छ्पी-अनछपी: सीवान-सारण में जहरीली शराब से 27 की मौत, निजी विश्विद्यालयों में भी लागू होगा रिजर्वेशन

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सीवान और सारण जिलों में पिछले दो दिनों में 27 लोगों की जहरीली शराब से मौत होने की खबर है। बिहार के निजी विश्वविद्यालयों में भी आरक्षण नियम का पालन होगा। गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा से भाजपा ने खुद को अलग किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर कहा है कि उन्होंने राजद के साथ जाने की दो बार गलती की है जिसे वह अब नहीं दोहराएंगे।

आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।

सीवान के भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र और सारण के मशरक में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई। भास्कर के अनुसार मरने वालों की संख्या 27, प्रभात खबर के अनुसार 16, जागरण के अनुसार 15 और हिन्दुस्तान के अनुसार 13 है। कुछ अखबारों ने साफ तौर पर मौत का कारण जहरीली शराब को बताया है तो कुछ ने संदिग्ध स्थिति में मौत की बात लिखी है। हिन्दुस्तान ने लिखा है कि 5 किलोमीटर के दायरे के सात गांवों में मौत हुई है। इससे ऐसा लगता है कि इन लोगों ने किसी एक जगह शराब पी होगी। अखबारों ने रिश्तेदारों के हवाले से लिखा है कि मौत जहरीली शराब से हुई जबकि पुलिस का कहना है कि मौत का कारण पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा। भास्कर ने लिखा है कि सीवान व सारण के 16 गांवों में जहरीली शराब पीने से 27 लोगों की मौत हो गई। 49 की हालत गंभीर है। इनमें से सात की आंखों की रौशनी चली गई है। अखबार ने सीवान में 17 लोगों के पोस्टमार्टम की बात लिखी है। मौत का सिलसिला दो दिन पहले शुरू हुआ। तब सीवान के भगवानपुर हाट में दो की मौत हुई। फिर मंगलवार की शाम से मौतों का सिलसिला शुरू हुआ तो बुधवार देर रात तक जारी रहा। इस मामले में एक थानेदार को सस्पेंड किया गया है और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

प्राइवेट यूनिवर्सिटियों में रिजर्वेशन

जागरण की खबर है कि बिहार में चल रही प्राइवेट यूनिवर्सिटियों में भी आरक्षण का पालन होगा। इस खबर में बताया गया है कि इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग ने 21 अक्टूबर को निजी विश्वविद्यालयों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में शिक्षा विभाग यह भी परखेगा कि निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण का पालन हो रहा है या नहीं। बैठक की अध्यक्षता शिक्षा मंत्री सुनील कुमार करेंगे। बैठक में आरक्षण के अलावा विश्वविद्यालय के नियम  परिनियम, नामांकन की प्रक्रिया, फीस और उस में दी जाने वाली छूट की भी चर्चा होगी। इसके अलावा एकेडमिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर और खेल कैलेंडर पर भी बात होगी।

गिरिराज सिंह की यात्रा से भाजपा अलग

भारतीय जनता पार्टी के वरीय नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा को ले एनडीए में घमासान शुरू हो गया है। भाजपा ने जहां खुद को इस यात्रा से अलग करते हुए पल्ला झाड़ लिया है वहीं जदयू ने भी इसका विरोध किया है। भास्कर ने इसकी अच्छी कवरेज दी है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इस बारे में कहा कि वह इस यात्रा के बारे में कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि यह उनकी यानी गिरिराज सिंह की निजी यात्रा है। “भाजपा को इससे कोई वास्ता नहीं है। इसमें भाजपा के जो लोग शामिल होंगे, व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे। भाजपा तो इकलौती पार्टी है जो सबका साथ, सबका विकास और सब का प्रयास के सूत्र वाक्य पर काम करती है।” इधर जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने सवाल उठाया कि इस यात्रा की जरूरत क्या है? “बिहार में हिंदू मुसलमान कोई भी असुरक्षित नहीं है। जब सभी लोग सुरक्षित हैं और खुशनुमा माहौल है तो हिंदू स्वाभिमान यात्रा की दरकार क्या है?” उधर गिरिराज सिंह ने भी बयान दिया है कि इस यात्रा में भाजपा शामिल नहीं है।

राजद के साथ जाने की गलती नहीं दोहराएंगे: नीतीश

मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कटिहार में आयोजित एक कार्यक्रम में एक बार फिर कहा कि वह अब राजद के साथ नहीं जाएंगे और बीजेपी के साथ ही बने रहेंगे। नीतीश कुमार ने कहा, “हमने गलती से दो बार उन लोगों को अपना लिया था और दोनों बार देखा गड़बड़ किया। अब हम कभी इधर-उधर नहीं करेंगे। भाजपा के साथ सब दिन हमारा संबंध कायम रहेगा।” इधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बांका में कहा कि वह नीतीश कुमार के साथ दोबारा नहीं जाएंगे।

जन सुराज ने पहला उम्मीदवार घोषित किया

हिन्दुस्तान के अनुसार जन सुराज ने तरारी विधानसभा क्षेत्र से सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। बुधवार को पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज भारती ने जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की उपस्थिति में इसकी घोषणा की। तरारी में 13 नवंबर को विधानसभा का उपचुनाव है। पार्टी शीघ्र ही तीन अन्य सीटों पर भी उम्मीदवारों की घोषणा करेगी। लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह भोजपुर जिले के तरारी प्रखंड करथ गांव के रहने वाले हैं। मौके पर प्रशांत किशोर ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह बिहार के उन दो वरीय सैन्य अधिकारियों में शामिल हैं, जो वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बने। इसके पहले एसके सिन्हा को यह गौरव प्राप्त है।

न्याय की मूर्ति की पट्टी और तलवार हटी

देश की सर्वोच्च अदालत में बुधवार को न्याय की देवी की नई प्रतिमा लगाई गई। न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों से पट्टी हटा दी गई है और हाथ में तलवार की जगह संविधान ने ली है। न्यायपालिका के इस कदम से यह संदेश दिया गया कि कानून अंधा नहीं है और न दंड का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आदेश पर जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी की नई प्रतिमा में आंखें खुली हैं। दाएं हाथ में तराजू है जबकि बाएं हाथ में संविधान। पुरानी प्रतिमा में बाएं हाथ में तराजू और दाएं हाथ में तलवार थी। सूत्रों के अनुसार, न्याय के तराजू को प्रतिमा के दाहिने हाथ में इसलिए रखा गया है, क्योंकि यह समाज में संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है और यह विचार है कि कोर्ट फैसले से पहले तथ्यों और तर्कों को तौलती है।

कुछ और सुर्खियां

  • केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 3% बढ़ा, एक करोड़ 15 लाख को होगा फायदा
  • नायब सिंह सैनी आज हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की दोबारा शपथ लेंगे
  • उमर अब्दुल्ला ने ली जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ, गठबंधन में शामिल कांग्रेस सरकार में नहीं
  • पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला ने उम्र कैद मिलने के बाद किया सरेंडर, बेऊर जेल गए
  • जेवराती सोना पहली बार ₹70,000 प्रति ग्राम के पार

अनछपी: बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कल से यानी 18 अक्टूबर से हिन्दू स्वाभिमान यात्रा निकालने वाले हैं मगर दिलचस्प बात यह है कि उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने इससे खुद को अलग कर लिया है। गिरिराज सिंह हिन्दू-मुसलमान को लेकर जिस तरह के बयान देते हैं उससे इस बात की आशंका जताई जा रही है कि उनकी यात्रा में एक बार फिर भड़काऊ बातें होंगी। इसी के मद्देनजर उनके सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने पहले ही इस यात्रा का विरोध किया था लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने जैसा बयान दिया है उसे लगता है कि भाजपा भी उनकी यात्रा के साथ कम से कम ऊपरी तौर पर तो साथ नहीं है। तो क्या यह समझा जाना चाहिए कि गिरिराज सिंह दरअसल भाजपा में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यह यात्रा निकाल रहे हैं जबकि उनकी पार्टी के दूसरे नेता उनके साथ नहीं है और अलग राय रखते हैं। हो सकता है कि यह भाजपा के अंदर गुटबाजी का भी एक नमूना हो। जदयू का कहना है कि बिहार में हिंदू और मुसलमान दोनों सुरक्षित हैं, ऐसे में हिन्दू स्वाभिमान यात्रा निकालने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन सवाल इससे आगे का है और वह यह है कि अगर गिरिराज सिंह की यात्रा से कोई नफरती माहौल बनता है तो उसको लेकर सरकार क्या करेगी? वैसे भी गिरिराज सिंह के बयानों के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि वह सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाले होते हैं बल्कि उनसे नफरत की बू ही आती है। एक और सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश नेतृत्व तो उनके साथ नहीं है लेकिन क्या इस यात्रा को केंद्रीय नेतृत्व का ढके छुपे समर्थन प्राप्त है? राजनीतिक दलों में यह खेल बहुत होता है; कहीं से विरोध, कहीं से समर्थन और आम आदमी को इसका पता भी नहीं चल पाता है। फिलहाल जो लोग सामाजिक सद्भाव की चिंता करते हैं उनके लिए गिरिराज सिंह की यात्रा चिंता का विषय बनी हुई है और बस इसकी दुआ ही की जा सकती है कि उनकी यात्रा से नफरत का माहौल न बने। बेहतर तो यह होता कि जदयू भाजपा पर इतना दबाव डाल सकती कि गिरिराज सिंह ऐसी यात्रा करने की चाल नहीं चलते।

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