छ्पी-अनछपी: माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर ठप होने से भारी परेशानी, बांग्लादेश में गृह युद्ध जैसे हालात

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में आई खराबी के बाद दुनिया भर में परेशानी छाई रही। बांग्लादेश में रिजर्वेशन के खिलाफ चल रहे हैं आंदोलन से गृह युद्ध जैसे हालात हो गए हैं। बिहार की ग्राम पंचायतों में अब 15 लाख तक की लागत वाला काम भी टेंडर से किया जाएगा। बिहार में कई परियोजनाओं पर काम करने वाली निर्माण कंपनी एसपी सिंगला के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी हुई है।

आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: माइक्रोसॉफ्ट में गड़बड़ी से दुनिया थमी। माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 10 का इस्तेमाल करने वाले टर्मिनल में ब्लू स्क्रीन आने के कारण शुक्रवार को दुनिया एक तरह से ठहर दी गई। इस आउटेज के कारण कई देशों में उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। बैंकों और अस्पतालों की प्रणालियों ऑफलाइन हो गईं और मीडिया प्रतिष्ठानों का कामकाज रुक गया। इस आउटेज की वजह से दुनिया भर की कंपनियों और सेवाएं प्रभावित हुईं। भारत के जनजीवन पर भी इसका व्यापक असर हुआ। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु समेत विभिन्न शहरों में सैकड़ों उड़ानें बाधित होने से यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं शेयर बाजार से जुड़ी ब्रोकर एजेंसी का कामकाज भी प्रभावित हुआ जिसकी वजह से शेयर कारोबार में दिक्कतें पैदा हुई। देश में इंडिगो की ही करीब 200 उड़ानें रद्द हुईं। इसके अलावा पटना और दरभंगा एयरपोर्ट से पांच जोड़ी उड़ानों को रद्द किया गया।

बांग्लादेश में गृहयुद्ध जैसे हालात

भास्कर के अनुसार आरक्षण को लेकर शुरू हुए छात्र आंदोलन के कारण बांग्लादेश में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। शुक्रवार तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और ढाई हजार से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। घायलों में 100 से ज्यादा पुलिस वाले भी हैं। प्रदर्शनकारियों ने मध्य बांग्लादेश के नरसिंगड़ी स्थित एक जेल फूंक दी और सैकड़ों कैदियों को भगा दिया। पूरे देश में इंटरनेट और फोन सेवा बंद है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि शुक्रवार आधी रात के बाद देश भर में कर्फ्यू लगाना पड़ा है। वहीं पूरे देश में को सेना के हवाले करना पड़ा है। बांग्लादेश के 64 जिलों में से आधे से ज्यादा में हिंसा जारी है और पिछले 24 घंटे में ही 52 लोगों की मौत हुई है।

पंचायतों में 15 लाख तक के योजनाओं का भी टेंडर होगा

हिन्दुस्तान के अनुसार पंचायतों में 15 लाख से कम की योजना का भी अब टेंडर होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में शुक्रवार को पंचायत निर्माण कार्य मैनुअल की इस नयी योजना पर सहमति दी गयी। बैठक में 27 एजेंडों पर मुहर लगी। अभी राज्य के 8057 पंचायतों में 9000 करोड़ से ज्यादा रुपये की 4 लाख से अधिक योजनाओं पर काम चल रहा है। योजनाएं विभागीय रुप से करायी जाती हैं जिसमें पंचायत सचिव व कर्मी ही ठेकेदार होते हैं। इससे काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और वित्तीय अनियमितता की शिकायतें मिलती रहती हैं।

निर्माण कंपनी एसपी सिंगला के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

जागरण के अनुसार ईडी बिहार में पूरे एक्शन में है। आईएएस संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के बाद ईडी ने शुक्रवार की सुबह ही निर्माण कंपनी एसपी सिंगला के बिहार सहित देश के दूसरे कई ठिकानों पर एक साथ दबिश दी। ईडी की यह कार्रवाई पटना के अलावा भागलपुर, दिल्ली और पंचकूला में एक साथ की गई। जांच के दौरान ईडी ने निर्माण कंपनी के ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज, कंप्यूटर हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव समेत कई अन्य चीजें जब्त कीं। ईडी की यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की गई है। यह कंपनी बिहार में आठ बड़े पुलों का निर्माण कर रही है। सूत्रों का कहना है कि ईडी की इस कार्रवाई के तार आईएएस संजीव हंस से भी जुड़ रहे हैं।

ब्रिटेन के लीड्स में हिंसा

प्रभात खबर के अनुसार ब्रिटेन के लीड्स शहर में गुरुवार को दंगा भड़क गया। दंगाइयों ने एक डबल डेकर बस में आग लगा दी और एक पुलिस की गाड़ी पलट दी। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी शहर के बीच मध्य में जुटे और फिर जमकर बवाल काटा। दंगाइयों ने आम लोगों की गाड़ियों की खिड़कियों को तोड़ दिया। हिंसा में सैकड़ों लोगों ने पुलिस की गाड़ियों पर पत्थर फेंकते हुए अधिकारियों से झड़प की। इन दंगों का कारण स्थानीय चाइल्ड केयर एजेंसी की तरफ से बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर चाइल्ड केयर होम में रखना बताया जा रहा है।

अपराध नियंत्रण में कोताही बर्दाश्त नहीं: नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि अपराध काबू करने में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से साफ तौर पर कहा कि विधि व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। लिहाजा, कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए पुलिस और प्रशासन मुस्तैदी से कार्य करे और अपराध नियंत्रण के लिए पूरी सख्ती से कार्रवाई करे। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक, अणे मार्ग स्थित संकल्प में विधि व्यवस्था की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने लापरवाह पुलिसकर्मियों को चेतावनी भी दी और कहा कि कार्य में लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

राज्यपाल को मुकदमे से छूट की समीक्षा करेगा कोर्ट

प्रभात खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 361 के उन प्रावधानों की समीक्षा करेगा जिसके तहत राज्यपालों को किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे से पूरी तरह छूट मिली हुई है। शीर्ष अदालत ने यह आदेश पश्चिम बंगाल राजभवन में ठेके पर कार्यरत उस महिला कर्मचारी की याचिका पर दिया है जिसने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर छेड़छाड़ करने और अधिकारियों द्वारा उसे गलत तरीके से बंधक बनाए रखने का आरोप लगाया है।

कुछ और सुर्खियां

  • बेगूसराय में स्कूल से छुट्टी होने के बाद बूढ़ी गंडक में नहाने उतरे चार छात्रों की डूबने से मौत
  • नीट यूजी पेपर लीक मामले में पटना एम्स से गिरफ्तार चारों छात्र सस्पेंड होंगे
  • शिक्षक भर्ती परीक्षा में आठ फर्जी परीक्षार्थी गिरफ्तार
  • संसद के मॉनसून सत्र में 6 नए विधेयक पेश करेगी सरकार
  • गोपालगंज के फुलवरिया गांव में सेप्टिक टैंक का शटरिंग खोलने में दम घुटने से दो मरे

अनछपी: उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर दुकान के मालिकों का नाम अनिवार्य रूप से लगाने के आदेश के पीछे क्या मंशा हो सकती है? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले के बारे में दी गई खबर में यह जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन इस आदेश से पहले मुजफ्फरनगर की पुलिस ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किससे सामान लेना है, इसका फैसला करने में आसानी हो इसीलिए यह आदेश जारी किया गया है। जब सोशल मीडिया पर इसका भारी विरोध हुआ तो मुजफ्फरनगर की पुलिस ने यह कहकर अपना पिंड छुड़ाना चाहा कि यह स्वैच्छिक है। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी छवि के अनुरूप पूरे उत्तर प्रदेश में इस फैसले को लागू करने की बात कही। इस आदेश का सीधा-सीधा मकसद यह है कि कांवड़ यात्री मुसलमान दुकानदारों से सामान ना लें। अगर आदेश को देखा जाए तो ऐसी कोई बात उसमें नहीं लिखी गई है लेकिन नाम उजागर होने से ही मालूम हो सकेगा कि कौन दुकान किस समुदाय के लोगों की है। इसके अलावा इस आदेश का कोई और मकसद नहीं हो सकता। और इसका सीधा मतलब यह है कि मुसलमान को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जाए। अपना रोजगार करने वालों के साथ सरकार की इस हरकत की जितनी निंदा की जाए कम है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहले ही इस आदेश की आलोचना की थी और इसे भेदभावपूर्ण बताया था। इसके अलावा अपनी आलोचना से बचने के लिए जनता दल (यूनाइटेड) और चिराग पासवान भी इस आदेश को भेदभावपूर्ण बताते हुए वापस लेने की मांग कर रहे हैं लेकिन वह यह नहीं कह रहे हैं कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो वह क्या करेंगे? जाहिर है इस आदेश के बावजूद जनता दल यूनाइटेड और चिराग पासवान उसी भारतीय जनता पार्टी को समर्थन करेंगे जिसके आदेश का वह नाम के लिए विरोध कर रहे हैं। इस खबर के दूसरे हिस्से में यह कहा गया है कि हलाल प्रमाण पत्र वाली खाद्य सामग्री बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा उत्तराखंड में भी कांवड़ मार्ग पर हर दुकानदार को अपना नाम और मोबाइल नंबर भी लिखना होगा। सरकारी स्तर पर हिंदू मुसलमान का भेदभाव करने वाले इस आदेश का क्या अदालतों को खुद से संज्ञान नहीं लेना चाहिए? जो बात अखिलेश यादव और चिराग पासवान समझ रहे हैं क्या वह बात अदालतें नहीं समझ पा रही हैं? अदालतों को इस आदेश की धूर्तता का पता तो जरूर चल गया होगा। संविधान में जिस बंधुत्व की भावना पर जोर दिया गया है उसे तार तार करने वाले इस आदेश को रोकना अब अदालत के ही जिम्मे है।

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