छ्पी-अनछपी: ईरान में फंसे हैं दस हजार भारतीय, तीन तलाक़ का दावा हाईकोर्ट से खारिज
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। इसराइल के साथ जारी जंग के दौरान करीब 10000 भारतीय ईरान में फंसे हुए हैं। पटना हाई कोर्ट ने तीन तलाक के दावे को खारिज कर कहा है कि विवाह का रिश्ता अभी कायम है। एक ही दिन चार हवाई जहाजों में तकनीकी खराबी आने की शिकायत मिली है। बिहार में 1172 अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की तैयारी चल रही है।
और, जानिएगा कि बिहार में कितने पेड़ 100 साल से पुराने हैं।
पहली खबर
भास्कर के अनुसार जंग के चलते ईरान में फंसे करीब 10000 भारतीयों को आर्मेनिया के रास्ते सुरक्षित निकालने का मिशन शुरू हो चुका है। सोमवार रात को 110 भारतीय छात्रों का पहला बैच आर्मेनिया बॉर्डर पर पहुंच गया। यहां से उन्हें आर्मेनिया के येरेवन एयरपोर्ट ले जाया जाएगा। सबसे पहले 1500 भारतीय स्टूडेंट्स को लाया जाएगा जो तेहरान, सिराज और कुम शहरों में है। दरअसल ईरान ने कहा था कि विदेशी नागरिक देश छोड़ सकते हैं। इसके लिए उनके जमीनी बॉर्डर खुले हुए हैं। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आर्मेनियाई समकक्ष से बात की। फिर विदेश मंत्रालय ने भारतीय छात्रों को दूतावास की निगरानी में सुरक्षित जगह शिफ्ट करने की बात कही हालांकि इसराइल में फंसे 25000 भारतीयों को निकालने का भी प्लान नहीं बना है।
परमाणु संधि तोड़ने की तैयारी में ईरान
हिन्दुस्तान के अनुसार ईरान-इसराइल में चार दिनों से जारी संघर्ष के बीच सोमवार को ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) से बाहर निकलने की धमकी दी। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बागेई ने कहा कि हम एनपीटी से बाहर निकलने के लिए विधेयक तैयार कर रहे हैं। जल्द प्रस्ताव तैयार कर संसद में पेश करेंगे। इसका प्रभाव यह होगा कि ईरान पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी खत्म होगी। परमाणु हथियार बनाने में कम बाधा होगी। भविष्य में परमाणु समझौते की संभावना भी क्षीण हो जाएगी। इसराइल ने रविवार देर रात ईरानी खुफिया विभाग के प्रमुख सहित चार अधिकारियों को मार दिया था। सोमवार को उसने कई सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया। उसके बाद ईरान ने एक साथ सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दीं। इसमें 11 लोगों की मौत हो गई जबकि सौ से ज्यादा घायल हैं। ईरान ने कहा कि उसने सौ मिसाइलें दागीं। वहीं, इसराइल के रक्षा मंत्री ने तेहरान पर और भीषण बमबारी करने की चेतावनी दी है। इसराइल के अनुसार, अब तक 120 मिसाइल लॉन्चर नष्ट किए। 50 लड़ाकू जेट और विमानों ने मिसाइल भंडारण स्थलों को नष्ट किया।
इसराइल के हमले में कई ईरानी पत्रकारों की मौत
भारत में ईरान के दूतावास ने सोमवार को एक इमारत से धुआं निकलते हुए एक फोटो साझा की। दूतावास ने कहा कि उसके सरकारी रेडियो और टेलीविजन भवन पर इसराइल ने हमला किया। इसमें बड़ी संख्या में ईरानी पत्रकारों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। लाइव कवरेज के दौरान एक महिला पत्रकार भी हमले की चपेट में आ गई। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। एक्स पर एक पोस्ट में विवरण साझा करते हुए दूतावास ने कहा कि यह एक आपराधिक कृत्य है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का खुला उल्लंघन किया गया है। दूतावास ने उम्मीद जताई कि भारतीय मीडिया इस आपराधिक कृत्य की कड़ी निंदा करेगा। इससे पहले सोमवार को ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने एक्स पोस्ट में कहा था कि हम कभी भी आक्रामक नहीं रहे हैं और न ही हैं, लेकिन हम क्रूर हमलावरों के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं।
तीन तलाक़ का दावा हाईकोर्ट से खारिज
जागरण के अनुसार पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में तीन तलाक को वैध मानने से इनकार करते हुए परिवार न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। न्यायाधीश पीबी बजनथ्री और न्यायाधीश एसबीपी सिंह की खंडपीठ ने शम्स तबरेज बना इशरत जहां मामले में यह फैसला सुनाया। शम्स तबरेज ने पश्चिमी चंपारण के परिवार न्यायालय में एक बात दायर का दावा किया था कि उन्होंने 8 अक्टूबर 2007 को अपनी पत्नी इशरत जहां को तीन बार तलाक कहा और वैवाहिक संबंध समाप्त कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि तलाक के पश्चात उन्होंने दैन मोहर और इद्दत की राशि का भुगतान कर दिया लेकिन फैमिली कोर्ट ने उनका यह दावा खारिज कर दिया। इसके बाद तबरेज ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि गवाहों की उपस्थिति में तलाक हुई और इस्लामी कोर्ट दारुल कजा बेतिया ने भी पत्नी को ससुराल लौटने का निर्देश दिया था जिसे उसने नहीं माना। वही पत्नी इरशाद जहां ने दावा किया कि कानून वह आज भी समस्त तबरेज की पत्नी है। शादी के बाद उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया और अंत तक घर से निकाल दिया गया। हाई कोर्ट ने मामले के अवलोकन के दौरान साफ तौर पर कहा कि तीन तलाक का कोई ठोस और कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। गवाहों की गवाही विरोधाभासी और अस्पष्ट रही।
तबरेज ने बताई अपनी मजबूरी
हिन्दुस्तान के अनुसार तबरेज ने कोर्ट को बताया कि वह एक गरीब व्यक्ति है, जो जूते की दुकान पर सेल्समैन है, जबकि पत्नी के माता-पिता आर्थिक रूप से संपन्न हैं। अर्जी में यह भी कहा गया कि शम्स ने मामले को शांत करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसके सभी प्रयास बेकार गए। अंततः उसने बेतिया के दारुल कजा में मामला दायर किया। दारुल कजा ने पत्नी को उसकी ससुराल में रहने का आदेश दिया, लेकिन 15 दिन बाद अपने भाइयों के पास पैतृक घर चली गई। तब से वह अपने पैतृक घर में रह रही है। आवेदक ने मुस्लिम कानून की धारा 281 के तहत वैवाहिक मामला संख्या 03/2007 भी दायर किया, लेकिन सिविल कोर्ट के आदेश के बावजूद पत्नी अपने भाइयों के साथ अपने माता-पिता के घर चली गई और अदालत के आदेश की अवहेलना की। पत्नी के भाइयों के हस्तक्षेप के कारण, स्थिति इतनी तनावपूर्ण और कटु हो गई कि आवेदक ने पत्नी को तीन बार ‘तलाक’ कहने का फैसला किया।
चार हवाई जहाजों में तकनीकी खराबी से सांस अटकी रही
हिन्दुस्तान के अनुसार चार विमानों में आई तकनीकी खराबी से यात्रियों की सांसें अटकी रहीं। इनमें एअर इंडिया, एअर इंडिया एक्सप्रेस, ब्रिटिश एयरवेज, सऊदिया एयरलाइंस के विमान शामिल हैं। हांगकांग से सोमवार को दिल्ली आ रहे एअर इंडिया के विमान में उड़ान के दौरान तकनीकी खराबी का संदेह हुआ। इसके बाद उसे वापस हांगकांग भेजा गया। रविवार को लंदन से चेन्नई आ रहे ब्रिटिश एयरवेज के विमान को तकनीकी खराब के चलते लौटना पड़ा। दिल्ली से रांची जा रहे एअर इंडिया एक्सप्रेस के विमान को उड़ान भरने के बाद तकनीकी खराबी के संदेह पर बुलाया गया। जांच के बाद विमान ने दोबारा उड़ान भरी। लखनऊ में रविवार को सऊदिया एयरलाइंस के विमान के पहियों से धुआं उठने का वीडियो वायरल होने पर डीजीसीए ने रिपोर्ट तलब की है। घटना 15 जून की है। हैदराबाद जा रहे लुफ्थांसा के विमान को बम की धमकी के बाद फ्रैंकफर्ट हवाईअड्डे पर लौटना पड़ा।
बिहार में 1172 अपराधियों की संपत्ति जब्त होगी
जागरण के अनुसार बिहार पुलिस ने अपराधियों की अवैध संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। राज्य के 1249 थानों में अब तक 1172 आरोपियों की संपत्ति को जब्ती के लिए चिन्हित किया गया है। इनमें बालू शराब और भूमि माफिया के साथ-साथ रंगदारी लूट आदि के जरिए अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले अपराधी शामिल हैं। इसके अलावा हत्या, डकैती और लूट जैसे गंभीर कांडों में जल्द सजा दिलाने के लिए 100 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट भी खोले जाएंगे।
बिहार के 100 साल से पुराने पेड़
प्रभात खबर के अनुसार बिहार में जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने की दिशा में आम पहल करते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने राज्य भर के 1500 चिन्हित पेड़ों में से 32 को जैव विविधता विरासत वृक्ष घोषित करने के लिए चुना है। इनमें से 27 वृक्ष 100 साल से अधिक पुराने हैं जबकि औरंगाबाद के एक बरगद की उम्र 500 साल से अधिक बताई गई है। औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड की दक्षिणी उमगा पंचायत में स्थित विशालकाय बरगद अपने आकार, विस्तार और स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव के लिए वर्षों से चर्चित रहा है।
कुछ और सुर्खियां:
- भारत में जनगणना और जातिगत जनगणना के लिए नोटिफिकेशन जारी
- पटना जिले के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के साथ कोचिंग संस्थान सुबह 11:00 बजे के बाद नहीं चलेंगे
- बिहार में कल तक मानसून देगा दस्तक, गर्मी से मिलेगी राहत
- अहमदाबाद विमान हादसे में डीएनए टेस्ट से 119 लोगों की हुई शिनाख्त, 76 शव परिजनों को सौंप गए
अनछपी: तीन तलाक के एक मामले को पटना हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए आने के फैसले पर गंभीर चर्चा की जरूरत है क्योंकि यह लगभग 18 साल पुराना मामला है और अगर हमारी न्यायिक प्रक्रिया तलाक के एक फैसले लेने में इतना लंबा समय लेती है तो तलाक और शादी का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इस मामले में जो जानकारी सामने आई है उससे ऐसा लगता है कि शम्स तबरेज नाम के आदमी ने फैमिली कोर्ट के अलावा अनौपचारिक सुलह सफाई की कोशिश करते हुए दारुल कजा से भी मदद ली। आमतौर पर देखा जाता है कि हमारी संवैधानिक अदालतें तलाक की अर्जियों को टालती रहती हैं। उनका मकसद शायद यह रहता है कि शादी किसी तरह बच जाए लेकिन यह भी ध्यान देने की बात है कि आखिर शादी को किस तरह बचाया जा रहा है जबकि तलाक की अर्जी देने वाला अपनी बीवी से 18-18 साल से अलग रह रहा है? दूसरे मामलों में यह भी हो सकता है की बीवी तलाक चाहती हो लेकिन अदालत के राजी ना होने की वजह से शादी को कृत्रिम रूप से बनाए रखा गया हो। एक पुरानी कहावत है मियां बीबी राजी तो क्या करे काज़ी। लेकिन यहां इस कहावत के उलट मियां या बीवी अगर तलाक चाहते हों तब भी काज़ी यानी अदालत ऐसा नहीं होने देती। यह बात ध्यान देने की है कि जिस दारुल क़ज़ा या मध्यस्थता केंद्र के फैसले को मारने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है वहां के काज़ी तो जल्द ही फैसला सुना देते हैं लेकिन जिस अदालत की बात मानना सबके लिए जरूरी होती है वहां से फैसला आने में इतनी देर लगती है। अब पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद यह सवाल भी पैदा होता है कि जो शादी 18 साल से नाकाम है उसे अदालत के फैसले से कैसे कामयाब बनाया जा सकता है? पटना हाई कोर्ट ने तकनीकी आधार पर इस तलाक के मामले को खारिज किया है लेकिन फिर वही सवाल कि क्या कोई शादी केवल तकनीकी आधार पर कामयाब हो सकती है? भारतीय समाज में वैवाहिक रिश्ते और तलाक के मामले में अदालतों का रवैया बहुत ही मायूसी भरा है और इसे बदलने की जरूरत है।
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