छ्पी-अनछपी: नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़- 18 मरे, फिर बेड़ियों में अमेरिका से लौटे भारतीय
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कुंभ मेला जाने वाले यात्रियों में मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई। अमेरिका ने एक बार फिर हथकड़ी और बेड़ियों में आप्रवासी भारतीयों को वापस भेजा है। राजभवन ने मेट्रो स्टेशन के लिए जमीन देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानूनी मामलों में जल्द सुनवाई अभियुक्त का मौलिक अधिकार है।
और जानिएगा कि बिहार के लोगों को राष्ट्रीय औसत से कितना कम मांस मिलता है।
जागरण के अनुसार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई। महाकुंभ जाने के लिए प्रयागराज की ट्रेन पकड़ने पहुंचे यात्रियों की भीड़ में ऐसी भगदड़ मची कि लोग गिरने लगे और कुछ उन पर चढ़कर पार होने लगे। बहुत से लोग घायल बताए गए हैं। इनमें से कुछ की हालत नाजुक बताई गई है। मरने वालों में 11 महिलाएं बताई गई हैं।
भगदड़ कैसे मची
हिन्दुस्तान के अनुसार पुलिस उपायुक्त (रेलवे) की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर 14 पर खड़ी थी। प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर बनारस सुपरफास्ट स्पेशल खड़ी थी। वहीं, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस देरी से चल रही थीं। इन दोनों ट्रेनों के यात्री भी प्लेटफार्म नंबर 12, 13 और 14 पर मौजूद थे। भीड़ और बढ़ने पर प्लेटफार्म नंबर 14 और प्लेटफार्म नंबर 16 के एस्केलेटर के पास अचानक भगदड़ मच गई। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि रेलवे द्वारा हर घंटे 1,500 सामान्य टिकट बेचे जा रहे थे, जिसके कारण स्टेशन पर भीड़ बढ़ती गई और स्थिति बेकाबू हो गई।
फिर बेड़ियों में लौटे भारतीय
प्रभात खबर के अनुसार अमेरिका से निकाले गए 119 भारतीयों को लेकर अमेरिका का दूसरा जहाज शनिवार देर रात 11:35 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इनमें 67 पंजाब और 33 हरियाणा के रहने वाले हैं। 5 फरवरी को भी 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी विमान अमृतसर में उतरा था। 16 फरवरी को भी तीसरे विमान में 157 भारतीयों के अमेरिका से निकाले जाने की खबर है। जागरण ने लिखा है कि निकाले गए भारतीयों को पिछली बार की तरह इस बार भी हथकड़ियां और बेड़ियां बंद कर लाया गया है।
जल्द सुनवाई मुल्ज़िम का बुनियादी हक़
जागरण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों की बड़ी संख्या के कारण ट्रायल में होने वाली देरी पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि शीघ्र सुनवाई अभियुक्त का मौलिक अधिकार है और ट्रायल में देरी से यह अधिकार बाधित होता है। सरकारी वकीलों और सुनवाई कर रहे जजों को इस पर ध्यान देना चाहिए। यह भारतीय समाज व हमारी न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता के लिए भी हानिकारक है। यह टिप्पणी जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों के लिए सामान ले जाने के आरोपित तपस कुमार पालित को सशर्त जमानत देने के आदेश में की है। कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त 5 साल से जेल में है और अभियोजन पक्ष को यह पता नहीं की गवाहियां पूरी होने में कितना समय लगेगा। ऐसी स्थिति में जमानत देने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचता। कोर्ट ने कहा कि पहले भी कई बार कहा जा चुका है कि अपराध कितना भी गंभीर क्यों ना हो शीघ्र सुनवाई अभियुक्त का संविधान के अनुच्छेद 21 में मिला मौलिक अधिकार है।
मेट्रो स्टेशन के ज़मीन देने से राजभवन का इनकार
हिन्दुस्तान के अनुसार पटना मेट्रो स्टेशन निर्माण के लिए जमीन देने से राजभवन ने इनकार कर दिया है। इस संबंध में राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल चोंग्थू ने पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन महाप्रबंधक को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि पटना जू परिसर के निर्माण में पहले भी राजभवन की ओर से करीब 34 एकड़ जमीन दी जा चुकी है। अब राजभवन परिसर की भूमि का हस्तांतरण मेट्रो स्टेशन निर्माण के लिए नहीं किया जाएगा। इसलिए पटना मेट्रो के लिए अस्थायी और स्थायी निर्माण को पटना जू के परिसर में ही कराया जाए। दरअसल, पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने राजभवन से स्टेशन निर्माण के लिए जमीन हस्तांतरण के लिए एनओसी मांगा था। इसके बाद राजभवन के प्रधान सचिव ने पत्र लिखा है। इससे पहले अप्रैल 2022 में भी राजभवन की ओर से जमीन देने से इनकार किया जा चुका है।
मांस खाने में बिहारी पीछे
बिहार में सालाना प्रति व्यक्ति मांस की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत की तुलना में आधा से भी कम है। देश में सालाना प्रति व्यक्ति मांस की उपलब्धता 7 किलो 39 ग्राम है, जबकि बिहार में सालाना प्रति व्यक्ति मांस की उपलब्धता 3 किलो 19 ग्राम ही है। केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय की ओर से 2023-24 में मांस उत्पादन की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बिहार में 2023-24 में कुल 404.5 हजार टन मांस का उत्पादन हुआ है। इसके पहले 2022-23 में 396.29 हजार टन मांस उत्पादन हुआ था। यानी एक साल में लगभग 8 हजार टन मांस उत्पादन बढ़ा है। मांस उत्पादन के मामले में बिहार देश में 10 वें स्थान पर है। मांस उत्पादन में बिहार की भागीदारी 3.94 प्रतिशत है।
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अनछपी: बिहार से विदेश जाकर काम करने वाले हुनरमंद कामगारों की संख्या बढ़ने के बारे में खबर आई है। यह समझना मुश्किल है कि इस खबर पर खुशी मनाई जाए या अफसोस जताया जाए। खबरों में बताया गया है कि कोविड के दौरान 2020 में बिहार से विदेश जाकर काम करने वालों की संख्या कम होकर 13915 और 2021 में 24526 हो गई थी। हालांकि 2018 में ऐसे लोगों की संख्या लगभग 60000 थी। ताजा आंकड़ों में बताया गया है कि 2024 में बिहार से विदेश जाने वाले हुनरमंद कामगारों की संख्या 73000 तक पहुंच गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश भर से तीन लाख नब्बे हज़ार कामगार विदेश गए। इसका मतलब है कि भारत से विदेश जाकर कमाने वाला हर पांचवां कामगार बिहारी है। इन आंकड़ों में बताया गया है कि बिहार से सबसे ज्यादा कामगार खाड़ी के देश संयुक्त राज्य अमीरात जाते हैं। यह ध्यान देना चाहिए कि बिहार के लोग सिर्फ विदेश ही नहीं बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में भी काम के लिए जाने को मजबूर हैं। यह बात राहत की है कि कम से कम बिहार के लोगों को बाहर में कमाने का साधन मिल जा रहा है लेकिन यह बात जरूर अफसोस की है कि बिहार के अंदर उन्हें ऐसी सुविधा नहीं मिल रही है। बिहार सरकार इस बात पर खुश हो सकती है कि लोग विदेश से पैसे कम कर बिहार भेज रहे हैं लेकिन क्या यह एक सही रवैया है? विदेश जाकर कमाने के मामले के आंकड़ों में दो बात और ध्यान देने लायक है। बिहार से विदेश जाने वाले कामगारों के बारे में बताया गया कि उनमें ऐसे लोग अधिक हैं जिन्होंने मैट्रिक भी पास नहीं किया है। दूसरी बात यह है कि बहुत से लोग विदेश में ऐसे एजेंटों के माध्यम से जाते हैं जो उन्हें ना तो सही काम देते हैं और ना ही सही वेतन। हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी कि बिहार के 300 से अधिक लोग दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में साइबर स्लेवरी के शिकार हो गए हैं यानी उन्हें जबरदस्ती साइबर ठगी के काम में लगाया गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि बिहार सरकार इन मुद्दों पर ध्यान देगी।
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