छपी-अनछपी: उम्रकैद काट रहे आनंद मोहन सहरसा जेल से रिहा, दंतेवाड़ा में बड़ा नक्सली हमला
हार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोष में सजा काट रहे बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह करीब 16 साल के बाद जेल से रिहा कर दिए गए हैं। उनकी रिहाई गुरुवार यानी आज सुबह 6:00 बजे के लगभग हुए जिसके कारण यह खबर अखबारों में नहीं है। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर नक्सली हमला हुआ है जिसमें राज्य पुलिस के 10 जवानों के मारे जाने की खबर है। सड़क दुर्घटना में ज़ख़्मी हुए शख्स को अस्पताल पहुंचाने वालों को पुरस्कार के रूप में पहले ₹5000 मिलते थे जिसे बढ़ाकर 10,000 कर दिया गया है। इसकी खबर भी प्रमुखता से ली गई है।
बिहार सरकार ने जेल के नियम में बदलाव कर आनंद मोहन की रिहाई का आदेश हाल ही में जारी किया था। 5 दिसंबर 1994 के दिन बिहार के गोपालगंज के ज़िलाधिकारी की हत्या बीच सड़क पर कर दी गई थी। आनंद मोहन पर उस दिन भीड़ को भड़काने का आरोप लगा था। जेल से निकलने के बाद आनंद मोहन के राजनीति में आने की चर्चा है। 2024 में उनके चुनाव लड़ने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। सहरसा के जेल अधीक्षक अमित कुमार के अनुसार उनकी रिहाई सुबह 6:15 बजे हुई। समझा जा रहा है कि किसी भीड़भाड़ से बचने के लिए रिहाई सवेरे की गई है। शिवहर से सांसद रहे आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद की 3 मई को शादी है। चेतन आनंद आरजेडी के विधायक हैं। वह देहरादून में डॉक्टर आयुषी सिंह के साथ सात फेरे लेंगे। बिहार में राजपूत की आबादी लगभग 5% मानी जाती है और आरजेडी को लगता है कि आनंद मोहन की राजपूत समाज में अच्छी पकड़ है।
दंतेवाड़ा में नक्सली हमला
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: दंतेवाड़ा में दुस्साहस,दस शहीद। जागरण की मेन हेडलाइन भी यही है: छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, 10 बलिदान। भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: 80 जवान 3 दिन सर्च करते रहे, नक्सली नहीं मिले; लौटते ही साजिश के शिकार। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुधवार को नक्सली हमले में निजी छोटे मालवाहक वाहन से जा रहे 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। ये जवान राज्य के डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) इकाई के थे। आईईडी विस्फोट में वाहन चालक की भी जान चली गई। हमले में 40 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। आईजी (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने बताया, दरभा संभाग क्षेत्र में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर डीआरजी बल को दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से रवाना किया गया था।
तीन दिनों की तलाशी
घटनास्थल पर पहुंचे एक पीआरडी जवान के अनुसार 3 दिन पहले अरनपुर के जंगल में बड़े मूवमेंट का इनपुट मिला था। इसके बाद 80 जवान अलग अलग गाड़ियों से अरनपुर थाना पहुंचे थे। पैदल सर्चिंग की। बुधवार सुबह 11:00 बजे के बाद सभी थाने लौटे थे। 8 गाड़ियां आ चुकी थीं। उन सभी 80 जवानों को इन्हीं से दंतेवाड़ा लौटना था। पूरा इलाका संवेदनशील है इसलिए गाड़ियों को फ़ासले पर चलने के निर्देश थे। पहले 2 गाड़ियां निकलीं। कुछ मिनट बाद हम गाड़ी में बैठे ही थे कि धमाका सुना। खतरा भांप गाड़ी से उतरे और जंगल के रास्ते घटनास्थल पहुंचे। थाने से डेढ़ किलोमीटर दूर सड़क पर बड़ा गड्ढा दिखा। दूसरे नंबर की गाड़ी के परखच्चे उड़ गए थे।
सड़क दुर्घटना में मदद करने पर अब दस हज़ार मिलेंगे
सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद करने (अस्पताल पहुंचाने) वाले व्यक्ति को अब दस हजार रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। परिवहन मंत्री शीला कुमारी ने बुधवार को बिहार सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में यह एलान किया। अभी इसके लिए पांच हजार रुपये मिलते हैं। परिवहन मंत्री ने कहा कि सड़क दुर्घटना में घायलों को समय पर उपचार के लिए अस्पताल पहुंचा दिया जाय तो काफी हद तक उनकी जान बचाई जा सकती है। आवश्यकता है कि लोग घायलों की मदद करने के लिए आगे आएं।
कलसी ग्रुप पर छापा, 25 लाख नक़द मिले
इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी व हॉउस कीपिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनी कलसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के पटना समेत देशभर में 45 से अधिक ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने बुधवार को छापेमारी की। कंपनी के मालिक नवजीत सिंह कलसी के भाई के मालिकाना हक वाली मणिकरण पॉवर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ठिकानों पर भी छापे डाले गए। बिहार में पटना, राजगीर, बेगूसराय में मौजूद कंपनी के कार्यालय और घर को खंगाला गया। पटना में शास्त्रीनगर स्थित आवास से 25 लाख नकद बरामद किए गए।
कुछ और सुर्खियां
- पंचायत उप चुनाव की घोषणा 25 मई को मतदान में 27 को होगी मतगणना
- बिहार के 8 समेत देश में 157 नए सरकारी नर्सिंग कॉलेज खुलेंगे
- छरहरी दिखने के चक्कर में मनोरोग का शिकार हो रही लड़कियां
- पटना में ढाई माह की बच्ची की हत्या किचन के डिब्बे में मिला शव
- नशीले पदार्थ की तस्करी के मामले में दोषी भारतीय युवक को सिंगापुर में मिली फांसी
- गुजरात में तेजस्वी यादव के विरुद्ध भी मानहानि का मुकदमा दर्ज
- रूट तय किए जाने के विरोध में पटना में आज ऑटो और ई-रिक्शा की हड़ताल
- सीएनएलयू में 7 छात्रों को कोरोना, फाइनल छोड़ सभी परीक्षाएं टलीं
- पटना एम्स में कोरोना से एक की मौत
अनछपी: डीएम हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन को 16 साल बाद ही उम्र कैद की सजा से छुटकारा मिल गया। इसके लिए सरकार ने कोई आधिकारिक कारण न बताते हुए पहले की व्यवस्था का हवाला दिया है। उस व्यवस्था के तहत सरकार जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों को रिहा करने का अधिकार रखती है। सरकार जो कारण नहीं बता रही है वह है आनंद मोहन सिंह का राजपूत होना और उनके जरिए राजपूत वोटों पर अपनी नजर बनाए रखना। इस बारे में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती कह चुकी है कि मारे जाने वाले दलित डीएम के दोषी आनंद मोहन की रिहाई के मामले में सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। इस मामले में सबसे अजीबोगरीब स्थित भारतीय जनता पार्टी की है। इसके कुछ नेता आनंद मोहन की रिहाई का किसी न किसी बहाने विरोध कर रहे हैं लेकिन बाकी नेताओं की मजबूरी है कि वे राजपूत वोट के मद्देनजर इसका स्वागत कर रहे हैं। भाजपा नेताओं की मजबूरी यह भी है कि गुजरात में भाजपा सरकार में बिलकीस बानो के दोषियों को जिस तरह रिहा किया है, अब उनके पास आनंद मोहन की रिहाई के विरोध का कोई कारण नहीं है। इस मामले में भाकपा-माले का कहना है कि दूसरे कई ऐसे कैदी हैं जो सजा पूरी कर चुके हैं और उन्हें भी रिहा करना चाहिए। उनमें अरवल हत्याकांड के वैसे बंदी भी हैं जो ‘टाडा’ के तहत जेल में 20 साल से अधिक गुजार चुके हैं। कई लोग यह मानते हैं कि सरकार को जाति या धर्म के आधार पर कैदियों की रिहाई का फैसला नहीं करना चाहिए लेकिन राजनीति में यही कुछ होता है। बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के समर्थक भी यही कहते हैं कि आखिर उन्हें क्यों नहीं रिहा किया गया। बिलकीस बानो का मामला जी. कृष्णैया के मामले से ज्यादा जघन्य था लेकिन हत्या के मुजरिमों को राजनीतिक कारणों से छोड़ने की परंपरा बेहद खतरनाक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल का यह एक ऐसा फैसला है जिसके बारे में उन्हें हमेशा सवालों का सामना करना पड़ेगा।
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