छ्पी-अनछपी: एसाईआर के बाद आज आएगी फाइनल वोटर लिस्ट, पीके बोले- सम्राट व अशोक इस्तीफा दें

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद आज फाइनल वोटर लिस्ट आएगी। प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और अशोक चौधरी को सरकार से बाहर किया जाना चाहिए। सम्राट चौधरी ने प्रशांत किशोर पर पलट वार करते हुए कहा है कि वह 241 करोड़ का हिसाब दें। बागमती और महानंदा नदियों पर तीन बार बराज बनाने के लिए केंद्र ने हरी झंडी दे दी है।

और, जानिएगा कि मधुबनी में बिना इलाज के गर्भवती को रेफर करने के बाद अस्पताल के गेट पर हुई डिलीवरी, जच्चा बच्चा दोनों की मौत।

पहली ख़बर

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन मंगलवार को होगा। चुनाव आयोग की ओर से इसे ऑनलाइन जारी किया जाएगा। इसे चुनाव आयोग की अधिकृत वेबसाइट ‘ईसीआई डॉट नेट’ पर आसानी से देखा जा सकेगा। इस बाबत सोमवार को बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार मतदाता सूची की प्रति सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी के पास भौतिक रूप में उपलब्ध रहेगी। अंतिम रूप से प्रकाशित मतदाता सूची राज्य के सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों को भी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्हें इसकी प्रति सॉफ्ट कॉपी के रूप में नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

सूची में 7.24 करोड़ से अधिक मतदाता होंगे

प्रकाशित मतदाता सूची में बिहार के 7.24 करोड़ से अधिक मतदाता होंगे। इतने मतदाताओं की ओर से अपना गणना फॉर्म भरकर जमा किया गया था। सूची में काटे गए 68.1 लाख नाम हट जाएंगे। वहीं, दावा-आपत्ति के दौरान 16 लाख 58 हजार 886 पात्र नागरिकों ने फॉर्म-6 भरकर जमा कराया। चुनाव आयोग के अनुसार 36,475 मतदाताओं ने नाम जोड़ने के लिए दावा पेश किया जबकि 2,17,049 मतदाताओं ने नाम हटाने के लिए आवेदन किए। वहीं, राज्य के करीब तीन लाख मतदाताओं को आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं किए जाने को लेकर नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया। अंतिम रूप से प्रकाशित मतदाता सूची में एसआईआर के दौरान मृतक, स्थानांतरित एवं दोहरी प्रवृष्टि वाले मतदाताओं के नाम शामिल नहीं होंगे।

पीके की मांग- सम्राट और अशोक चौधरी इस्तीफा दें

जागरण के अनुसार एनडीए के जिन पांच नेताओं पर जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) ने भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के आरोप लगाए थे, उनमें से दो (उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी) के संदर्भ में सोमवार को फिर कुछ नए रहस्योद्घाटन किए। अपनी आय का लेखा-जोखा देते हुए पीके ने चेतावनी दी कि अगर सम्राट और अशोक जनता के सामने आकर सच्चाई नहीं बताते और मंत्रिमंडल से बाहर नहीं होते तो जसुपा न्यायालय का रुख करेगी। अशोक चौधरी पर उन्होंने निविदाओं के साथ ठेकेदारों को भुगतान करने तक में कमीशन लेने का आरोप लगाया। कहा कि अभी तो इनसे 200 करोड़ का हिसाब मांगा जा रहा है। 500 करोड़ की काली कमाई इनकी अलग से है।

प्रशांत 241 करोड़ कहां से लाये, हिसाब दें: सम्राट

हिन्दुस्तान के अनुसार Bउपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के आरोपों पर पलटवार किया। सोमवार की शाम को उन्होंने कहा कि वह नौसिखिया बच्चे की तरह बात कर रहे हैं। प्रशांत 241 करोड़ कहां से लाये, हिसाब दें। सवालिया लहजे में कहा कि तुम्हारा बाप है क्या? कैसे दे दिया पैसा तुमको? तुम अपराध कर रहे हो। अपराधी को जवाब देना ही पड़ेग। उपमुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीच में कहा कि शिल्पी हत्याकांड में प्रशांत किशोर जिस राकेश कुमार की बात कर रहे हैं, वो हाजीपुर का व्यवसायी था। मेरा नाम उसमें नहीं है। उनको जानकारी का अभाव है। मीडिया के बीच बने रहने के लिए वे बोल रहे हैं। कहा कि 1995 के हत्याकांड पर मैं विस के अंदर भी बोलता रहा हूं कि लालू ने मुझे जेल भेजा। उसके पहले मैं राजनीति में भी नहीं था।

बागमती व महानंदा पर तीन बार बराज बनाने के की मंजूरी

बिहार में तीन नये बराज के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इसके तहत बागमती नदी पर दो जबकि महानंदा नदी पर एक बराज का निर्माण होगा। केंद्रीय जल आयोग की स्क्रीनिंग कमेटी के तहत परियोजना मूल्यांकन संगठन ने इन परियोजनाओं की प्रारंभिक संभाव्यता रिपोर्ट (पीपीआर) को हरी झंडी दे दी। तीन नए बराज के निर्माण के बाद सूबे में इनकी कुल संख्या छह हो जाएगी। फिलहाल कोसी, गंडक और सोन नदी पर बराज हैं। जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने बताया कि मंजूरी के बाद विभाग इसके लिए आगे की प्रक्रिया में जुट गया है। दिल्ली में आयोजित केन्द्रीय जल आयोग के परियोजना मूल्यांकन संगठन की उच्चस्तरीय बैठक में व्यापक विमर्श के बाद ढेंग और कटौंझा में बागमती जबकि तैयबपुर में महानंदा नदी में नए बराज निर्माण पर सहमति दे दी गयी।

मधुबनी में बिना इलाज के बिना जच्चा बच्चा दोनों की मौत

प्रभात खबर के अनुसार मधुबनी जिले के बेनीपट्टी सबडिवीजन अस्पताल में सोमवार की सुबह प्रसव पीड़ा से कराह रही प्रसूता को ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक या स्वास्थ्यकर्मियों ने इलाज नहीं किया, जिससे जच्चा और बच्चा की जान चली गयी। बेनीपट्टी प्रखंड के चानपुरा निवासी बेचन कुमार की पत्नी खुशबू का प्रसव होना था। तबीयत बिगड़ने पर पति व परिजन उसे लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे। महिला के पति बेचन ने बताया कि वह पहली मंजिल पर स्थित लेबर रूम में पत्नी को ले गये। वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने वहां से नीचे चिकित्सक के पास ले जाने को कहकर टाल दिया। इसके बाद जब वह पत्नी को नीचे सात नंबर कमरे में तैनात चिकित्सक के पास ले गया, तो उन्होंने बिना देखे ही बाहर जाने की सलाह दे दी। वह पत्नी को लेकर बाहर निकलने लगे तो प्रसव पीड़ा और तेज हो गई। इससे वह अस्पताल के में गेट पर ही बैठ गई। इसके बाद अस्पताल के उपाधीक्षक को फोन कर पूरी जानकारी दी। उन्होंने ड्यूटी में तैनात डॉक्टर को मरीज को तुरंत जाकर देखने को कहा। इसके बावजूद डॉक्टर ने इलाज जरूरी नहीं समझा और महिला की डिलीवरी गेट पर ही होने लगी। इसे देखकर आसपास की महिलाओं ने तुरंत साड़ी का घेरा बना दिया लेकिन डिलीवरी सही से नहीं हो पाई और नवजात शिशु का शरीर बाहर और गर्दन अंदर ही फंस गई। स्थिति को बिगड़ते देख ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने एंबुलेंस बुला प्रसूता को वहां से रेफर कर दिया। इसके बाद महिला को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसे ₹40000 की फीस की मांग की गई। पैसे का इंतजाम नहीं होने से उसे सीतामढ़ी ले जाया गया जहां जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो।

कुछ और सुर्खियां:

  • सीट बंटवारे को लेकर 8 अक्टूबर को दिल्ली में होगी एनडीए की बैठक
  • पीओके में पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ हजारों लोग सड़क पर उतरे, सुरक्षा बलों की गोलीबारी में तीन की मौत
  • पूर्णिया के भवानीपुर में भर्ती के लिए दौड़ लगा रही दो छात्राओं को कार ने रौंदा, दोनों की मौत
  • बिहार में तीन और नई अमृत भारत समेत कुल 7 ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई गई
  • चांदी पहली बार डेढ़ लाख रुपए किलो हुई, 24 कैरेट सोना 119500 प्रति 10 ग्राम

अनछपी: अपने सबसे बुरे दौर में चल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह तकिया कलाम रहता है कि 2005 से पहले कुछ था जी! वह तीन ‘सी’ की बात करते थे कि क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से समझौता नहीं करेंगे। इस समय बिहार में करप्शन एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है और नीतीश कुमार इस बारे में एक शब्द भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं। यह बात भी माननी चाहिए कि आम लोगों की शिकायतों से ज्यादा इसे नीतीश सरकार के मंत्रियों का नाम लेकर भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने में प्रशांत किशोर ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उनकी भूमिका जारी है। अफसोस की बात यह है कि बिहार का विपक्ष ऐसे मुद्दों को मजबूती से उठाने में नाकाम दिखता है। नीतीश कुमार कहते हैं कि 2005 के पहले कुछ नहीं था लेकिन उसके 20 साल बाद भी यह खबर आती है की डिलीवरी के लिए अस्पताल गई किसी महिला को सब डिविजनल अस्पताल में भी इलाज नहीं मिलता है और उसे रेफर कर दिया जाता है। इस सब डिविजनल अस्पताल के बनने पर करोड़ों रुपये खर्च हुए होंगे और वहां तैनात डॉक्टरों को भी लाखों का वेतन मिल रहा होगा। इस अस्पताल में जो चीज नहीं मिली वह थी सही समय पर इलाज की सुविधा। कथित डबल इंजन की सरकार का दावा यह भी रहता है कि लोगों को आयुष्मान कार्ड के जरिए ₹500000 तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है लेकिन अगर इसके बावजूद एक महिला की डिलीवरी सही से नहीं कराई जाती है और जच्चा बच्चा की मौत हो जाती है तो यह बिहार के लिए एक बड़ा मुद्दा क्यों नहीं बन पाता है? निश्चित तौर पर नीतीश कुमार की यह चला चली की बेला है लेकिन क्या विपक्ष जनता के बीच जनता के मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाएगा? नीतीश कुमार का ‘2005 के पहले कुछ था जी’ वाला डायलॉग बहुत घिस पिट चुका है और बिहार की जनता को एक नए बिहार की और एक नए नेता की जरूरत है।

 

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