छपी-अनछपीः घूसखोरी के इंजीनियर, झारखंड में पिकनिक पाॅलिटिक्स और नोएडा में जमींदोज होंगे ट्विन टावर्स

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। बिहार में घूसखोरी किस जगह नहीं है, यह कहना मुश्किल है लेकिन हाल के दिनों में इस मामले मंे इंजीनियरों के यहां हो रही छापेमारी में मिलने वाली दौलत हैरत में डालने वाली है। किशनगंज में तैनात ग्रामीण कार्य विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के यहां से पांच करोड़ रुपये से अधिक जब्त होेने की खबर आज के हिन्दी अखबारों में छायी हुई है। उधर, झारखंड की सियासत में वहां के गवर्नर की रहस्यमयी चुप्पी लगता है कि कोई नया गुल खिलाने वाली है जिसकी खबर प्रमुखता से छपी है। सैंकड़ों किलोमीटर दूर नोएडा में करोड़ों की लागत से बने ट्विन टाॅवर्स को आज अदालत के आदेश से गिराया जाना है जिसकी खबर भी चर्चा में है।
हिन्दुस्तान की हेडलाइन हैः कार्टन-झोले में रखे थे नोट, पांच करोड़ जब्त। इंजीनियर संयज राय के किशनगंज और पटना के ठिकानों पर निगरानी विभाग ने छापेमारी कर आय से काफी अधिक संपत्ति का पता लगाया है। प्रभात खबर की हेडिंग हैः कार्यपालक इंजीनियर के ठिकानों से बिस्तर और किताबों में ठुंसे मिले 5.37 करोड़। जागरण ने लिखा हैः इंजीनियर के ठिकानों से पांच करोड़ रुपये बरामद। भास्कर ने सुर्खी दी हैः घूसखोरी का नया माॅडल, आदमी रख पैसे वसूलता था इंजीनियर, 5 करोड़ कैश मिले।
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी रहेगी या जाएगी या अपने नाम से खदान की लीज लेने के मामले में चुनाव आयोग कोई और बड़ी कार्रवाई करेगा, इस बात को वहां के गवर्नर रमेश बैस ने रहस्यमयी बना दिया है। समझा जाता है कि इसके पीछे कोई राजनीतिक चाल है। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने साथ 43 विधायकों को लेकर रांची से खूंटी चले गये और वहां पिकनिक मनायी और देर शाम लौट आये। ऐसा समझा जा रहा है कि भाजपा राज्यपाल के बहाने इस मामले में सत्ता पक्ष के विधायकों को तोड़कर वहां की सरकार को अस्थिर करने की रणनीति पर चल रही है।
गुंडा बैंक की जांच अब ईओयू यानी इकोनाॅमिक आॅफेंस यूनिट भी करेगी, यह खबर हिन्दुस्तान में पहले पेज पर है। इस गंुडा बैंक से अकूत संपत्ति जब्त की गयी है जो कर्ज देकर सीधे-साधे लोगों की जमीन-जायदाद पर जबर्दस्ती कब्जा कर लेता है।
इस वक्त बिहार में खेतों में बिजली की सख्त जरूरत है लेकिन ऐसे में यह खबर भी आयी है कि केन्द्रीय कोटे में कटौती से शहर से लेकर गांव तक बिजली की किल्लत हो रही है। यह खबर हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर छापी है।
मुजफ्फरपुर में आवारा कुत्तों ने तीन साल की बच्ची को नोच कर मार डाला, यह खबर जागरण में पहले पेज पर है। बच्ची बिस्कुट लेने निकली थी। इससे समझा जा सकता है कि छोटी बच्चों को अकेले बाहर जाने देने से रोकना कितना जरूरी है।
नोएडा के सेक्टर 93 ए में दो बहुमंजिला अपार्टमेंट को मकान बनाने के कानूनों की धज्जियां उड़ाने के दोष मंें गिराये जाने के आदेश पर आज अमल किये जाने की खबर टाइम्स आॅफ इंडिया की पहली खबर है। इसे गिराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिया था। इसे गिराने के लिए ब्रिटेन सहित तीन देशों के इंजीनियरों की टीम लगायी गयी है।
अनछपीः नोएडा के ट्विन टावर्स का मामला दो बातें साबित करता है। एक तो यह कि देश में नियमों की धज्जियां उड़ाकर किस हद तक जाया जा सकता है। दूसरी यह कि हिम्मत और एकता से लड़ा जाए तो इतनी बड़ी इमारतों को भी ढाया जा सकता है। दो ऐसी इमारतें बनीं जिनमें से एक 32 मंजिलों वालों थीं और दूसरी 29 मंजिलों वाली। ये दोनों इमारतें रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के विरोध के बावजूद बनीं। इसे बनाने में नोएडा के सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत थी। मिसाल के लिए दोनों इमारतों के बीच कम से कम 16 मीटर की दूरी रखी जानी चाहिए थी, लेकिन बिल्डरों ने इसे घटाकर दूरी नौ मीटर कर दी थी। जिस जगह यह इमारतें बनीं वहां पार्क बनने थे। इससे धूप आनी बंद हो गयी थी। इस पूरी लड़ाई का नेतृत्व किया सीआरपीएफ के रिटायर्ड डीआईजी यूबीएस तेवतिया ने जो अब 80 साल के हो गये हैं। उन्होंने यह काम 50 लोगों के दस्तखत से दी गयी दरख्वास्त से शुरू किया। वे इलाहाबाद हाईकोर्ट गये। वहां से इन इमारतों को गिराने का आदेश मिला जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम मुहर लगायी। आखिर में यह सवाल जरूर है कि इन इमारतों को तोड़ना ही सही उपाय था या इन्हेंे जब्त कर इनका इस्तेमाल किया जा सकता था। वहां रहने वाले आसपास के लोगों के हिसाब से देखा जाए तो उन इमारतों का हटना जरूरी था क्योंकि उन्हें खुली हवा में सांस लेने में अब आसानी होगी।

 

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