छ्पी-अनछपी: शिक्षा विभाग की बैठक में नहीं पहुंचे वीसी, हिमाचल में सुक्खू सरकार बची

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। शिक्षा विभाग की तमाम चेतावनियों के बावजूद राज्य के विश्वविद्यालय के वीसी उसकी बैठक में नहीं पहुंचे और इस मामले में राजभवन की चली। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 6 विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने के बाद संकट में आई सुक्खू सरकार फिलहाल बच गई है। बिहार में राजद और कांग्रेस के जिन विधायकों ने पार्टी से बगावत की है उनकी सदस्यता रद्द करने की अर्जी दी गई है। आज के अखबारों के ये अहम खबरें हैं।

प्रभात खबर की पहली खबर है कि बिहार के शिक्षा विभाग की बैठक में भाग लेने के मामले में अंततः कुलपतियों ने राज्यपाल सह कुलाधिपति के दिए निर्देशों का पालन किया। कुलाधिपति की तरफ से जारी हिदायत का पालन करते हुए राज्य के सभी पारंपरिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने शिक्षा विभाग की बुधवार को बुलाई बैठक में भाग नहीं लिया। कामेश्वर सिंह दरभंगा यूनिवर्सिटी ने अपने रजिस्ट्रार और एग्जामिनेशन कंट्रोलर को भेजा। मगध विश्वविद्यालय से केवल एग्जामिनेशन कंट्रोलर आए। इसके अलावा किसी और विश्वविद्यालय से कोई वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में नहीं पहुंचा।

हिमाचल सरकार का क्या होगा?

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: सुक्खू सरकार बची, संकट बरकरार। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद शुरू हुआ राजनीतिक खेल और तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भाजपा विधायकों के साथ बुधवार सुबह 7:30 बजे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को घटनाक्रम से अवगत कराते हुए कहा कि सरकार अल्पमत में है। जिस तरह कांग्रेस के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की उसके बाद माना जा रहा था कि बुधवार को बजट पारित नहीं होगा और सरकार गिर जाएगी लेकिन विपक्ष की अनुपस्थिति में बजट ध्वनि मत से पारित हो गया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। 2 दिन से चल रही उठा पटक के बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार अभी भले बच गई हो लेकिन संकट बरकरार है क्योंकि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कह चुका है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा की कुल 68 सीटों में कांग्रेस ने 40 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा के पास 25 सीटें हैं।

क्या सुक्खू को हटाया जाएगा?

हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह के रुख में नरमी से सुक्खू सरकार को फौरी राहत मिली। उधर, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को हटाने की शर्त पर अड़े छह बागी विधायकों को पर्यवेक्षक मनाने में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार, नेतृत्व बदलता है तो उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को मुख्यमंत्री जबकि विक्रमादित्य सिंह को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

आरजेडी व कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अर्जी

हिन्दुस्तान के अनुसार विधानसभा में सत्ताधारी दल की बेंच पर बैठने वाले कांग्रेस के दोनों बागी विधायकों सिद्धार्थ सौरभ और मुरारी प्रसाद गौतम को पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया है। साथ ही इनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए पार्टी की ओर से विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव को आवेदन दिया गया है। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह, विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, अजीत शर्मा सहित अन्य विधायकों ने सभाध्यक्ष से मिलकर दोनों विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए लिखित आवेदन दिया। वहीं, राजद ने भी अपने चार विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा को पत्र सौंपा है। बुधवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह एवं विधानसभा में राजद के मुख्य सचेतक अख्तरूल इमान शाहीन ने यह पत्र सौंपा। जिन सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध विधानसभा अध्यक्ष से किया गया है, उनमें एक दिन पूर्व पाला बदलने वाली विधायक संगीता कुमारी एवं इसके पूर्व पाला बदल चुके विधायक चेतन आनंद, प्रह्लाद यादव एवं नीलम देवी शामिल हैं।

समस्तीपुर में रिलायंस शोरूम से दो करोड़ की लूट

समस्तीपुर से जागरण की खबर है कि हथियारबंद बदमाशों ने बुधवार की रात करीब 8:00 बजे मोहनपुर स्थित रिलायंस ज्वैल्स शोरूम में घुसकर करीब 2 करोड़ के सोने के आभूषण लूट लिए। बदमाशों ने घुसते ही कर्मचारियों को बंधक बना लिया। सभी के मोबाइल फोन रखवा लिए। इसके बाद शटर गिरकर आभूषण समेट लिए और बैग में रखकर फरार हो गए। जाते समय शटर भी गिरा दिया।

नए कानून में डीएम को ज़्यादा पावर

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: डीएम माफिया को जिला व राज्य बदर कर सकेंगे। भास्कर की बड़ी सुर्खी है: बालू, शराब, जमीन और साइबर माफिया पर अब कसेगी नकेल। सरकार अपराध नियंत्रण के लिए नया कानून ला रही है। खासकर माफियाओं की नकेल कसने की तैयारी है। भूमि, बालू, शराब सहित अन्य आर्थिक अपराधों में संलिप्त माफियाओं, मानव तस्करी, देह-व्यापार, छेड़खानी, दंगा फैलाने, सोशल मीडिया के दुरुपयोग सहित अन्य कांडों में शामिल अपराधी या आपराधिक गिरोहों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। डीएम इन पर सीधी कार्रवाई कर सकेंगे। उन्हें असीमित शक्ति सरकार देने जा रही है। इसका प्रावधान राज्य सरकार द्वारा बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक, 2024 में किया गया है। नये कानून में डीएम को वारंट जारी करने, गिरफ्तार करने, जेल भेजने, बेल देने का अधिकार होगा। उन्हें आपराधिक मामलों में शामिल तत्वों को छह माह तक जिला तथा राज्य से तड़ीपार करने का भी अधिकार होगा।

गुजरात में ड्रग्स की सबसे बड़ी खेप पकड़ी गई

हिन्दुस्तान के अनुसार एनसीबी, नौसेना और एटीएस गुजरात पुलिस ने गुजरात तट के हिंद महासागर में नाव से 3300 किलोग्राम ड्रग्स की खेप जब्त की है। यह देश में मादक पदार्थों की सबसे बड़ी जब्ती है। ड्रग्स के साथ पांच विदेशी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया। इनके ईरानी या पाकिस्तानी नागरिक होने का संदेह है। बरामद सामग्री पर रास अवाद फूड्स कंपनी, पाकिस्तान का उत्पादन प्रिंट है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 1,300 से 2,000 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है।

कुछ और सुर्खियां

  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चार दिनों के दौरे पर आज पटना आएंगे
  • विधि आयोग का प्रस्ताव: 2029 तक देश में हो सकते हैं एक साथ चुनाव
  • झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बजट सत्र में जाने की कोर्ट ने अनुमति नहीं दी
  • जमीन के बदले नौकरी मामले में राबड़ी देवी व उनकी दो बेटियों को नियमित जमानत
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मार्च को बेगूसराय में, सौंपेंगे 1.6 लाख करोड़ की परियोजनाएं

अनछपी: अपराध नियंत्रण के लिए बनाए जाने वाले किसी कानून का स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन जिस देश और राज्य में कानून का दुरुपयोग होता हो वहां इसे गौर से देखा जाना चाहिए कि क्या इससे आम लोगों को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचने वाला है। 1981 के कानून की जगह लेने वाले बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 के बारे में बताया गया है कि नए कानून के तहत संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के भी पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। यही नहीं इस तरह गिरफ्तार व्यक्ति को तीन माह तक हिरासत में रखा जा सकता है। बताया गया है कि कानून में डीएम को वारंट जारी करने, गिरफ्तार करने, जेल भेजने और बेल देने का अधिकार होगा। उन्हें आपराधिक मामलों में शामिल तत्वों को 6 माह तक जिला तथा राज्य से तड़ीपार करने का अधिकार होगा। इसके खिलाफ प्रमंडलीय आयुक्त के पास अपील की जा सकेगी। डीएम को कार्रवाई करने की सूचना सरकार को 5 दिनों के अंदर देनी होगी और 12 दिनों के अंदर सरकार से अनुमति लेनी होगी। सवाल यह है कि जब इस तरह के अधिकार डीएम को ही दे दिए जाएंगे तो अदालत से मिलने वाला इंसाफ कब शुरू होगा। बहम अक्सर सुनते आए हैं कि पुलिस ने क़ानून का पालन किये बिना किसी को शक के आधार पर या तंग करने के लिए हाजत में बंद कर दिया है। अब जब इस तरह का कानून ही बन जाएगा तो उसके दुरुपयोग की आशंका से कोई इनकार नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि यह कानून मानव अधिकार को ध्यान में रखकर तैयार नहीं किया गया है। इस नए कानून से डीएम और पुलिस के पास ऐसे असीमित अधिकार आ जाएंगे जिससे आम इंसान के मानव अधिकार का हनन हो सकता है। अफसोस की बात यह है कि इस विधेयक को विधानमंडल में किसी विस्तृत बहस के बिना पारित कराया जाएगा। विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए नए कानून बनाने से ज्यादा जरूरी होता है कि जो कानून मौजूद है उसे सही तरीके से लागू किया जाए। इस नए कानून से अपराध नियंत्रण किस हद तक होगा यह तो देखने की बात होगी लेकिन इतना तय है कि यह सरकार और पुलिस के हाथों आम आदमी के मानव अधिकार हनन का जरिया बनेगा।

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