मनवाधिकार दिवस पर विशेषः बिहार में सबसे ज्यादा शिकायत पुलिस की

समी अहमद। बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
दस दिसंबर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस है। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल फागू चैहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दोनों उप मुख्यमंत्रियों- रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद का बधाई संदेश प्रकाशित हुआ है। परंतु बिहार में मानवाधिकार की सबसे ज्यादा शिकायतें सरकार के अंग- पुलिस के खिलाफ ही हैं। यह आंकड़ा बिहार मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर मौजूद है।
बिहार मानवाधिकार आयोग को 2020 में मानवाधिकार उल्लंघन के 6485 केस मिले जिनमें से उसके अनुसार आयोग ने 6172 का निपटारा किया। आयोग द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार 2009 से 2020 तक मानवाधिकार उल्लंघन के कुल 68945 केस मिले जिनमें 60208 का निपटारा किया गया।
आयोग के अनुसार 2020 में इसने पुलिस और सैन्य बलों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन की 2231 शिकायतों का निपटारा किया। वैसे, 2017 में पुलिस के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के 2063 का निपटारा आयोग ने किया था।
2010 से अबतक पुलिस के खिलाफ मिलने वाली शिकायतें सबसे अधिक हैं जिनका निपटारा आयोग ने किया है। 2019 में इनकी संख्या 647 थी हालांकि 2010 में यह संख्या इससे लगभग तीन गुना 1929 थी। अल्पसंख्यकों और एससी-एसटी की ओर से साल भर मानवाधिकार उल्लंघन के 34 केस और धर्म संबंधित 4 केसों का निपटारा बिहार मानवाधिकार आयोग ने किया।
बिहार मानवाधिकार आयोग ने 2020 में जेल से संबंधित मानवाधिकार उल्लंघन के 114 मामलों के निपटारे का दावा किया है। सेवा मामलों में आयोग ने 2020 में 699 मानवाधिकार उल्लंघन के मामले निपटाये। सन 2020 में ही महिलाओं के मानवाधिकार के 220 मामले निपटाने का दावा आयोग ने किया है। माफिया और अंडरवल्र्ड से संबंधित मानवाधिकार उल्लंघन के 90 मामलों के निपटारे की बात आयोग ने कही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संदेश में दावा किया है कि बिहार में ’न्याय के साथ विकास’ का उनका नारा मानवाधिकारों के संरक्षण की भावना को उजागर करता है। साथ ही यह आशा प्रकट की है कि बिहार मानवाधिकार आयोग नागरिकों के मानवाधिकार के संरक्षण एवं संवद्र्धन के लिए सतत प्रयत्नशील रहेगा।

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