छ्पी-अनछपी: अनंत सिंह एके 47 रखने के मामले में बरी, विनेश फोगाट को नहीं मिलेगा मेडल
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पटना से छपे आज के हिंदी के प्रमुख अखबारों में स्वतंत्रता दिवस की धूम है, बधाई संदेशों का तांता है और काफी विज्ञापन भी है। इन सब के बीच सबसे अहम खबर यह है कि बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को एके-47 और इंसास राइफल रखने के मामले में पटना हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है। ओलंपिक में 100 ग्राम ज्यादा वजन के कारण अयोग्य घोषित की जाने वाली पहलवान विनेश फोगाट की अर्जी नाममंजूर कर दी गई है और उन्हें मेडल नहीं मिलेगा। जम्मू कश्मीर में एक और मुठभेड़ हुई है जिसमें सेना के कैप्टन ने घायल होने के बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार पटना हाईकोर्ट ने आर्म्स एक्ट के दो अलग-अलग मामलों में पूर्व विधायक अनंत सिंह को बड़ी राहत दी है। दोनों मामलों में मिली सजा को साक्ष्य के अभाव में निरस्त करते हुए उन्हें बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति चंद्रशेखर झा की एकलपीठ ने बुधवार को सचिवालय और बाढ़ थाना कांड से जुड़े दोनों मामलों पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। इन्हीं दो मामलों में अनंत सिंह अभी बेऊर जेल में बंद हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद पटना सिविल कोर्ट के एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट के न्यायाधीश अक्षय कुमार सिंह ने अनंत सिंह को बेऊर जेल से रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। 16 अगस्त 2019 को बाढ़ थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक अनंत सिंह के लदमा स्थित घर में अवैध शस्त्र और विस्फोटक होने की गुप्त सूचना पर छापेमारी की गई तो। इस दौरान उनके घर से मैगजीन के साथ एक-47 बरामद हुआ था। एफआईआर के अनुसार उनके घर से कारतूस और दो हैंड ग्रेनेड भी मिले थे। इसी तरह सचिवालय थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार उनके पटना स्थित घर से इंसास राइफल और बुलेट प्रूफ जैकेट बरामद हुई थी। दोनों मामले में अनंतसिंह को 10-10 वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई थी।
विनेश फोगाट को नहीं मिलेगा मेडल
ओलंपिक फाइनल से पहले अयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ भारतीय पहलवान दिनेश फोगाट की अपील खेल पंचाट सीएएस ने खारिज कर दी। एक बयान में इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि यह फैसला निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि पेरिस ओलंपिक में खेलों में महिलाओं के 50 किलोग्राम वर्ग में साझा रजत पदक दिए जाने का आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है। विनेश फोगाट फाइनल तक आसानी से पहुंची थीं लेकिन फाइनल के दौरान उनका वजन 100 ग्राम अधिक होने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
डोडा में मुठभेड़, कैप्टन ने दम तोड़ा
जम्मू-कश्मीर के डोडा में बुधवार को मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया, जबकि सेना का एक कैप्टन शहीद हो गया। घटनास्थल से सेना को खून से सने चार बैग मिले हैं, जिससे कुछ और आतंकियों के मरने की संभावना है। सैन्य अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को उधमपुर के डूडू बसंतगढ़ पहाड़ी क्षेत्र में चार आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी। इसके बाद शिवगढ़-अस्सार पट्टी में तलाशी अभियान चलाया। आतंकी दिखे, मगर वे धुंध का फायदा उठाकर भाग निकले। बुधवार सुबह 7:30 बजे डोडा में मुठभेड़ हुई। इस दौरान कैप्टन घायल हो गए। उन्हें सैन्य अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
शेख हसीना पर अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट में केस
भास्कर के अनुसार बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उनकी घेराबंदी लगातार बढ़ा रही है। इस बीच बुधवार को एक वकील ने 1 जुलाई से 5 अगस्त तक आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में छात्रों की मौत के मामले में हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट में केस दर्ज कराया है। कानून मंत्री का दर्जा प्राप्त विधि सलाहकार प्रोफेसर आसिफ नजरुल ने कहा कि हसीना पर छात्रों की मौत के लिए पुलिस और अन्य एजेंसियों को निर्देश देने का आरोप है। हसीना सरकार में गृह मंत्री रहे असदुज़्ज़मान खान और अवामी लीग के महासचिव ओबेदुल कादिर सहित दर्जनों मंत्रियों और अफसरों पर भी आरोप लगाए गए हैं।
आठ एडमिट कार्ड के साथ दबोचे गए तीन संदिग्ध
जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले बुधवार को होटल की जांच कर रही पटना कोतवाली थाने की पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी। फ्रेज़र रोड स्थित एक होटल के कमरे से तीन संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया। इनके पास से सिपाही भर्ती परीक्षा के आठ उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड, दो ब्लैंक चेक, कुछ नकद, चेक बुक, मोबाइल फ़ोन और स्टांप पेपर आदि बरामद हुए। तीनों से थाने लाकर पूछताछ की गई जिसमें पता चला कि वन विभाग के दारोगा विजय रजक ने एडमिट कार्ड और नकद के साथ बुलाया था।
गंगा में पटना से हर दिन गिर रहा 300 करोड़ लीटर गंदा पानी
भास्कर की विशेष खबर है के बारिश में जल भराव से राजधानी के इलाके परेशान हैं। जल निकासी के लिए बुडको और पटना नगर निगम बड़े-बड़े पंपिंग सेट व मोटर से पानी खींचकर शहर का गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे गंगा में डाल रहा है। इसकी वजह यह है कि दीघा और कंकड़बाग में बन रहे दो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम दो साल बाद भी अधूरा है। बरसात से पहले केवल दीघा के जनार्दन घाट में ही रोजाना डेढ़ सौ करोड़ लीटर गंदा पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा था जो बरसात के दौरान बढ़कर 300 करोड़ लीटर तक प्रतिदिन पहुंच गया है। 24 घंटे 5 पंप नाले से पानी को खींचकर गंगा में सीधे डाल रहे हैं
कुछ और सुर्खियां
- बिहार पुलिस को मिले 23 पदक, 5 को गैलंट्री अवॉर्ड
- बिहार निवासी 1993 बैच के आईआरएस अधिकारी राहुल नवीन ईडी के नए डायरेक्टर
- दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्कल भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच नियुक्त
- एमबीबीएस में नामांकन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 20 अगस्त तक
- बिहार की 20 नदियां खतरे के निशान से ऊपर
अनछपी: बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को पटना हाई कोर्ट द्वारा एके-47 और इंसास राइफल रखने के मामले में बरी कर दिया जाना बिहार सरकार के लिए शर्म की बात है। पटना हाई कोर्ट ने उनके मामले में साफ तौर पर सबूत के अभाव को आधार बनाकर उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया है। बिहार सरकार के पास अब लाज रखने के लिए एक ही काम बचा है और वह यह है कि वह तुरंत इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करे और मजबूत ढंग से सबूत पेश करे। अगर अनंत सिंह के घर हथियार मिलने की एफआईआर सही थी तो उसी के अनुसार हाई कोर्ट में सबूत भी पेश किए जाने थे। अगर पटना हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार अनंत सिंह के घर से हथियार मिलने का कोई सबूत नहीं है तो यह सवाल है कि पुलिस ने एफआईआर कैसे की और हथियारों की बरामदगी कैसे दिखाई? इस मामले में पुलिस और सरकार का बयान अभी सामने नहीं आया है और यह साफ नहीं है कि सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी या नहीं। फिलहाल पुलिस और सरकार को अगर अपनी इज्जत का ख्याल है तो उसे तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करनी चाहिए। अब आते हैं इस मामले के राजनीतिक पहलू पर। ऐसा कहा जाता है कि जब अनंत सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ छोड़कर आरजेडी का दामन थामा था तो अनंत सिंह को सबक सिखाने के लिए ऐसी एफआईआर की गई थी। अब यह कहा जा रहा है कि क्योंकि अनंत सिंह ने एक बार फिर पलटी मार ली है और अब वह और उनकी विधायक पत्नी जदयू के साथ हो गई हैं तो सरकार उन पर नरम पड़ रही है और यही कारण है कि सबूत न पेश किए जाने के आधार पर उन्हें हाई कोर्ट से बरी करने का फैसला सामने आया है। इस मामले में राजद और तेजस्वी यादव को भी क्लीन चिट नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्होंने भी अनंत सिंह को अपनी ओर करने की कोशिश की और उनकी पत्नी को अपनी पार्टी का टिकट देकर विधायक बनवाया था। अनंत सिंह को लेकर राजनीति चाहे जितनी गंदी हो रही हो, यह सरकार और पुलिस के इकबाल का मामला है। अगर बिहार सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाती है तो यही माना जाएगा कि उसने पुलिस का इस्तेमाल एक फर्जी केस बनाने में किया और इस तरह वह किसी भी दूसरे व्यक्ति को फर्जी केस में फंसा सकती है। कुल मिलाकर यह पूरा मामला नीतीश कुमार की छवि पर बदनुमा दाग बनता जा रहा है।
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