवस्था से छोटी थी। इसे कायरता करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह सावरकर की विचारधारा है कि जो आपसे ज्यादा मजबूत है, उसके सामने झुकें। यह कौन सा राष्ट्रवाद है।

नॉलेज यूनिवर्सिटी में 11 करोड़ की गड़बड़ी

भास्कर की खास खबर है: आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी ने नियम तोड़ कर दी 100 से अधिक निजी कॉलेजों को मान्यता, 11.71 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ में आई। इस यूनिवर्सिटी द्वारा आवेदन शुल्क, एफिलिएशन फीस और इनडोमेंट फंड जमा कराए बिना 100 से ज्यादा निजी कॉलेजों को संबद्धता देने का मामला सामने आया है। प्रक्रिया में 11 करोड़ 71 लाख रुपये की अनियमितता की आशंका है। अकेले एंडोमेंट फंड के ₹11 करोड़ 15 लाख नहीं वसूले गए। संबद्धता शुल्क में 55 लाख रुपये और आवेदन शुल्क के ₹7,85,000 की वसूली भी नहीं हुई। संबद्धता के लिए एनओसी के लिए निरीक्षण शुल्क व प्रोसित शुल्क का भी प्रावधान है। इस मद में ₹20,00,000 कम पाए गए। ऑडिटर जनरल की गोपनीय जांच में इसकी पुष्टि हुई है।

कुछ और सुर्खियां

  • मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग आज
  • बिहार का बजट सत्र आज से, सदन में दिखेगी बाहर की सरगर्मी
  • गया में बम डिफ्यूज करने के दौरान एएसआई का हाथ उड़ा, कई अन्य घायल
  • मार्च में 10 दिन बंद रहेंगे बैंक
  • भाजपा दरवाजा बंद रखे, कोई नहीं जाने वाला: ललन सिंह
  • केंद्र पैसा न दे तो बिहार की बत्ती गुल हो जाएगी: गिरिराज
  • पुलवामा में दिनदहाड़े कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या
  • मलमास: इस बार 59 दिनों का सावन, सोमवारी 8
  • गुलजारबाग में मालगाड़ी लूटने का विरोध करने पर गार्ड को मारी गोली, गंभीर
  • लोकसभा चुनाव के लिए 10 लाख बूथों को मजबूत करेगी भाजपा

अनछपी: बिहार के विश्वविद्यालय शिक्षा में भले जितने पीछे हों, गड़बड़ियों में काफी आगे नजर आते हैं। आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी को बिहार का बेहतरीन यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की गई थी लेकिन वहां के बारे में आई ऐसी शिकायत पर शायद ही किसी को हैरत हो। बिहार के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के अलावा पैसे कमाने के जितने साधन हो सकते हैं उनमें गड़बड़ियां होना आम बात है और विश्वविद्यालयों में दिलचस्पी की वजह भी वही मालूम होती है। ऐसा लगता है कि कॉपी-किताब की खरीद हो या बिल्डिंग बनाने का काम, विश्वविद्यालय पैसा उगाही के इन्हीं साधनों के लिए रह गए हैं। इसमें एक दुखद पहलू यह भी है कि विश्वविद्यालयों का सीधा नियंत्रण राज्यपाल के पास होता है और वहां से नियुक्त किए गए वाइस चांसलर भी करोड़ों के गबन में पकड़े जाते हैं। आर्यभट्ट यूनिवर्सिटी का ताजा मामला बिहार सरकार और राजभवन दोनों के लिए खतरे की घंटी है। इसके साथ ही विपक्ष की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह सरकार से इस मामले में गंभीर सवाल करें और उसे सही राह पर चलने को मजबूर करे लेकिन बिहार की दिक्कत यह है कि मौजूदा विपक्ष भारतीय जनता पार्टी अपने राज्यपाल या राजभवन के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहती। ऐसे में भाकपा माले के विधायकों के भी जिम्मेदारी बनती है कि वह इन गड़बड़ियों पर आवाज बुलंद करें।

 

 

 2,513 total views

Share Now