छ्पी-अनछपी: नीतीश का दावा- मदरसा शिक्षकों को समान वेतन, पीएम मोदी आज बिहार में
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड के समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया कि उन्होंने मदरसा के शिक्षकों को समान वेतन दिया लेकिन मदरसा शिक्षकों ने अपनी मांगों पर ध्यान न देने के विरोध में खूब हंगामा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गया और बेगूसराय पहुंच रहे हैं। केंद्र सरकार ने जीएसटी की नई दरों को मंजूरी दी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि एमपी एमएलए की चोरी करने वाले अब वोटो की चोरी करने लगे हैं।
और, जानिएगा कि असम के मुख्यमंत्री ने 18 साल पार करने वालों के आधार कार्ड बनाने पर रोक लगा दी है।
पहली ख़बर
हिन्दुस्तान के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हमारी सरकार ने मदरसा शिक्षकों को समान वेतन दिया। उन्होंने कहा कि पहले मदरसों की स्थिति काफी खराब थी, मदरसा शिक्षकों को बहुत कम पैसा मिलता था। वर्ष 2006 से मदरसों का निबंधन किया गया और उन्हें सरकारी मान्यता दी गयी है। उन्होंने कहा कि मदरसा शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन देना शुरू किया और तब से लगातार समान वेतन दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री गुरुवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित बापू सभागार में बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि आपके हित के लिए बहुत सारा काम किया जा रहा है और आगे जो भी जरूरतें होंगी, समस्याएं होंगी उसका समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 से पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए कोई काम नहीं किया गया था। हमारी सरकार बनने के बाद से मुस्लिम समुदाय के लिए काफी काम किया है। मुस्लिम समाज पूर्व की सरकार और हमारे कार्यों को अवश्य देखे, किसने उनके लिए क्या किया? पहले हिन्दू-मुस्लिम झगड़ा होता था, इसलिए वर्ष 2006 से ही कब्रिस्तान की घेराबंदी शुरू की गयी है। बड़े पैमाने पर कब्रिस्तानों की घेराबंदी की जा चुकी है।
मदरसा शिक्षकों का हंगामा
बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा गुरुवार को बापू सभागार में आयोजित शताब्दी समारोह के बाद मदरसा शिक्षकों ने हंगामा किया। शिक्षकों ने बोर्ड के अध्यक्ष सलीम परवेज के खिलाफ नारेबाजी की। अध्यक्ष ने उन्हें समझाने की कोशिश की, पर शिक्षक नहीं माने व हंगामा करते रहे। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने भी उन्हें समझाया। शिक्षकों का आरोप था कि चेयरमैन सलीम परवेज ने वेतन आदि से संबंधित बातें मुख्यमंत्री तक पहुंचाया ही नहीं। उधर सलीम परवेज ने हंगामे को सोची समझी साजिश करार दिया।
पीएम मोदी आज गया और बेगूसराय में
प्रभात खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह करीब 11:00 बजे गया से करीब 12992 करोड़ रुपए की लागत वाली कई विकास योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। मुख्य कार्यक्रम मगध विश्वविद्यालय परिसर में होगा जो बोधगया में है। इस दौरान प्रधानमंत्री दो ट्रेनों गया-दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस और वैशाली-कोडरमा के बीच बौद्ध सर्किट ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर उपस्थित लोगों को भी संबोधित करेंगे। इसके बाद वह बेगूसराय में गंगा नदी पर बने औंटा-सिमरिया पुल परियोजना का दौरा कर उसका उद्घाटन करेंगे। इस दौरान वह यहां 23 मिनट रुकेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहेंगे।
जीएसटी के लिए अब दो स्लैब सिस्टम
जागरण के अनुसार दो स्लैब वाली जीएसटी प्रणाली का रास्ता साफ हो गया है। जीएसटी के चार स्लैब की जगह दो स्लैब रखने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल की तरफ से गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने अपनी मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार ने 12% और 28% के जीएसटी स्लैब को समाप्त कर केवल 5% और 18% का स्लैब रखने का प्रस्ताव रखा है। विलासिता संबंधी एवं पान मसाला, गुटका जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तुओं को अलग से 40% स्लैब में रखने का प्रस्ताव है। गुरुवार को इस प्रस्ताव को बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व वाले जीओएम के समक्ष प्रस्तुत किया गया जीओएम ने इस प्रस्ताव को अपने मंजूरी देते हुए जीएसटी काउंसिल के पास भेज दिया।
एमपी-एमएलए की चोरी करने वाले अब वोटों की चोरी करने लगे: राहुल
भास्कर के अनुसार बिहार में चल रही वोटर अधिकार यात्रा का दूसरा चरण गुरुवार को शेखपुरा से शुरू हुआ। हालांकि यहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं पहुंच सके। राहुल यात्रा के अगले पड़ाव लखीसराय में जुड़े। गुरुवार की शाम लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव मुंगेर के हमजापुर पहुंचे। वहां सभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि कल तक एमएलए व एमपी की चोरी कर सरकार बनाने वालों ने अब पूरे तंत्र को अपने हाथों में ले लिया है। वे अब वोटों की चोरी करने लगे हैं। वोटर अधिकार यात्रा आम लोगों के हक की यात्रा है। हमें पता है कि गुजराती बिहारी से उनका हक नहीं छीन सकता। उन्होंने ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ के नारे भी लगाए।
असम में 18 साल पार करने वालों का अभी नहीं बनेगा आधार कार्ड
जागरण के अनुसार असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गुरुवार को घोषणा की कि राज्य में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को पहली बार आधार कार्ड नहीं मिलेगा। यह ऐतिहासिक कदम घुसपैठियोंको भारतीय नागरिकता मिलने से रोकने के लिए उठाया गया है। कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए हिमंत ने कहा कि अगर किसी को अभी तक आधार कार्ड नहीं मिला है तो उसे 1 सितंबर से केवल एक महीने का समय दिया जाएगा ताकि वह आधार कार्ड के लिए आवेदन कर सके। 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को अक्टूबर से पहली बार आधार कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की चाय जनजाति (चाय बागान मजदूरों), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को अगले एक वर्ष तक नए आधार कार्ड मिलते रहेंगे।
कुछ और सुर्खियां:
- बिहटा- सरमेरा फोर लेन पर पटना के गौरीचक के पास दो बाइक में टक्कर, चार युवकों की मौत
- संसद का मानसून सत्र समाप्त, लोकसभा में केवल 37 घंटे और राज्यसभा में 41 घंटे चर्चा हुई
- बिहार में राजस्व कर्मियों के तबादले और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगी
- लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन ऐंड रेगुलेशन एक्ट 2025 पास
- एके-47 राइफल मिलने के मामले में एनआईए ने पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में कई जगहों पर छापेमारी की
- 10 वर्षों में जापान भारत में 68 अरब डॉलर का निवेश करेगा
अनछपी: बिहार स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड के शताब्दी समारोह के नाम पर कार्यक्रम के बहाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मंच देकर मुसलमानों के बीच अपनी छवि बेहतर करने की कोशिश करने का जो मौका दिया गया वह गुरुवार को पटना के बापू सभागार के हंगामे के साथ उल्टा पड़ गया। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वाहवाही के बदले वहां पहुंचे लोगों ने उनके खिलाफ नारे लगाए और मुसलमानों के लिए काम करने के उनके दावों पर गंभीर सवाल उठाए। ध्यान रहे कि वैसे तो मदरसा बोर्ड के 100 साल 2022 में ही पूरे हो गए थे लेकिन इसके लिए समारोह चुनाव के ठीक पहले किया गया। यह शिकायत की गई कि इस कार्यक्रम के लिए मदरसा के उस्तादों और तालिब इल्मों को धोखा देकर वहां बुलाया गया। यह इल्जाम भी लगा कि मदरसा वालों को मदरसा बोर्ड के चेयरमैन सलीम परवेज की तरफ से धमकी देकर वहां जमा होने को कहा गया था। दरअसल कई सालों से मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष का पोस्ट खाली था और सलीम परवेज़ के बारे में समझा जाता है कि काफी जोड़ तोड़ के बाद उन्होंने यह पोस्ट हासिल किया और इसके बदले वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुश करना चाहते थे। मदरसा शिक्षकों का कहना था कि उन्हें यह बताया गया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके लिए कई घोषणाएं करेंगे लेकिन उन्होंने ऐसी कोई घोषणा नहीं की तो मदरसा शिक्षकों ने बोर्ड के अध्यक्ष सलीम परवेज पर धोखा और धमकी देकर बुलाने का आरोप लगाया। सलीम परवेज का व्यक्तित्व बहुत विवादास्पद रहा है और इससे पहले वक़्फ़ संशोधन बिल के समय जब बिहार में आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने इमारत-ए-शरिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। हालांकि इस बात पर बहस होती है कि नीतीश कुमार कितने होशो हवास में हैं लेकिन अगर वह इन सब बातों को समझ रहे हैं तो उनके लिए संदेश साफ है कि मदरसा के शिक्षक उनसे, उनकी व्यवस्था से और मदरसा बोर्ड के चेयरमैन से बिल्कुल खुश नहीं है। नीतीश कुमार इतने होशो हवास में तो जरूर हैं कि वह यह दावा करें कि ‘2005 से पहले मुसलमानों के लिए कुछ नहीं होता था’ और उन्होंने पिछले 20 सालों में मुसलमानों के लिए बहुत कुछ किया लेकिन वह उनकी शिकायतों को या तो समझ नहीं पा रहे हैं या समझते बूछते हुए भी नजरअंदाज कर रहे हैं। अब इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या नीतीश कुमार और उनके पार्टी की उम्मीदवारों को इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
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