छपी-अनछपीः नीतीश आज फिर पलटेंगे? राजद के 18 विधायकों पर कार्रवाई की तलवार!

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के लिए 2005 से 2014 तक एक जैसे हालात रहे, 2015 में वे लालू प्रसाद से दोबारा गले मिल गये मगर 2017 में उन्होंने फिर भाजपा का दामन थाम लिया। रोचक बात यह है कि हर हाल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे। एक ऐसे व्यक्ति का 17 साल से मुख्यमंत्री बने रहना जिसका अपना जातीय आधार बहुत कम है, उसकी राजनैतिक कलाबाजी का परिचायक है। तो आज सभी अखबारों में यही सवाल है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने विधायक दल की बैठक मंे क्या फैसला लेंगे? वैसे, कांग्रेस और वाम दल नीतीश कुमार को अपना समर्थन देंगे लेकिन राजद की बैठक भी होनी है और उसका निर्णय क्या होगा, यह साफ नहीं है।
इधर, भाजपा भी आसानी से मैदान छोड़ने वाली है नहीं। इसलिए एक खबर यह भी है कि विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के विजय कुमार सिन्हा राजद के 18 विधायकों पर ऐसी कार्रवाई कर सकते हैं जो सरकार के जाने और रहने में महत्वपूर्ण हो सकती है।
हिन्दुस्तान की हेडलाइन हैः बिहार में नए गठबंधन की आहट। प्रभात खबर की सुर्खी हैः सियासत का मंगलवार। इन खबरों में यह भी बताया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच बातचीत हुई है मगर उसमें हुआ क्या, यह पता नहीं चल पाया है।
इसके साथ ही एक और सुर्खी हैः इधर, विपक्ष के 18 सदस्यों की सदस्यता खतरे में। इसी तरह की खबर की हेडिंग में जागरण ने बताया है कि राजद के 16 विधायकों की सदस्यता खतरे में है। 16 विधायकों पर कठोरतम कार्रवाई की बात कही जा रही है, दो पर कठोर। जाहिर है कि राजनीति के खेल मंें यह कोई मामूली संख्या नहीं है। अगर ऐसा होता है तो राजद का वह दावा खारिज हो जाएगा कि विधानसभा में वह सबसे बड़ी पार्टी है।
भास्कर की सबसे बड़ी खबर हैः बिहार में राजनीतिक घमासान…कहीं बदलाव की रात तो तैयार नहीं हो रही! जागरण की सबसे बड़ी हेडिंग हैः बिहार की राजनीति के लिए आज अहम दिन।
जागरण ने एक महत्वपूर्ण खबर यह दी है कि जदयू से इस्तीफा दे चुके आरसीपी सिंह की जिन संपत्तियों की चर्चा जदयू के पत्र से हुई थी, उनकी जांच अब ईओयू यानी आर्थिक अपराध इकाई करेगी।
आज की एक और अहम खबर अल्पसंख्यकों के निर्धारण के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की है। यानी अल्पसंख्यकांे का निर्धारण किस स्तर पर होगा- देश, राज्य या जिले में उनकी संख्या पर। हिन्दुस्तान की सुर्खी हैः अल्पसंख्यकों की पहचान सिर्फ राज्य स्तर परः कोर्ट। जागरणः राज्यवार होनी चाहिए धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों की पहचान। इसमें जिला स्तर पर अल्पसख्यक निर्धारण की बात नहीं मानी गयी है।
भास्कर और जागरण ने पटना के युवा मोहसिन अहमद के बारे मंे खबर दी है कि आईएसआईएस से उसके जुड़ाव और पटना में उसके नेटवर्क को एनआईए खंगाल रही है। मोहसिन को 16 अगस्त तक एनआईए की हिरासत में भेजा गया है।
बिहार में छात्राओं को बीए करने पर 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने में देरी की शिकायत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नियम में बदलाव का निर्देश दिया है। अभी इसके लिए यूनिवर्सिटी से वेरिफिकेशन जरूरी है मगर वहां से यह काम काफी देर से हो पाता है।
जेईई मेन में बिहार के अरुदीप कुमार समेत 24 उम्मीदवारों को 100 परसेंटाइल आया है। यह खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है।
अनछपीः भारत में अल्पसंख्यकों होने का लाभ वैसे तो छह धार्मिक समूहों को मिलता है लेकिन इसके लिए सारे हमले मुसलमानों को झेलने पड़ते हैं। दूसरी ओर यह कोशिश भी रहती है कि बहुसंख्यक हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए ताकि थोड़े-बहुत लाभ इस नाम पर हासिल करें। सुप्रीम कोर्ट मंे यह अर्जी दी गयी थी कि अल्पसंख्यकों का निर्धारण जिला स्तर पर किया जाए। अब सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि अल्पसंख्यक का निर्धारण राज्य स्तर पर किया जाएगा, जिला स्तर पर नहीं। लेकिन जिस वर्ग को इसमें विफलता मिली है, वह कोई और पेच निकाले तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।

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