इस बार दावत-ए-इफ़्तार में होली की इतनी चर्चा क्यों?
बिहार लोक संवाद
हर साल रमजान आता है और रमजान के मौके पर दावते इफ्तार का एहतिमाम होता है। लेकिन इस बार की दावते इफ्तार की बात ही अलग है। जहां कहीं भी दावते इफ्तार है, होली की चर्चा जरूर हो रही है। आपसी मेलजोल का जिक्र हो रहा है। भाईचारे की बात हो रही है। ये उनलोगों के लिए तकलीफदेह बात हो सकती है, जिन्हें हिन्दू-मुस्लिम के बीच आपसी भाईचारा पसंद नहीं। जिन्हें लगता है कि इन दोनों साम्प्रदायों के बीच जितना टकराव बढ़ेगा, उनकी सियासत उतनी ही मजबूत होगी। लेकिन हमारे समाज और सियासत में ऐसे बेशुमार लोग हैं, ऐसे हिन्दू, ऐसे भाजपाई मौजूद हैं, जो मानते हैं कि हिन्दू मुस्लिम से पैदा हुई हिन्दुस्तानी संस्कृति इस देश की बहुमूल्य विरासत है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कहते हैं कि सामाजिक सौहार्द्र और साम्प्रदायिक एकता को मजबूत करने की दिशा में सबको मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए।
अब हम आपको ले चलते हैं कुछ दावते इफ्तार में जहां सामाजिक सौहार्द्र और साम्प्रदायिक एकता की मिसाल देखते बनती है। ये मंजर है, जमाअते इस्लामी हिन्द, बिहार की ओर से पटना में आयोजित दावते इफ्तार का। इसमें प्रतिपेक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, आरजेडी सांसद संजय यादव और कुम्हरार के विधायक अरुण कुमार सिन्हा समेत बड़ी संख्या में विभिन्न धर्मों के लोगों ने शिरकत की। इस मौके पर तेजस्वी ने कहा कि अनेकता में एकता इस देश की खूबसूरती है।
अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से प्रेरित होकर वो भी दावते इफ्तार का आयोजन किया करते थे।
बिहार लोक संवाद
हर साल रमजान आता है और रमजान के मौके पर दावते इफ्तार का एहतिमाम होता है। लेकिन इस बार की दावते इफ्तार की बात ही अलग है। जहां कहीं भी दावते इफ्तार है, होली की चर्चा जरूर हो रही है। आपसी मेलजोल का जिक्र हो रहा है। भाईचारे की बात हो रही है। ये उनलोगों के लिए तकलीफदेह बात हो सकती है, जिन्हें हिन्दू-मुस्लिम के बीच आपसी भाईचारा पसंद नहीं। जिन्हें लगता है कि इन दोनों साम्प्रदायों के बीच जितना टकराव बढ़ेगा, उनकी सियासत उतनी ही मजबूत होगी। लेकिन हमारे समाज और सियासत में ऐसे बेशुमार लोग हैं, ऐसे हिन्दू, ऐसे भाजपाई मौजूद हैं, जो मानते हैं कि हिन्दू मुस्लिम से पैदा हुई हिन्दुस्तानी संस्कृति इस देश की बहुमूल्य विरासत है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कहते हैं कि सामाजिक सौहार्द्र और साम्प्रदायिक एकता को मजबूत करने की दिशा में सबको मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए।
अब हम आपको ले चलते हैं कुछ दावते इफ्तार में जहां सामाजिक सौहार्द्र और साम्प्रदायिक एकता की मिसाल देखते बनती है। ये मंजर है, जमाअते इस्लामी हिन्द, बिहार की ओर से पटना में आयोजित दावते इफ्तार का। इसमें प्रतिपेक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, आरजेडी सांसद संजय यादव और कुम्हरार के विधायक अरुण कुमार सिन्हा समेत बड़ी संख्या में विभिन्न धर्मों के लोगों ने शिरकत की। इस मौके पर तेजस्वी ने कहा कि अनेकता में एकता इस देश की खूबसूरती है।
अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से प्रेरित होकर वो भी दावते इफ्तार का आयोजन किया करते थे।
जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने बुद्धिजीवियों से अपील करते हुए कहा कि वे सदभावना के संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
अब हम आपको ले चलते हैं बिहार राब्ता कमिटी के महिला विंग की दावते इफ्तार में। इस दावते इफ्तार में बड़ी संख्या में विभिन्न धर्माें की महिलाओं ने शिरकत की। यहां मर्दों के लिए अलग से इंतेजाम था। सामाजिक कार्यकर्ता कंचनबाला कहती हैं कि महिलाओं में भी आपसी प्रेम का जज्बा काफी मजबूत है।
लोकतांत्रिक जनपहल के संयोजक सत्यनारायण मदन कहते हैं कि सवाल हिन्दू-मुसलमान का नहीं है, बल्कि जो हमारी साझी परंपरा है, सवाल दरअसल उसका है।
महिलाओं की एक दावते इफ्तार जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के महिला विभाग की ओर से भी हुई। इसमें विभिन्न धर्मों की महिलाओं ने शिरकत की। सद्भावना मंच पटना सेन्ट्रल की अध्यक्ष सुनीतता सिंह कहती हैं कि हमें त्योहारों की खुशियां एक साथ मनाने की परंपरा को मजबूत करना चाहिए।
ये मंजर सियासी लीडर अशफाक रहमान की दावते इफ्तार का है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोगों ने शिरकत की। कुछ चेहरों को एक साथ देखकर आपके जेहन में अनेकता में एकता, कसरत में वहदत का तसव्वुर पैदा हो जाएगा। इस दावते इफ्तार में भी होली का जिक्र होता रहा। बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि ये वही भारतीय संस्कृति है जिसमें हिन्दू-मुसलमान सैंकड़ों साल से मिलजुल कर रहते आ रहे हैं।
ये मंजर हेल्थ प्रोफेशनल्स फॉर हयूमैनिटीज की तरफ से पटना में आयोजित दावते इफ्तार का है। इसमें अच्छी-खासी तादाद में डॉक्टरों समेत विभिन्न धर्म के लोगों ने शिरकत की।
अब हम आपको कटिहार जिले के मनिहारी में आयोजित दावते इफ्तार में ले चलते हैं। मनिहारी के कांग्रेस विधायक मनोहर प्रसाद सिंह की आयोजित इस दावते इफ्तार में होली मिलन समारोह भी आयोजित हुआ। इस मौके पर हिन्दू मुसलमान ने एक दूसरे को बधाई दी। वहीं, मनोहर प्रसाद सिंह ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वो खुद को भाग्यशाली महसूस करते हैं कि आपसी मेलजोल में यकीन रखने वाली जनता उनके साथ है।
आपसी मेलजोल में यकीन रखने वाली ये जनता ही है जिसने इस रमजान और होली को यादगार बना दिया। ये मंजर नालंदा का है जहां होली के बीच जुमे की नमाज अदा की गई और बिलकुल पुरसकून माहौल में। बिना किसी डर या खौफ के। स्थानीय बाशिंदा खुर्शीद आलम ने बताया कि भाईचारे के माहौल में दोनों समुदायों ने अपने धार्मिक रसूम अदा किए।
ऐसे ही भाईचारे का माहौल पटना जंक्शन के करीब जामा मस्जिद के आसपास भी नजर आया जब जुमे के रोज होली मनाई गई। या ये कहिए कि होली के दिन जुमे की नमाज अदा की गई। वो भी मस्जिद के बाहर, सड़क किनारे। नमाज के बाद हिन्दू-मुस्लिम भाइयों और पुलिस अमलों के साथ गले मिलकर आपसी प्रेम का संदेश दिया गया।
ये आपसी प्रेम और भाईचारे की देन है कि बिहार में पैदा किए गए डर के विपरीत कोई बड़ी अप्रीय घटना नहीं घटी। इसे खुद एडीजी पंकज कुमार दराद ने स्वीकार किया।
इस बार के रमजान और होली ने ये साबित कर दिया कि हमारे यहां एकता और भाईचारे की जड़ें काफी मजबूत हैं। इसकी जड़ें जितनी मजबूत होंगी, नफरत फैलाने वाले उतने ही कमजोर होंगे। सियासत हर जगह और हर मामले में नहीं चलती।जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने बुद्धिजीवियों से अपील करते हुए कहा कि वे सदभावना के संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
ब हम आपको ले चलते हैं बिहार राब्ता कमिटी के महिला विंग की दावते इफ्तार में। इस दावते इफ्तार में बड़ी संख्या में विभिन्न धर्माें की महिलाओं ने शिरकत की। यहां मर्दों के लिए अलग से इंतेजाम था। सामाजिक कार्यकर्ता कंचनबाला कहती हैं कि महिलाओं में भी आपसी प्रेम का जज्बा काफी मजबूत है।
लोकतांत्रिक जनपहल के संयोजक सत्यनारायण मदन कहते हैं कि सवाल हिन्दू-मुसलमान का नहीं है, बल्कि जो हमारी साझी परंपरा है, सवाल दरअसल उसका है।
महिलाओं की एक दावते इफ्तार जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के महिला विभाग की ओर से भी हुई। इसमें विभिन्न धर्मों की महिलाओं ने शिरकत की। सद्भावना मंच पटना सेन्ट्रल की अध्यक्ष सुनीतता सिंह कहती हैं कि हमें त्योहारों की खुशियां एक साथ मनाने की परंपरा को मजबूत करना चाहिए।
ये मंजर सियासी लीडर अशफाक रहमान की दावते इफ्तार का है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोगों ने शिरकत की। कुछ चेहरों को एक साथ देखकर आपके जेहन में अनेकता में एकता, कसरत में वहदत का तसव्वुर पैदा हो जाएगा। इस दावते इफ्तार में भी होली का जिक्र होता रहा। बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि ये वही भारतीय संस्कृति है जिसमें हिन्दू-मुसलमान सैंकड़ों साल से मिलजुल कर रहते आ रहे हैं।
ये मंजर हेल्थ प्रोफेशनल्स फॉर हयूमैनिटीज की तरफ से पटना में आयोजित दावते इफ्तार का है। इसमें अच्छी-खासी तादाद में डॉक्टरों समेत विभिन्न धर्म के लोगों ने शिरकत की।
अब हम आपको कटिहार जिले के मनिहारी में आयोजित दावते इफ्तार में ले चलते हैं। मनिहारी के कांग्रेस विधायक मनोहर प्रसाद सिंह की आयोजित इस दावते इफ्तार में होली मिलन समारोह भी आयोजित हुआ। इस मौके पर हिन्दू मुसलमान ने एक दूसरे को बधाई दी। वहीं, मनोहर प्रसाद सिंह ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वो खुद को भाग्यशाली महसूस करते हैं कि आपसी मेलजोल में यकीन रखने वाली जनता उनके साथ है।
आपसी मेलजोल में यकीन रखने वाली ये जनता ही है जिसने इस रमजान और होली को यादगार बना दिया। ये मंजर नालंदा का है जहां होली के बीच जुमे की नमाज अदा की गई और बिलकुल पुरसकून माहौल में। बिना किसी डर या खौफ के। स्थानीय बाशिंदा खुर्शीद आलम ने बताया कि भाईचारे के माहौल में दोनों समुदायों ने अपने धार्मिक रसूम अदा किए।
ऐसे ही भाईचारे का माहौल पटना जंक्शन के करीब जामा मस्जिद के आसपास भी नजर आया जब जुमे के रोज होली मनाई गई। या ये कहिए कि होली के दिन जुमे की नमाज अदा की गई। वो भी मस्जिद के बाहर, सड़क किनारे। नमाज के बाद हिन्दू-मुस्लिम भाइयों और पुलिस अमलों के साथ गले मिलकर आपसी प्रेम का संदेश दिया गया।
ये आपसी प्रेम और भाईचारे की देन है कि बिहार में पैदा किए गए डर के विपरीत कोई बड़ी अप्रीय घटना नहीं घटी। इसे खुद एडीजी पंकज कुमार दराद ने स्वीकार किया।
इस बार के रमजान और होली ने ये साबित कर दिया कि हमारे यहां एकता और भाईचारे की जड़ें काफी मजबूत हैं। इसकी जड़ें जितनी मजबूत होंगी, नफरत फैलाने वाले उतने ही कमजोर होंगे। सियासत हर जगह और हर मामले में नहीं चलती।
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