छपी-अनछपी: अखबारों में ‘अमृतकाल’ लेकिन बजट से बिहार मायूस, मनरेगा व अल्पसंख्यक बजट घटा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बुधवार को पेश केंद्रीय बजट अखबारों की नज़र में अमृत-अमृत है जबकि बिहार के मुख्यमंत्री ने इसे निराशाजनक बताया है। आज सभी अखबार बजट की खबरों से भरे हैं लेकिन मनरेगा और अल्पसंख्यक बजट में कटौती की खबरें दब गई हैं या नहीं हैं।

हिन्दुस्तान में सबसे बड़ी सुर्खी है: अमृतकाल में लंबी छलांग का संकल्प। जागरण की हेडिंग है: अमृतकाल की उड़ान। भास्कर की सुर्खी है 90% से ज्यादा कर दाता अब कर मुक्त। अखबारों के अनुसार 45.03 लाख करोड़ के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मध्यमवर्ग को 8 साल बाद आयकर में राहत देने की घोषणा की है और महिलाओं व युवाओं के लिए नई योजनाएं भी शुरू की हैं। इस बजट में एक नई शब्दावली सप्त ऋषि इस्तेमाल की गई है जिसमें 1. समावेशी विकास 2.अंतिम छोर अंतिम व्यक्ति तक पहुंच 3. बुनियादी ढांचा और निवेश 4. क्षमताओं का विस्तार 5. हरित विकास 6. युवा शक्ति 7. वित्तीय क्षेत्र का उल्लेख किया गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि यह नाम उनकी सात निश्चित योजना से लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां इसे अमृत काल का पहला बजट बताया है वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इससे मित्र काल बजट कहा है। श्री गांधी श्री मोदी पर देश के बदले अदानी और अंबानी से मित्रता का आरोप लगाते रहे हैं।

बिहार क्यों मायूस?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि केंद्रीय बजट निराशाजनक है और उसमें दूरदृष्टि का अभाव है। उन्होंने कहा कि स्पेशल पैकेज के तहत बिहार ने 20 हज़ार करोड रुपए की मांग की थी जो इस बजट में नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि बिहार को इस बजट से निराशा हाथ लगी है और एक बार फिर विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की अनदेखी की गई है। उनके अनुसार बिहार सरकार की ऋण सीमा में वर्ष 2023 24 में कोई छूट नहीं दी गई है।

बिहार को मिला क्या?

बिहार के लिए इस बजट में सकारात्मक बात यह है कि केंद्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी 1728 8 करोड रुपए बड़े है। केंद्रीय बजट की नई घोषणा से राज्य के 3 मेडिकल  बेतिया मधेपुरा और पूर्णिया के मेडिकल कॉलेज मैं नर्सिंग कॉलेज खोले जा सकेंगे। इसके अलावा यह उम्मीद जगी है कि बिहटा, भागलपुर, पूर्णिया और गोपालगंज में एयरपोर्ट चालू हो सकते हैं। बजट के अनुसार पटना से हावड़ा के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत जल्दी हो सकती है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक बजट बंगाल से भी कम

जागरण में एक छोटी सी खबर है अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट घटा। अखबार के अनुसार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए बजट में बीते वर्ष के मुकाबले करीब 38% की कटौती की गई है। इसको घटाकर 3097.60 करोड़ रुपए कर दिया गया है जो 2022-23 में 5020.50 करोड़ रुपये था। ध्यान रहे कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में अल्पसंख्यकों के लिए 4000 करोड रुपए से अधिक का बजट रहता है। केंद्र के 2023-24 वर्ष के लिए आवंटित 3097.6 करोड़ रुपए में 2335 करो रुपए केंद्र सरकार की स्कीमों या प्रोजेक्ट पर खर्च किए जाएंगे। 1689 का रुपया शिक्षा सशक्तिकरण के लिए है। कौशल विकास और आजीविका के लिए 64.4 को रुपए से अधिक आवंटित किए गए हैं।

मनरेगा का बजट भी कम किया गया

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के बजट में 30% की कटौती की खबर भी कहीं दबी दबी सी नजर आ रही है। इस मद में पिछले वित्तीय वर्ष में आवंटित अनुमानित धनराशि 89154.65 करोड़ रुपए की जगह 2023-24 के लिए 61032.65 करोड़ रुपए ही दिए गए हैं। इस योजना के बजटीय प्रावधान में यह दूसरी सीधी कटौती है। इससे पहले अनुमानित आवंटन 98000 करोड़ रुपये को 25 फ़ीसदी कम करके 73000 करोड़ रुपये ही रहने दिया गया था। इस योजना की शुरुआत 2005 में मनमोहन सिंह सरकार ने की थी।

इस बजट में एक वाक्य में जानने वाली बातें

  • सात लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लेकिन सात लाख से अधिक की आय होने पर तीन लाख से ऊपर की आय पर 5% तक कर देना होगा
  • जीएसटी से 17 और आयकर से 15% राजस्व आएगा
  • इसरो के बजट में 1100 करोड़ रुपए की कटौती
  • एमएसएमई के कर्ज के लिए 9000 करोड़ रुपए, ब्याज कम लगेगा
  • सोना ईजीआर यानी इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड 10 सीट में बदलने पर टैक्स नहीं लगेगा
  • अग्नि वीरों को नहीं देना होगा टैक्स
  • 5 लाख से अधिक प्रीमियम वाली पॉलिसी टैक्स दायरे में आएगी
  • रक्षा बजट में 15% की हुई बढ़ोतरी
  • ईवीएम खरीद को उन्नीस सौ करोड़ मिले
  • खेल बजट में 700 करोड़ का इजाफा, अब 3397 करो रुपये मिले
  • प्रॉपर्टी में निवेश पर कैपिटल गेन की सीमा अब 10 करोड़
  • पूरी तरह से इंपोर्टेड लग्जरी कारें 2% तक होंगी महंगी
  • दीप कैदियों की जुर्माना और जमानत राशि की व्यवस्था में सरकार मदद करेगी
  • सीबीआई को और सक्षम बनाने के लिए दिए गए 946 करोड़
  • विदेश जाना और पैसा भेजना पड़ेगा महंगा

अदानी ने वापस लिया एफपीओ

जागरण ने यह खबर प्रमुखता से दी है कि अदानी एंटरप्राइजेज ने पूरी तरह से सब्सक्राइब हो चुके 20 हज़ार करोड़ रुपये के फॉलोऑन पब्लिक ऑफर यानी एफपीओ को बुधवार को वापस लेने की घोषणा की। इस एफपीओ से जुटाई गई राशि निवेशकों को लौटाई जाएगी। कंपनी के बोर्ड ने यह फैसला लिया है। अदानी एंटरप्राइजेज ने कहा कि अभूतपूर्व हालत और बाजार में के मौजूदा उतार-चढ़ाव को देखते हुए निवेशकों के हित में एफपीओ वापस लेने का फैसला किया गया है।

अब ‘खुला’ पर भी ख़तरा

हिन्दुस्तान की एक छोटी सी खबर है: फैसला: ‘खुला’ से तलाक सिर्फ फैमिली कोर्ट में मान्य। चेन्नई से खबर है कि मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के पास यह विकल्प है कि वे ‘खुला’ (तलाक के लिए पत्नी की पहल) के जरिये शादी खत्म करने के अधिकार का इस्तेमाल सिर्फ फैमिली कोर्ट में कर सकती हैं, शरीयत काउंसिल जैसी निजी संस्थाओं में नहीं। निजी संस्थाएं ‘खुला’ के जरिये शादी समाप्त करने का फैसला नहीं दे सकतीं, न ही सत्यापित कर सकती हैं। वे न तो अदालत हैं और न विवादों के निपटारे के लिए मध्यस्थ। कोर्ट ने कहा कि निजी संस्थाओं द्वारा जारी प्रमाणपत्र अवैध हैं। न्यायमूर्ति सी. सरवनन ने फैसले में शरीयत काउंसिल ‘तमिलनाडु तौहीद जमात’ द्वारा 2017 में जारी प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया।

अनछपी: केंद्रीय बजट में अखबार और टेलीविजन के रुख को देखा जाए तो सब कुछ अमृत अमृत है यानी सब कुछ हरा हरा है। इसीलिए अखबारों ने सरकारी शब्दावली अमृत काल का इस्तेमाल किया है। ऐसा लगता है कि अखबारों ने स्वतंत्र होकर विश्लेषण करने का कष्ट मोलना नहीं चाहा है। एक तरह से देखा जाए तो खाए-पीए-अघाए तबके के लिए यह बजट अच्छा ही माना जाएगा क्योंकि उन्हें टैक्स स्लैब में छूट दी गई है। इस बजट में यह भी देखा जा रहा है कि अगले साल के चुनाव में काफी वोट आएंगे। लेकिन बिहार जैसे राज्यों के लिए यह बेहद निराशाजनक बजट माना जा सकता है। इसके अलावा अल्पसंख्यक बजट में जो भारी कमी की गई है उससे इस सरकार के अल्पसंख्यक विरोधी होने का एक और सबूत सामने आया है। हर लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान इसलिए रहते हैं कि अल्पसंख्यकों को देश की मुख्यधारा के साथ चलने में मदद मिले। भारत में वैसे भी अल्पसंख्यकों की संख्या 20% से अधिक है और ऐसे में यदि यह तबका विकास में पिछड़ गया तो भारत का विकास भी पूरी तरह नहीं हो पाएगा। एक तरफ देश में बेरोजगारी बढ़ रही है तो दूसरी तरफ रोजगार देने वाली मनरेगा योजना के बजट में भारी कटौती भी इस सरकार के गरीब विरोधी होने के सभी शक को दूर करता है।

 

 

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