छ्पी-अनछपी: चीफ जस्टिस के घर पहुंचे मोदी तो विपक्ष ने उठाया सवाल, 15 ज़िलों के एसपी बदले

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के घर पूजा समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के शामिल होने पर विपक्ष ने सवाल उठाया है। बिहार के 15 जिलों के एसपी बदल दिए गए हैं। बिहार के पूर्व डीजीपी एसके सिंगल पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। कोलकाता में डॉक्टरों की जारी हड़ताल के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस्तीफा देने की पेशकश की है।

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: सीजेआई के आवास पर पूजा में मोदी के शामिल होने पर सवाल। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर गणपति पूजा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने के लेकर विपक्ष ने सवाल उठाया है। इस समारोह से संबंधित एक वीडियो में जस्टिस चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास अपने घर पर मोदी का स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राउत ने जस्टिस चंद्रचूड़ पर अविश्वास जताते हुए कहा कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे शिवसेना से संबंधित मामलों से खुद को अलग कर लेना चाहिए। राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों को निजी आयोजनों का प्रचार नहीं करना चाहिए। राजद के सांसद मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सीजेआई के आवास पर गणपति पूजा समारोह में भाग लेने से एक ऐसा संदेश जाता है जो किसी को भी असहज करता है। उधर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने पूछा कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश शामिल नहीं हुए थे?

15 जिलों के एसपी बदले

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार सरकार ने 15 जिलों के एसपी सहित 29 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। शिवहर, पूर्णिया, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, औरंगाबाद, कटिहार, रोहतास, गोपालगंज, नालंदा, भोजपुर, जमुई, नवादा, लखीसराय और बक्सर जिले में नए एसपी बनाए गए हैं। उनके साथ ही पटना के तीनों सिटी एसपी (पश्चिमी, पूर्वी और मध्य) और ग्रामीण एसपी का भी तबादला हुआ है। इनको जिलों की कमान सौंप गई है। गृह विभाग ने गुरुवार को इसी संबंधित अधिसूचना जारी कर दी।

पूर्व डीजीपी पर कार्रवाई की सिफारिश

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है कि सिपाही बहाली पेपर लीक की जांच कर रही ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है। विशेष जांच दल ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है। उसने पाया है कि पर्षद अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की। उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसकी वजह से सुनियोजित तरीके से एक संगठित आपराधिक गिरोह ने पेपर लीक किया।

ममता बनर्जी की इस्तीफ़े की पेशकश

भास्कर के अनुसार कोलकाता के आईजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के मामले में गुरुवार को बड़ा नाटकीय घटनाक्रम हुआ। जूनियर डॉक्टरों के तीसरी बार बुलाने पर भी बैठक में नहीं पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पर से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी। दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार में 33 दिन से काम रोक कर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों को गुरुवार शाम 5 बजे तीसरी बार बातचीत के लिए बुलाया था। 32 डॉक्टर सचिवालय पहुंचे जबकि सरकार ने सिर्फ 15 को बुलाया था। यहां बाहर उन्हें बताया गया कि बैठक का लाइव टेलीकास्ट नहीं होगा। इससे डॉक्टर आक्रोशित हो गए और बैठक कक्ष में नहीं गए।

सीताराम येचुरी का निधन

हिन्दुस्तान के अनुसार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को निधन हो गया। 72 वर्ष की आयु में उन्होंने दिल्ली के एम्स में दोपहर 305 बजे अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। एम्स के वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम की निगरानी में उनका इलाज चल रहा था। उन्हें 19 अगस्त को निमोनिया के कारण एम्स में भर्ती कराया गया था। संक्रमण ज्यादा होने की वजह से वह कई दिनों से वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। एम्स प्रबंधन का कहना है, परिजनों ने येचुरी का शरीर शिक्षण और शोध कार्य के लिए एम्स को दान कर दिया है।

कुछ और सुर्खियां

  • राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की मुंबई के अस्पताल में हुई एंजियोप्लास्टी
  • 5 लाख तक मुफ्त इलाज का फायदा बिहार के 51 लाख बुजुर्गों को मिलेगा
  • सेंसेक्स ने पहली बार छुआ 83000 का स्तर
  • पूर्व ऊर्जा सचिव संजीव हंस व पूर्व विधायक गुलाब यादव के करीबियों के ठिकानों से मिले 90 लाख कैश
  • गया हवाई अड्डे पर 10 अक्टूबर से उतरने लगेंगे अंतरराष्ट्रीय विमान

अनछपी: पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों की हड़ताल में राजनीति के वह सभी दांवपेच शामिल हो गए हैं जिनसे इस आंदोलन के बारे में सवाल खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वार्ता के लिए तैयार हैं लेकिन डॉक्टरों की यह शर्त अजीब लगती है कि बातचीत को लाइव टेलीकास्ट किया जाए। यही नहीं मुख्यमंत्री द्वारा 15 डॉक्टरों को बुलाया गया तो वहां 32 डॉक्टर पहुंच गए। कहीं ऐसा तो नहीं कि डॉक्टरों के बीच ही इस बात के लिए वर्चस्व की लड़ाई है कि कौन मुख्यमंत्री से बातचीत में शामिल होगा? कोलकाता के आईजी कर मेडिकल अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के रेप-मर्डर मामला पर डॉक्टरों की हड़ताल और उनके आंदोलन को स्वाभाविक माना जा सकता है लेकिन 33 दिनों से जारी हड़ताल की वजह से आम लोगों को जो परेशानी हुई है उसके लिए किसे जिम्मेदार माना जाए? डॉक्टरों की हड़ताल सांकेतिक तो हो सकती है लेकिन इसका बेमियादी होना बेहद खतरनाक है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शनों के बारे में बहुत शिकायत नहीं की जा सकती क्योंकि बतौर राजनीतिक दल उसे ऐसा करने का अधिकार है। लेकिन अगर डॉक्टर भी राजनीतिक दलों की तरह व्यवहार करेंगे तो बात कैसे बनेगी? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी राजनीति की मंझी हुई खिलाड़ी हैं और वह ऐसे राजनीतिक हथकंडों से निपटना बखूबी जानती हैं। डॉक्टरों की हड़ताल के बारे में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि अब डॉक्टरों को हड़ताल खत्म कर देनी चाहिए। बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने तो हड़ताल खत्म करने की एक डेडलाइन भी दी थी। डॉक्टर अगर सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन को नहीं मानते और राजनीतिक दल के नेताओं की तरह व्यवहार करते हैं तो उनके बारे में सवाल खड़े होना लाज़िम है। इस पूरी बहस में पीड़िता का मामला पीछे चला जाता है और डॉक्टरों की जिद और नेतागिरी ही चर्चा का विषय बन जाती है। क्योंकि इस मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है इसलिए अब यह जरूरी हो गया है कि डॉक्टरों की हड़ताल खत्म न होने पर भी वह कोई ऐसा कदम उठाए जिससे आम लोगों को फायदा पहुंचे और उनकी परेशानी कम हो।

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