बिहार उपचुनावः लालू प्रसाद का विसर्जन-बयान, नीतीश बोले- गोली ही मरवा दें

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना।
बिहार की दो विधानसभा सीटों के लिए 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव के प्रचार के अंतिम दिन से एक दिन पहले मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो के विसर्जन वाले बयान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इतना आहत कर दिया कि उन्होंने कह दिया कि और कर ही क्या सकते हैं, चाहें तो गोली मरवा दें। जिन दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं वे हैं -तारापुर और कुशेश्वरस्थान। दोनों जगहों के उपचुनाव के लिए बुधवार को प्रचार समाप्त हो गया।
लालू प्रसाद ने अपने एक इंटरव्यू में अपने खास अंदाज में यह कहा कि उनके बेटे और महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार रहे तेजस्वी यादव ने पहले ही विरोधियों को उखाड़ फेंका है, जो थोड़ा बहुत बचा है तो इनका विसर्जन करने खुद आ गये हैं।
जाहिर है लालू प्रसाद ने जब विसर्जन की बात कही तो उनके कहने का मतलब यही था कि बाकी बचा हुआ काम पूरा कर देंगे। यह बाकी बचा हुआ काम उनकी नजर में शायद नीतीश सरकार को गिराना और तेजस्वी के नेतृत्व में सरकार बनाना है।
दूसरी ओर नीतीश कुमार ने इसके जवाब में पत्रकारों से कहा कि वे और कुछ नहीं कर सकते, सबसे अच्छा यही होगा कि वे गोली ही मरवा दें।
इस बयानी जंग के हटकर देखा जाए तो लालू प्रसाद को असल में सरकार गिराने और बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। सबको पता है कि नीतीश सरकार गिराने के लिए जरूरी है कि एनडीए के कुल विधायकों की संख्या 122 से कम हो जिसकी संभावना कम बतायी जाती है। इस समय आरजेडी के पास 75 और भाजपा के पास 74 विधायक हैं। भाजपा और जदयू के विधायकों के साथ एनडीए की सरकार को बचाये रखने में निर्णायक भूमिका मुकेश सहनी की वीआईपी और जीतन राम मांझी के ’हम’ चार-चार विधायक हैं। अगर इन दलों के विधायक इधर-उधर होते हैं तो इस खेल में एआईएमआईएम के पांच विधायकों की भूमिका अहम हो जाएगी।
तो महज दो सीटों के लिए इतनी बयानबाजी का क्या मतलब है? राजनीतिक प्रेक्षक कहते हैं कि इन दो सीटों पर हार-जीत से बयानबाजी और तेज होगी। इसके अलावा राजद और कांग्रेस के बीच अभी चल रहे घमासान की दिशा भी तय होगी। इस प्रकरण में लालू प्रसाद के ’भकचोंधर’ वाले बयान से भी कांग्रेस के लोग खफा हैं। दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा कि कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व राजद से अलग होने के मूड में नहीं है।

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