कैबिनेट की स्पेलिंग और सरकारी नौकरी की ABCD
सैयद जावेद हसन, मुख्य संपादक
2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में अब सबसे बड़ा मुद्दा युवाओं की बेरोजगारी और सरकारी नौकरी हो गया है। निसंदेह इसका क्रेडिट महागठबंधन को जाता है। यह अलग बात है कि इस मुद्दा सेटिंग की वजह से जहां एक तरफ एनडीए नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं, वहीं तेजस्वी यादव उनके निशाने पर आ गए हैं।
सबसे पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने ही 10 लाख बेरोगजार नवजवानों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। इसका जिक्र पार्टी के घोषणापत्र में भी किया किया। तेजस्वी कहते हैं, ‘हम प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह रोगजार की बात नहीं करते हैं। पकौड़ा तलना, बूट पाॅलिश करना भी रोजगार है। लेकिन हम सरकारी नौकरी की बात कर रहे हैं। कैबिनेट की पहली बैठक में इस फैसले पर मुहर लगेगी।’
10 लाख सरकारी नौकरी देने का वायदा कांग्रेस ने भी अपने घोषणापत्र में किया। महागठबंधन की इन दोनों बड़ी पार्टियों के नौकरी देने के वायदे ने नवजवानों में एक अलग तरह का ही जोश भर दिया। शायद यही वजह है कि प्रथम और दूसरे चरण के चुनाव के लिए तेजस्वी यादव जहा भी भाषण देने गए, भीड़ उमड़ पड़ी।
लेकिन एनडीए और भाजपा ने जिस तरह विपक्षी दलों के नौकरी देने वाले वायदे का मजाक उड़ाया, उससे उनकी हताशा का पता चलता है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सवाल पूछा कि तेजस्वी इतनी बड़ी संख्या में नियुक्त हुए लोगों को वेतन कहां से देंगे? इसके जवाब में राजद सांसद मनोझ झा ने कहा कि जिन लोगों ने सृजन घोटाला किया है, उन्हीं से पैसे लेकर नवनियुक्त लोगों को वेतन देंगे।
सरकारी नौकरी के मुद्दे को और आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तो स्वास्थ्य विभाग में डिग्री लाओ नौकरी पाओ तक की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए डाॅक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ की हर 15 दिनों में बहाली करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि योग्य उम्मीदवारों को भर्ती बोर्ड या आयोग की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।
जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव भी इस तरह की घोषणा करने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने ऐलान किया कि उनका गठबंधन पीडीए सत्ता में आया तो सिपाही भर्ती में लिखित परीक्षा को खत्म कर दिया जाएगा।
लेकिन जदयू और भाजपा नेता सरकारी नौकरी वाली घोषणाओं का मजाक ही उड़ाते रह गए। एनडीए के बड़े नेताओं ने कहा कि तेजस्वी 10 लाख बेरोजगारों को नौकरी नहीं देंगे बल्कि उम्मीदवारों से एक-एक नौकरी का 10-10 लाख रुपया लेंगे। केन्द्रीय मंत्री अश्विनेी चैबे ने कहा कि ‘तेजस्वी यादव 10 लाख लोगों को क्या रोजगार देंगे, उन्हें तो कैबिनेट की स्पेलिंग भी नहीं आती।’
तेजस्वी को कैबिनेट को स्पेलिंग आती हो या नहीं, लेकिन अच्छी बात ये है कि इस चुनाव में सरकारी नौकरी की एबीसीडी जरूर शुरू हो गई है। अब देखना है कि 2020 की चुनावी शिक्षा में जनता किसे और कितना माक्र्स देती है।
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