CAG ने नीतीश सरकार की खोली पोल, 1 % लोगों को ही मिला मनरेगा रोज़गार

बिहार लोक संवाद डाॅट नेटन पटना

बिहार विधानसभा के पटल पर 29 जुलाई को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट पेश की गई। वहीं, कैग के अधिकारियों ने पटना में रिपोर्ट पर संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया।

31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष के लिए सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की CAG रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय गड़बड़ी की पोल खुली है। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने कई स्तर पर गड़बड़ी की जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ है।

पुल निर्माण निगम द्वारा पटना में बनाए जा रहे फ्लाईओवर का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी द्वारा नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए न केवल निविदा का आमंत्रण तथा फ्लाईओवर के कार्यों की शुरुआत की गई बल्कि तकनीकी स्वीकृति से पहले ही संवेदक को 66.25 करोड़ का भुगतान किया गया। कंपनी द्वारा बिहार वित्त नियमावली के प्रावधान का उल्लंघन कर अनुबंध किए बिना मेसर्ष फाउंडेशन फ़ॉर इन्नोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर आईआईटी दिल्ली को 4.08 करोड़ का भुगतान किया. कंपनी ने बिहार वित्त नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन कर एकल स्रोत से चयन हेतु पूर्ण औचित्य दर्ज किए बिना,जो की नियमावली के अंतर्गत आवश्यक था। नामांकन के आधार पर मेसर्स प्लानिंग इनोवेशन एवं कंसलटेंसी सर्विसेज को नियुक्त किया।

लोहिया पथ चक्र में भी की गई भारी गड़बड़ी

लोहिया चक्र में भी भारी गड़बड़ी हुई
राजकोष पर 18.41 करोड़ रुपये का बोझ बड़ा।

कैग रिपोर्ट में लोहिया पथ चक्र परियोजना में भी भारी गड़बड़ी का खुलासा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लोहिया पथ चक्र परियोजना के लिए कंपनी द्वारा 16.90 करोड़ डिजाइन के लिए 6.04 करोड़ और पर्यवेक्षण सलाहकार कर लिये 10.86 करोड़ परियोजना निधि पर गलत तरीके से भारित( दिसंबर 2019) किया गया. उस पर 1.52 करोड़ सेंटेंस के रूप में दर्ज किया गया. जिसके फलस्वरूप राजकोष पर 18.42 करोड़ का भार पड़ा।

बिहार राज्य रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अस्वीकार्य मधु पर सेंटेंस प्रभारित करने के फलस्वरूप न केवल 23.97 करोड़ के अतिरिक्त आय का भुगतान करना पड़ा बल्कि राजकोष पर कुल 61.73 करोड़ का भार पड़ा।

कम मूल्य वर्ग की सावधि जमा में निवेश न करने के कारण बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 1.34 करोड़ के अतिरिक्त ब्याज अर्जित करने का अवसर खो दिया। बैंक ड्राफ्ट बनाकर उन्हें उपयोगिता प्रमाण पत्र के उद्देश्य से खर्च मानकर बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास लिमिटेड ने वित्तीय विवेक के सिद्धांतों का उल्लंघन किया। जिसके कारण 1.38 करोड के ब्याज की हानि हुई।

प्रमुख राजस्व शीर्षों के अंतर्गत 31 मार्च 2019 को बकाया राजस्व 4107.32 रुपये करोड़ था जिसमें से 521.07 करोड़ पाँच वर्षों से अधिक समय से लंबित था।

सामान्य हिस्से में वर्ष 2018-19 के लिए बिहार सरकार की कुल प्राप्तियाँ ₹1,31,793.45 करोड़ थी जिसमें से राज्य सरकार द्वारा अपने स्रोतों से सृजित राजस्व 33,538.70 करोड़ रुपये यानी 25.45 प्रतिशत था। भारत सरकार से प्राप्तियों का हिस्सा 98,254.75 करोड़ रुपये कुल प्राप्तियों का 74.55 प्रतिशत था जिसमें संघीय करों में राज्य का हिस्सा 73,603.13 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों का 55.85 प्रतिशत) तथा सहायता अनुदान ₹24,651.62 करोड़ (कुल प्राप्तियों का 18.70 प्रतिशत) समाविष्ट थे।

भारत नेपाल सीमा सड़क बनाने में सरकार रहीं सुस्त
2759.25 एकड़ भूमि के विरुद्ध 2497.64 एकड़ भूमि का हुआ अधिग्रहण

सड़क निर्माण में पल तो बने पर सड़क नहीं। उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह,
पुल निर्माण पर 928.77 करोड़ रुपये खर्च हुए।

लेखापरीक्षा ने 629 मामलों में कुल ₹3,658.11 करोड़ के राजस्व की हानि का पता लगाया। संबंधित विभागों ने 1,648 मामलों में 1336.65 करोड़ रुपये स्वीकृत किया।

टैक्स बसूली में कॉमर्शियल टैक्स ने जुर्माने बसूलने में भारी शिथिलता
CAG ने पाया कि तीन व्यवसायी से 5.64 करोड़ रुपये के टैक्स चोरी का पता नहीं लगा सका।

31 दिसम्बर 2019 तक मात्र 4.38 किलोमीटर बने।
31 दिसम्बर 2022 तक पूरी सड़क बनने थे।

दस साल में 64 फीसदी सीमा चौकिया मुख्य सड़क से नहीं जुड़ी। सस्त्र सीमा बल की गतिशीलता पर प्रभाव डाल रहीं है।

100 दिनों की मजदूरी मांगने वाले परिवारों में से मात्र 1 फीसदी लोगो को रोजगार मिला।

काम पूरा मात्र 14 फीसदी हुए।

मनरेगा भूमिहीन आकस्मिक मजदूरों के पंजीकरण में सुधार करने की जरूरत है।
60.88 लाख भूमिहीन मजदूरों सर्वेक्षण में से मात्र 3.34 फीसदी मजदूरों का जॉब कार्ड बने।

1 फीसदी से भी कम लोगो को जॉब कार्ड मिले।

22 हजार 678 इच्छुक परिवारों में से 146 को जॉब कार्ड मिले।

2014-19 की अवधि में मात्र नौ से 14 फीसदी रजिस्टर्ड विकलांग लोगो को और 9 फीसदी वरिष्ठ नागरिकों को जॉब मिला।

वर्ष 2014 से 19 के बीच मंदी समय मे 26 से 36 फीसदी लोगो ने रोजगार डिमांड की पर मिला मात्र 9 फ़ीसदी लोगो को रोजगार।

SCST लोगो को भी रोजगार नहीं मिले
22-24 फीसदी रजिस्टर्ड SCST लोगो मे से 19 से 59 फीसदी लोगो को 10 से 15 दिनों का रोजगार मिला।

निजी मकानों पर भी मनरेगा से काम हुए।
निजी जमीन पर काम हुए।
कुछ ऐसे मकान बनाये गए जिनमे काम नही हो रहें।

पौधारोपण में भी भारी गड़बड़ी
ऑफ सीजन पौधरोपण से ज्यादातर पेड़ सुख गए।

पौधरोपण में ढ़ीले डालेंगे रवैया के कारण 164.98 करोड़ रुपये बर्बाद हुए।

आधार साइडिंग बेस्ड पेमेंट में सरकर पीछे।
मात्र 25 फीसदी लोगो को आधार पेमेंट हुआ।

अभियंता प्रमुख के आदेश उलंघ्घन गया और मानपुर पथ प्रमंडल कार्यपालक अभियंता ने किया। इसकी बजह से 2.73 करोड़ रुपये का अधिक खर्च हुआ।
अभियंता प्रमुख ने सड़क निर्माण के लिए स्टोन चिप्स मानपुर से लाने को कहा गया था जबकि कार्यपालक अभियंता ने कोडरमा से स्टोन चिप्स मंगवाया। 38 किलोमीटर के बजह 100 किलोमीटर दूर से स्टोन चिप्स मंगवहा

महादलितों के लिए सामुदायिक भवन 916 में से 147 भवन पूरे हुए।
जनवरी 2020 तक पूरे हुए है।
बाकी 608 भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुए।
वर्ष 2016-19 के दौरान यह आंकड़ा है।

बिहार की हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लिमटेड, दोनों बिजली कम्पनियां,SFC, राज्य भंडारण निगम ने CAG के लिए डिस्क्लेमर ऑफ ओपिनियन जारी किए।

31 मार्च 2019 के सर्वजननिक उपक्रमो के अंश पूजी 36122.20 करोड़ रुपये और 8800.51 करोड़ रुपये ऋण था।
कुल निवेश 44922.71 करोड़ रुपये है।

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में 79 सरकारी कम्पनियों और वैधानिक निगम में से 75 कमोनी और निगम के 1321 खाते बकाए में।
इनमें से एक खाता 1977-78 से पेंडिंग।

पतन में फ्लाई ओवर बनाने के लिए राज्य पुल निर्माण निगम ने भारी गड़बड़ी की।
काम शुरू करने और तकनीकी स्वीकृति के पहले निर्माण करने वाले ठेकेदारों को 66 करोड़ रुपये दे दिए।

परिवहन विभाग का बड़ा खेल।
सुल्तान पैलेस के लिए दिखाए खर्च
अपनी ही जमीन और मकान के लिए खर्च कर दिए 259 करोड़ रुपये।।।।।

परिवहन विभाग के वाहन एवं सारथी सॉफ्टवेयर के डाटा विश्लेषण सहित मोटर वाहन कर एवं शुल्क के संग्रहण एवं आरोपण पर विस्तृत अनुपालन लेखापरीक्षा में निम्न पाया गया।

.अनियिमित अधिसूचना के कारण एकमुश्त कर भुगतान करने वाले वाणिज्यिक

वाहनों पर सड़क सुरक्षा उपकर का कम आरोपण हुआ। विभिन्न शुल्क पर अधिभार लगाने की अनियमित अधिसूचना के कारण चालक अनुज्ञप्ति और प्रशिक्षु अनुज्ञप्ति धारकों पर ₹18.52 करोड़ का अनुचित बोझ पड़ा।

• निजी वाहन मालिकों से कर के भुगतान में देरी के लिए अर्थदण्ड के प्रावधान के गलत परिमापन के कारण विभाग ने ₹2.83 करोड़ का अर्थदण्ड वसूल किया।

. वाहन डाटाबेस में जानकारी की उपलब्धता के बावजूद, जिला परिवहन कार्यालय ने न तो उन वाहनों के निबंधन / परमिट रद्द करने के लिए कार्रवाई शुरू की जिनकी फिटनेस प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त हो गई थी और न हीं दोषी वाहन मालिकों को कोई नोटिस जारी किया गया जिसके परिणामस्वरूप ₹187. 01 करोड़ के राजस्व का संग्रहण नहीं हुआ।

संबंधित जिला परिवहन पदाधिकारियों ने निबंधन प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर और अनुमोदन के समय ₹1.19 करोड़ के देय कर की वसूली सुनिश्चित नहीं किया।

• ट्रैक्टर एवं ट्रैक्टर ट्रेलर के निबंधन के लिए दिशानिर्देशों / सहायक दस्तावेजों के नहीं होने के कारण सात जिला परिवहन पदाधिकारियों ने 8,969 ट्रैक्टर ट्रेलर संयोजन को मनमाने तरीके से कृषि श्रेणी के तहत निबंधित किया जिससे ₹25.22 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ।

जिला परिवहन कार्यालयों के वाहन डेटाबेस में चूककर्त्ता वाहन मालिकों द्वारा मोटर वाहन करों का भुगतान नहीं करने की जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद, उन्होंने वाहन प्रबंधन सूचना प्रणाली के माध्यम से कर चूककर्त्ता सूची बनाने के लिए वाहन के कर तालिका की जाँच या समीक्षा नहीं की। परिणामस्वरूप, जिला परिवहन कार्यालयों द्वारा कर चूककर्त्ताओं को कोई मांग पत्र जारी नहीं किया गया और फलस्वरूप ₹15.13 करोड़ अर्थदण्ड सहित ₹ 22.79 करोड़ का कर (सड़क कर ₹7.56 करोड़ और सड़क सुरक्षा उपकर ₹9.58 लाख) अप्राप्त रहा।

• जिला परिवहन पदाधिकारियों द्वारा न तो वाहन सॉफ्टवेयर से और न ही मैनुअली कर के विलम्ब से भुगतान के लिए अर्थदण्ड का आरोपण किया गया, जिसके परिणामस्वरूप ₹1.54 करोड़ का आरोपण नहीं हुआ।

राष्ट्रीय परमिट पंजी को संबंधित क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारों द्वारा न ही अद्यतन किया गया था न ही भौतिक सत्यापन किया गया था। परिणामस्वरूप, संयुक्त शुल्क और प्राधिकरण शुल्क ₹6.29 करोड़ की राशि की वसूली नहीं हुई।

₹1000 के प्रसंस्करण शुल्क के वसूली के बिना 29.625 मालगाड़ी, 1,165 बस और 5,571 अनुबंधित मालवाहक वाहनों को परमिट जारी किए गए, जिससे

₹3.64 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ। नियमों एवं प्रावधानों के अनुसार अप्रभावी अनुसरण के कारण ₹7.01 करोड़ के राजस्व के बकाये की वसूली नहीं की जा सकी।

आठ करोड़ रूपया खर्च करने के बावजूद तीन धर्मकोटा को परिवहन विभाग को दिसम्बर 2015 / जनवरी 2016 में सुपूर्द करने के बाद भी उसे 2019 तक कार्यशील नहीं किया जा सका। इसके अलावा सरकार वैसे जिनकी पदस्थापना मूल रूप से धर्मकाँटा स्थल के लिए हुई थी किन्तु उनकी तैनाती राज्य परिवहन निगम / जिला परिवहन कार्यालय, पटना कार्यालय में की गयी थी, के वेतन एवं भत्तों के भुगतान के रूप में ₹75.98 लाख का व्यय भी किया गया था।

लेखापरीक्षा निष्कर्षः मुद्रांक एवं निबंधन फीस

निबंधन विभाग ने बिहार निबंधन नियमावली, 2008 में सेवा प्रभार के संग्रहण से संबंधित अवैध प्रावधान किया, जिसके परिणामस्वरूप न केवल हितधारकों पर वित्तीय बोझ डालकर 2018-19 के दौरान ₹31.73 करोड़ के सेवा प्रभार क संग्रहण किया गया अपितु इनको राज्य के समेकित निधि के बदले बैंक खात में जमा किया गया ।

लेखापरीक्षा निष्कर्षः खनिज प्राप्तियाँ

खनन पदाधिकारी ‘एम’ एवं ‘एन’ फार्म के बिना प्रस्तुत कार्य संवेदको के विप का भूगतान नहीं होना सुनिश्चित करने में विफल रहे एवं वे कार्य संवेदकों अनाधिकृत श्रोतों से खरीदे गए खनीज के लिए ₹46.42 करोड़ अर्थदण्ड आरोपण में भी विफल रहे।

• ईट मौसम 2017-18 और 2018-19 के दौरान, 260 ईंट भट्ठों का परिच बिना वैध परमिट के किया गया परिणामस्वरूप रॉयल्टी एवं अर्थदण्ड स ₹3.85 करोड़ की वसूली नहीं की गयी।

 

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