बिहार में 4.7 करोड़ बच्चे, चिंतनीय: बाल श्रम में देश भर में तीसरे स्थान पर

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। बिहार में करीब 4.7 करोड़ बच्चे हैं और इनमें काफी संख्या में बाल मजदूर हैं। देश भर में बाल श्रम के संदर्भ में बिहार तीसरे स्थान पर है जो चिंतनीय है। ये बातें यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख, नफीसा बिन्ते शफीक ने रविवार को पटना के ज्ञान भवन में ’विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि आंकड़े से किशोर बाल श्रमिकों की निश्चित संख्या ठीक-ठीक जानकारी नहीं मिलती। आंकड़े बताते हैं कि बहुत कम लड़कियाँ बाल श्रम में लिप्त हैं। लेकिन इसके उलट सच्चाई यह है कि बड़ी संख्या में लड़कियाँ घरेलु कामगार के रूप में कार्यरत हैं और देह व्यापार में भी धकेली जाती हैं।
उन्होंने बताया कि यूनिसेफ एवं अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी में एक प्रतिशत की वृद्धि से बाल मजदूरी में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जाती है।
श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कहा कि सामजिक-आर्थिक पिछड़ापन जो बाल मजदूरी को बढ़ावा देने में मुख्य कारक के तौर पर काम करता है, उसे खत्म करना अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में श्रम संसाधन विभाग एवं समाज कल्याण विभाग ने जागरूकता फैलाने के अलावा कई कार्यक्रम चलाए हैं जिससे बाल श्रम में गिरावट आई है। लेकिन अभी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।
श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि यह हर्ष का विषय है कि ई-श्रम पोर्टल पर निबंधन के मामले में हम यूपी के बाद दूसरे नंबर पर हैं। उन्होंने बताया कि समेकित प्रयास से अब तक 1963 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया है।
इस अवसर पर यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम के नये संस्करण एवं धावा दल के अनुश्रवण हेतु ऐप का विमोचन भी किया गया।
बाल श्रम निषेध विषय पर यूनिसेफ एवं महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से 22 जिलों में चलाए जा रहे उड़ान कार्यक्रम के तहत किशोर-किशोरियों के बीच आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया।

समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा ने कहा कि दस वर्षों में बाल तस्करी के स्वरूप में भी काफी बदलाव आया है जिसे देखते हुए हमने भी रणनीति में बदलाव करते हुए धावा दल एवं अन्य एजेंसियों की मदद से बाल मजदूरी में लिप्त बच्चों को विमुक्त कराने के लिए कई विशेष अभियान चलाए हैं। राज्य स्तर से लेकर निचले स्तर पर चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटियों का गठन किया जा चुका है। लगभग छह हजार पंचायतों एवं 84 हजार वार्डों में ये समितियां गठित हो चुकी हैं।
अनिल किशोर यादव, पुलिस अपर महानिदेशक, कमजोर वर्ग ने कहा कि जस्टिस डिलीवरी सिस्टम को और सशक्त बनाने की जरूरत है।

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