छ्पी-अनछपी: वक़्फ़ पर सरकार की मंशा कोर्ट में भी हावी, मोदी फिर बोले घुसपैठ- सुनते रहे नीतीश
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। विवादास्पद वक़्फ़ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए सरकार की अक्सर मंशा को मान ली है हालांकि कुछ शर्ते भी लगाई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में आकर एक बार फिर घुसपैठ का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुपचाप सुनते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर एसआईआर में गड़बड़ी मिली तो पूरी प्रक्रिया रद्द की जाएगी।
और, जानिएगा कि नीतीश सरकार में मंत्री जीवेश पर पत्रकार से मारपीट का आरोप, तो तेजस्वी यादव ने जाकर करवाई एफआईआर।
पहली ख़बर
हिन्दुस्तान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में भारत का कानून चलेगा। घुसपैठियों की मनमानी नहीं चलेगी। कांग्रेस-राजद की जमात सुन ले, घुसपैठियों को हर हाल में बाहर जाना ही होगा। घुसपैठ पर ताला लगाना एनडीए सरकार की जिम्मेदारी है। जो घुसपैठियों को बचाने मैदान में आए हैं, मैं उनको चुनौती देता हूं कि आप चाहे जितना जोर लगा लें, मैं घुसपैठियों को हटाने का काम करता रहूंगा। प्रधानमंत्री सोमवार को पूर्णिया के शीशाबाड़ी में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने 40 हजार करोड़ की योजनाओं की सौगात बिहार को दी। पूर्णिया एयरपोर्ट के नये टर्मिनल भवन का उद्घाटन और हवाई यात्रा का शुभारंभ भी किया। वहीं, पीरपैंती में बिजलीघर, कोसी-मेची जोड़ योजना और विक्रमशिला-कटरिया रेल लाइन की आधारशिला रखी। साथ ही राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का शुभारंभ किया। उन्होंने आगे कहा कि भारत में घुसपैठियों के कारण डेमोग्राफी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। बिहार, पश्चिम बंगाल, असम जैसे राज्यों में बहन-बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसलिए मैंने लालकिले से डेमोग्राफी मिशन की घोषणा की थी। विपक्ष वाले घुसपैठियों को बचाने में लगे हैं। यात्रा निकाल रहे हैं। यहां के संसाधन व सुरक्षा को दांव पर लगा रहे हैं।
नीतीश ने की मोदी की तारीफ़
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश के साथ-साथ बिहार के लिए बहुत काम कर रहे हैं। यह बहुत खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री पूर्णिया आये हैं। इस अवसर पर यहां से बिजली, रेलवे, नगर विकास एवं बाढ़ नियंत्रण से संबंधित 12 योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हो रहा है। चार ट्रेनों को हरी झंडी दिखायी गई है। मुख्यमंत्री सोमवार को पूर्णिया में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पूर्णिया हवाई अड्डा के नये टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया है। इसके लिए राज्य सरकार बहुत पहले से प्रयास में थी, लेकिन पीएम के चलते यह काम जल्द पूरा हो गया। उन्होंने कहा कि पहले हमारी पार्टी के कुछ लोग गड़बड़ कर देते थे। अब सवाल ही नहीं पैदा होता है। हमलोग मिलकर काम करेंगे।
वक़्फ़ पर सरकार की मंशा कोर्ट में भी हावी, शर्तें लागू
जागरण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ संशोधन कानून 2025 पर पूरी तरह रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने पक्षकारों के हित सुरक्षित रखने और मामले में संतुलन कायम करने के लिए कानून के कुछ चुनिंदा प्रावधानों पर अंतरिम रोक जरूर लगा दी है। सर्वोच्च अदालत में वक़्फ़ करने के लिए कम से कम 5 वर्ष तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होने की अनिवार्यता पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही विवादित संपत्ति की जांच होने और डेजिग्नेटिड ऑफीसर द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने तक उस संपत्ति को वक़्फ़ नहीं माने जाने के सब क्लॉज़ पर भी रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा कि जब तक विवादित संपत्ति के बारे में ट्रिब्यूनल या हाई कोर्ट फैसला नहीं दे देता तब तक उस संपत्ति के चरित्र में कोई बदलाव नहीं होगा और ना ही उसके राजस्व रिकॉर्ड में कोई बदलाव किया जाएगा। उस संपत्ति में तीसरे पक्ष के हित भी सृजित नहीं किए जाएंगे। कोर्ट ने वक़्फ़ संपत्तियों का पंजीकरण कराने की अनिवार्यता पर रोक नहीं लगाई। ऐसे में वक़्फ़ संपत्तियों का उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण बदस्तूर जारी रहेगा। कानून के अन्य प्रावधान भी उसी तरह लागू रहेंगे। वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को प्रभावित करने वाला यह दूरगामी अंतरिम आदेश प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस अगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सोमवार को दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी कानून पर अंतरिम रोक लगाने के लेकर सावधानी बरतनी चाहिए और दुर्लभ मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने 128 पेज के विस्तृत आदेश में पूरे कानून पर अंतरिम रोक लगाने की मांग खारिज कर दी।
एसआईआर में गड़बड़ी मिली तो पूरी प्रक्रिया रद्द की जाएगी: कोर्ट
हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह यह मानता है कि भारत का निर्वाचन आयोग बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान कानून का पालन कर रहा है। कोर्ट ने आगाह किया कि किसी भी अवैधता की स्थिति में इस प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार एसआईआर की वैधता पर अंतिम दलीलें सुनने के लिए सात अक्टूबर की तारीख तय की और इस कवायद पर ”टुकड़ों में राय” देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, बिहार एसआईआर में हमारा फैसला पूरे भारत में एसआईआर के लिए लागू होगा। इसने स्पष्ट किया कि वह निर्वाचन आयोग को देश भर में मतदाता सूची में संशोधन के लिए इसी तरह की प्रक्रिया करने से नहीं रोक सकती।
तेजस्वी ने पत्रकार पर हमले के खिलाफ करवाई मंत्री पर एफआईआर
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव सोमवार को दरभंगा के सिंहवाड़ा थाना पहुंचे और नगर विकास मंत्री जिवेश कुमार पर मुकदमा दर्ज कराया। तेजस्वी के साथ मारपीट में चोटिल दिलीप कुमार सहनी उर्फ दिवाकर भी थे। दरअसल 14 सितंबर की देर शाम नगर विकास मंत्री जिवेश कुमार के सामने रामपट्टी गांव में दो गुटों में मारपीट हुई थी। उसमें दिलीप कुमार चोटिल हो गये थे। मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को लेकर नेता प्रतिपक्ष करीब 45 मिनट तक थाने में ही बैठे रहे। मौके पर सांसद संजय यादव, पूर्व मंत्री सह दरभंगा ग्रामीण के विधायक ललित यादव, पूर्व मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी, पूर्व विधायक भोला यादव आदि भी मौजूद थे। थानाध्यक्ष बसंत कुमार ने कहा कि दिलीप कुमार सहनी के आवेदन पर मंत्री जिवेश कुमार व उनके समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। वहीं इस प्रकरण पर पटना और दरभंगा में पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी ने कहा कि दिलीप के साथ मंत्री ने मारपीट की है। यह मीडिया पर हमला है। ऐसे लोकतंत्र नहीं चल सकता। मंत्री पर दवा चोरी का आरोप है। प्रधानमंत्री की टीम में ऐसे-ऐसे लोग हैं। वहीं, मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाले दिलीप ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह यू-ट्यूबर बनने की कोशिश कर रहा है।
कुछ और सुर्खियां:
- इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर की गई
- रेलवे में अब जनरल रिज़र्व टिकट बुक करने के लिए भी आधार जरूरी, पहले 15 मिनट तक एजेंट को टिकट बुक करने की अनुमति नहीं
- मुजफ्फरपुर में दो सगी बहनें बैंक पीओ स्वाति साह और सुरुचि साह की ट्रेन से कटकर मौत
- झारखंड के हजारीबाग जिले में सवा करोड़ के इनामी सहदेव सोरेन समेत तीन नक्सलियों को मार गिराने का दावा
- अररिया के फुलकाहा थाना के दरोगा राजीव रंजन की हत्या के मामले में 18 मुजरिमों को उम्र कैद की सजा
अनछपी: मोदी सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद वक़्फ़ संशोधित कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बारे में यही कहा जा सकता है कि यह रोक नहीं है बल्कि यह रोग को बढ़ावा देने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने एक दो बातों में सरकार के कानून को गलत ठहराया है लेकिन जो बड़ी समस्याएं हैं उसमें वह सरकार के साथ नजर आता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस कानून के खिलाफ जो लोग सुप्रीम कोर्ट गए थे उनका साफ तौर पर कहना था कि वक़्फ़ बाय यूजर को खत्म करना सरकार की मनमानी है और इससे बड़े पैमाने पर बरसों बरस से जिस संपत्ति को वक़्फ़ माना जा रहा था उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इस बारे में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह कहना बिल्कुल सही है कि कोर्ट ने आंशिक राहत दी है पर व्यापक संवैधानिक चिताओं का समाधान नहीं किया है। वक़्फ़ बाय यूजर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि अगर संसद को यह पता चलता है कि उपयोगकर्ता द्वारा वक़्फ़ की अवधारणा से बड़ी संख्या में सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण किया गया है और इस खतरे को रोकने के लिए कानून में संशोधन के लिए कदम उठाया जाता है तो इस संशोधन को मनमाना नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बेहद निराशाजनक है क्योंकि इसने सरकार की मंशा और बात तो मान ली लेकिन जो वक़्फ़ के असल हकदार हैं उनकी बात को नकार दिया। सरकार की मंशा और नए कानून के खिलाफ जो लोग कोर्ट गए थे अगर उनकी बात सुनी जाए तो पता चलेगा कि दरअसल वक़्फ़ की संपत्तियों पर सरकार ने ही कब्जा कर रखा है लेकिन यहां तो सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की उस उल्टी बात को मान्यता दे दी कि सरकार की जमीन पर वक़्फ़ करने वालों ने कब्जा कर रखा है। वक़्फ़ करने के लिए किसी व्यक्ति को 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होने की शर्त पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तर्क को ही माना है हालांकि उसने फिलहाल इस पर इसलिए रोक लगाई है क्योंकि कोर्ट के अनुसार किसी को प्रैक्टिसिंग मुस्लिम घोषित करने के लिए कोई सिस्टम नहीं बना है। इसी तरह कोर्ट ने सरकार की वह बात भी मान ली की नए वक़्फ़ के लिए लिखित वक़्फ़ दस्तावेज जरूरी है। कोर्ट के इस अंतरिम फैसले में हम देखेंगे कि इसने सरकार की अधिकतर बातों को मान लिया है और कुछ मामलों में बेहद ढुलमुल रवैया अपनाया है। जैसे कोर्ट ने यह तो कहा कि जहां तक संभव हो सीईओ किसी मुसलमान को बनाया जाए लेकिन इसे जरूरी नहीं करार दिया। वक़्फ़ बोर्ड में ग़ैर मुसलमानों को शामिल करने के कानूनी बदलाव के खिलाफ भी अर्जी दी गई थी लेकिन कोर्ट ने इसे नहीं माना। कुल मिलाकर वक़्फ़ की संपत्ति की लड़ाई लड़ने वालों के लिए कोर्ट का फैसला बेहद चुनौतीपूर्ण है और अगर वह इसमें इंसाफ चाहते हैं तो उन्हें अपने आंदोलन को और तेज करना होगा।
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