’गाइडलाइंस के साथ मनाएं बकरीद, कुर्बानी के बदले पैसा देने की सोच गलत’
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
बिहार के कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने 21 जुलाई से शुरू हो रहे तीन दिवसीय त्योहार ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाने में कोरॉना वायरस और लॉकडाउन के मद्देनजर सरकारी गाइडलाइंस का ध्यान रखने की अपील की है।
इस बारे में जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि यह बात स्पष्ट रहनी चाहिए कि दो अलग-अलग इबादतें हैं। पहली इबादत ईद-उल-अजहा की नमाज है और दूसरी इबादत कुर्बानी की है और दोनों वाजिब हैं। इसमें कहा गया है कि सरकारी निर्देशों और उपायों का ख्याल रखते हुए ईदगाह और मस्जिदों में सरकार की ओर से अधिक संख्या में जमा होने की इजाजत न मिले तो ईद की नमाज की तरह ही बकरीद की नमाज को भी अदा करें। हाथ मिलाने और गला मिलने से परहेज करें।
इस प्रेस रिलीज में यह भी बताया गया है कि यह बात फैलाई जा रही है कि कुर्बानी के बदले गरीबों को रकम दे दी जाए, यह बिल्कुल गलत सोच है। जिस व्यक्ति पर कुर्बानी जरूरी है उस वाजिब के बदले सदका अर्थात किसी की मदद करना वाजिब को छोड़ना है, जो गलत है। इसलिए जहां भी संभव हो वहां कुर्बानी जरूर की जाए।
साथ ही यह अपील की गयी है कि इस अवसर पर साफ सफाई का पूरा प्रबंध करें। कुर्बानी परदे की जगह पर करें और कुर्बानी के अवशेष अर्थात खून, गंदगी, चमड़ा और हड्डियां ऐसी जगह न डालें जिस से किसी को तकलीफ हो और यह विवाद का कारण बने। कुर्बानी के दिनों में इस बात का खास ख्याल रखें कि किसी को तकलीफ न पहुंचे, कुर्बानी के मांस को अपने गरीब और जरूरतमंद भाइयों तक भी पहुंचाएं।
इस प्रेस रिलीज में ध्यान दिलाया गया है कि व्हाट्सएप या फेसबुक पर जबह अर्थात कुर्बानी की हुई जानवर की तस्वीरें अपलोड या शेयर न करें और ध्यान रखें कि आप के किसी भी गतिविधि, क्रियाकलाप से शांति का माहौल प्रभावित न हो।
यह प्रेस रिलीज मौलाना शमशाद रहमानी, नायब अमीर ए शरीयत, बिहार, उड़ीसा-झारखंड., मौलाना सैय्यद मशहूद अहमद कादरी, नाजिम ए आला जमीअतुल उलमा बिहार, मौलाना शमीमउद्दीन मुनअमी, सज्जादा नशीं खानकाह मुनआमिया, पटना सिटी, मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही, अध्यक्ष जमाअत इस्लामी हिन्द, बिहार और मौलाना खुर्शीद मदनी, नायब अमीर सुबाई जमीयतए अहले हदीस, बिहार आदि द्वारा जारी की गयी है।
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