छपी-अनछपी: सीवान में बड़े हवाला रैकेट का भंडाफोड़, बोले जयशंकर- विदेशों में मंदिरों की देखरेख विदेश नीति में
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सीवान में एक बड़े हवाला रैकेट के पता चलने का दावा वहां की पुलिस ने किया है जिसकी खबर को सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि विदेशों में मंदिरों का संरक्षण विदेश नीति का हिस्सा है। इसकी खबर जागरण में प्रमुखता से ली गई है।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी सुर्खी है: सऊदी से पैसे मंगा दूसरे देश भेजने वाले गैंग का खुलासा। भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: हवाला के बड़े रैकेट का खुलासा 1 दिन में पाकिस्तान भेजे 1 करोड़। सीवान जिले में हवाला कारोबार के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पता चला है। पुलिस ने भगवानपुर हाट थाने के ब्रह्मपुर गांव में छापेमारी कर इस रैकेट से जुड़े तीन शातिर को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह सउदी अरब से करोड़ों रुपये मंगवाकर पाकिस्तान, बांग्लादेश व इजरायल समेत अन्य देशों को विदेशी मुद्रा में बदलकर भेजा करता था। पकड़े गए लोगों में गोपालगंज के थावे थाना क्षेत्र के मीरअलीपुर निवासी आलमगीर शेख का पुत्र शेख कलीम, सीवान नगर थाना क्षेत्र के साधुचक वार्ड नंबर-3 निवासी श्रीनिवास प्रसाद का पुत्र राजेश कुमार व भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के ब्रह्मस्थान निवासी विजेन्द्र सिंह का पुत्र मनु कुमार सिंह शामिल हैं। युवकों के पास से हथियार, गोली, चार पहिया वाहन, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, नकदी आदि बरामद किए गए हैं।
मास्टरमाइंड पकड़ से दूर
पकड़े गए लोगों से पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि हवाला करोबार का मास्टर माइंड राजकुमार व विश्वजीत कुमार हैं। हालांकि दोनों फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। पुलिस राजकुमार, विश्वजीत व हरेन्द्र की तलाश कर रही है। पुलिस को विश्वास है कि तीनों की गिरफ्तारी के बाद इस घटना का अहम राज खुल सकेगा। सामान की बरामदगी और युवकों की गिरफ्तारी हरेंन्द्र सिंह के घर से हुई है। एसपी शैलेश कुमार सिन्हा ने बताया कि सिवान के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी के देशों में रहते हैं। वहां से पैसा भारत मंगाने की बात समझ में आती है लेकिन यहां से पैसा पाकिस्तान भेजना शक पैदा करता है।
छह फीसद कमीशन
हवाला मामले में गिरफ्तार युवकों ने पुलिस को बताया है कि सभी हवाला का काम करते हैं। मास्टरमाइंड राज कुमार व विश्वजीत गांव के भोले-भाले लोगों को रुपये का लालच देकर उनके नाम पर खाता व डेबिट कार्ड फर्जी तरीके से बनवाते हैं। उन्हीं के खातों में विदेशों से करोड़ों रुपये मंगवाया जाता है और दूसरे देशों में भेजा जाता है। इसके बदले में गैंग छह फीसदी कमीशन वसूल करता हे।
मंदिरों का संरक्षण विदेश नीति का हिस्सा
जागरण की सुर्खी है: विदेश में मंदिरों का संरक्षण संवर्धन और नव निर्माण करने का प्रयास विदेश नीति का हिस्सा: जयशंकर। अखबार लिखता है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि विश्व स्तर पर मंदिरों के संरक्षण की आवश्यकता पहले की अपेक्षा कहीं अधिक है। मंदिरों का प्रसार भारतीय पारंपरिक ज्ञान के केंद्र और शिल्प के प्रोत्साहन के अतिरिक्त विदेश में भारतीय विरासत की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक है। जयशंकर जी-20 की बैठक में भाग लेने बनारस आए हुए हैं। यहां प्रबुद्ध जन से बातचीत में उन्होंने कहा कि फ्रांस व बहरीन में नए मंदिर के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। शीघ्र ही वहां भारत सरकार के सहयोग से निर्माण शुरू होगा। इसके लिए विदेश मंत्रालय में संस्कृति संरक्षण विभाग का गठन किया गया है।
चौखट पर मानसून
जागरण की सबसे बड़ी खबर है: बरसे बादल, चौखट पर पहुंचा मानसून। अखबार लिखता है की राजधानी पटना समेत बिहार में अब मानसून की बारिश में 48 घंटों का इंतजार है। रविवार की रात बिहार के कई हिस्सों में कहीं झमाझम तो कहीं हल्की वर्षा हुई। अगले दो दिनों में सिक्किम व पश्चिम बंगाल होते हुए मानसून बिहार के किशनगंज व पूर्णिया में दस्तक देगा। पटना व गया में 15 जून छपरा में 18 और 20 जून तक सभी हिस्सों में मानसून का असर देखा जा सकेगा।
आठ करोड़ का सोना ज़ब्त
हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: पटना में ट्रेन से 8 करोड़ का सोना जब्त। डीआरआई की विशेष टीम ने कोलकाता से नई दिल्ली जा रही दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेन की एसी कोच से दो तस्करों को साढ़े 12 किलो सोने के साथ गिरफ्तार किया है। इस सोने का बाजार मूल्य करीब 8 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। इन दोनों ने सोने की 30 से अधिक बिस्कुट को अपने शरीर में बेहद तरीके से बांध रखा था। गिरफ्तारी के बाद इनकी तलाशी में ये सभी बिस्कुट बरामद किये गये। पूछताछ में यह बात सामने आई कि गिरफ्तार दोनों तस्कर बिहार के बाहर के रहने वाले हैं। ये पहले भी इस तरह से कूरियर का काम कर चुके हैं। इस बार भी ये लोग कोलकाता से सोने की खेप को लेकर दिल्ली में किसी को सप्लाई करने के लिए जा रहे थे।
कुछ और सुर्खियां
- सारण जिले के एकमा में 10 कट्ठा पुश्तैनी जमीन में हिस्सा नहीं देने को अड़े अधेड़ ने तीन भाइयों को मार डाला
- 70 साल के हुए लालू प्रसाद, 76 पाउंड का केक काटकर मनाया जन्मदिन
- विदेशी मुद्रा खरीदने पर देना होगा 20% टैक्स
- संपत्ति के मूल दस्तावेज होने पर बैंक ग्राहक को देंगे जुर्माना
- यूएई भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक
- दरभंगा एम्स के लिए शोभन में दी गई 151 एकड़ जमीन लेने से स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया इंकार
- मणिपुर में 349 शिविरों में रह रहे 50,000 से अधिक विस्थापित
- मधुबनी में राज्यसभा सदस्य डॉ फैयाज के घर पर पथराव
- वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 209 रन से हराया
- नोवाक जोकोविच ने फ्रेंच ओपन के साथ 23वां ग्रैंड स्लैम जीता
अनछपी: भारत में राजनीति और धर्म को अलग रखने की बातें अब बेमानी लगती हैं। दुनिया के कई ऐसे देश हैं जो धर्म पर चलते हैं इसलिए वहां की राजनीति और धर्म के रिश्ते और भारत में राजनीति व धर्म के रिश्ते अलग-अलग होने चाहिए थे। लेकिन धीरे-धीरे भारत में धर्म और राजनीति का फर्क मिटता जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेशों में मंदिरों के संरक्षण की बात को विदेश नीति का हिस्सा बताया है। ऐसी खबरों पर लोगों को अब हैरत नहीं होती क्योंकि इसे सामान्य बात बना दिया गया है। भला भारत की सेक्युलर सरकार को विदेशों में मंदिरों के लिए क्यों चिंतित होना चाहिए? लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद विदेशों में मंदिर निर्माण में सरकारी दिलचस्पी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। धर्म को व्यक्तिगत आस्था की बात बताने वाले लोग भी मंदिरों के निर्माण को सरकारी नीति का हिस्सा बताते हैं तो उनसे यह सवाल किया जाना चाहिए कि यह एक धर्म विशेष के लिए सीमित क्यों है? इसी सरकार ने हज के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को हटा दिया था और इस पर हज पर जाने वाले लोगों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी। लेकिन दूसरी ओर हिंदू धर्म पर ख़र्च करने से इस सरकार को कोई गुरेज नहीं है। कायदे से सरकार को किसी भी धार्मिक मामले में पैसे देने से पहले कई बार सोचना चाहिए लेकिन यह करने के बजाय यह सरकार भेदभाव पर आधारित कदम उठाती है। विदेशों में मंदिर निर्माण वहां रहने वाले मंदिर प्रेमियों की चिंता का विषय होना चाहिए न कि भारत सरकार का। ऐसा लगता है कि इस कदम से भारतीय जनता पार्टी भारत में अपने वोट बैंक को और मजबूत करना चाहती है। विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले विदेश सचिव रह चुके हैं और उन्हें यह बताना चाहिए कि उनके विदेश सचिव काल में इस तरह मंदिर निर्माण की नीति थी क्या? वह जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से पढ़े लिखे हैं और उन्हें यह भी बताना चाहिए कि सेक्युलर सरकार के लिए मंदिर निर्माण को विदेश नीति का हिस्सा बताना कैसे सही है? मंदिर की देखरेख को संस्कृति का हिस्सा बताना वास्तव में आंखों में धूल झोंकने जैसा है क्योंकि इस तरह तो हर बात को संस्कृति का हिस्सा बताया जाएगा और एक धर्म विशेष के लिए सरकार अपना धन देते रहेगी। भारतीय लोकतंत्र में धीरे-धीरे एक ही धर्म का वर्चस्व पूरी तरह स्थापित होते जा रहा है और धर्मनिरपेक्षता की बात अर्थहीन हो चुकी है।
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