छ्पी-अनछपी: डोमिसाइल नीति पर ना-ना करने के बाद नीतीश की हां, पटना में गंगा ख़तरे के निशान के पार
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। डोमिसाइल नीति पर ना ना करते आखिरकार नीतीश कुमार ने शिक्षक बहाली में इसके लिए हां कर दी। पटना में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वैशाली के जंदाहा में एक साइबर ठग गिरोह का पता चला है जो अमेरिका के लोगों से ठगी करता था। झारखंड आंदोलन के पुरोधा और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का दिल्ली में निधन। प्रत्यय अमृत बिहार के नए मुख्य सचिव होंगे।
और, जानिएगा कि भारत के सबसे अमीर लोग अपने पैसे क्या खरीदने में लगाते हैं।
पहली ख़बर
भास्कर के अनुसार बिहार में अब शिक्षकों की बहाली में डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को इस संबंध में घोषणा करते हुए शिक्षा विभाग को नियमानुसार संशोधन करने का निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षक भर्ती परीक्षा TRE 4 से ही यह प्रावधान लागू होगा जिसमें बिहार के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि TRE 5 से पहले राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार को प्राथमिकता दी गई है। बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति से शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत किया गया है। इस निर्णय की बिहार के युवा विशेष कर शिक्षक अभ्यर्थी लंबे समय से मांग कर रहे थे। बिहार के सरकारी स्कूलों में फिलहाल 5.65 लाख शिक्षक कार्यरत हैं जिनमें से करीब 83000 शिक्षक उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान जैसे दूसरे राज्यों के निवासी हैं।
पटना में गंगा नदी खतरे के निशान के ऊपर
प्रभात खबर के अनुसार बिहार की प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। बिहार में प्रवेश करते ही गंगा का जलस्तर लाल निशान के ऊपर हो जा रहा है। बक्सर में गंगा का जलस्तर सुबह में लाल निशान से 23 सेंटीमीटर ऊपर था जिसके शाम में 27 सेंटीमीटर और वृद्धि होने की संभावना थी। इसी प्रकार पटना के दीघा घाट में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 36 सेंटीमीटर ऊपर होने की संभावना है। गांधी घाट में गंगा खतरे के निशान से 70 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी जबकि हाथीदह में यह खतरे के निशान से 56 सेंटीमीटर ऊपर थी। इस बीच बिहार में अगले 7 दिनों तक बारिश का दौर जारी रहने का पूर्वानुमान है।
वैशाली के जंदाहा में अमेरिकियों से ठगी करने वाला साइबर फ्रॉड गैंग पकड़ाया
हिन्दुस्तान के अनुसार वैशाली जिले के साइबर थाने की पुलिस ने अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले पांच साइबर ठग को जंदाहा के लक्ष्मणपुर कद्दुटांड निवासी चुल्हाई सिंह के मकान में छापेमारी कर गिरफ्तार किया। ठगों के पास से पुलिस ने 05 लैपटॉप, 10 मोबाइल फोन, 16 डेबिट कार्ड, 06 क्रेडिट कार्ड, 02 राउटर, 05 हेडफोन, 02 आधार कार्ड, 02 माउस आदि बरामद किया है। गिरफ्तार साइबर ठगों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि अमेरिका के बुजुर्ग लोगों का डाटा गूगल समेत अन्य प्लेटफार्म एवं डार्क वेब से प्राप्त कर उनके कम्प्यूटर में ई-मेल से वायरस या बग भेज देते थे। गैंग का सरगना बिरजू ई-मेल से उनके लैपटॉप में आई समस्या को दूर करने के लिए फर्जी हेल्पलाइन नंबर भेजता था। इसके बाद अमेरिकी नागरिक मदद मांगते थे। ये फ्री सर्विस के नाम पर रिमोट एक्सेस लेकर उनके खाते से रुपये निकाल लेते थे। पकड़े गए साइबर ठगों में पश्चिम बंगाल निवासी डानियाल अख्तर, सैयद मो. शादाब अली, शेख आजीम, नूर आलम एवं मो. एहताशाम को गिरफ्तार किया गया। हालांकि छापेमारी की भनक मिलते ही ठगी का मुख्य सरगना बिरजू सिंह फरार हो गया। यह जानकारी पुलिस अधीक्षक ललित मोहन शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
शिबू सोरेन का निधन, 2 दिन का राजकीय शोक
प्रभात खबर के रांची संस्करण में कवर पेज पर लिखा गया है कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन के पुरोधा, आदिवासी अधिकारों के प्रखर पैरोकार और दिशोम गुरु के नाम से विख्यात शिबू सोरेन नहीं रहे। वह तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। शिबू सोरेन को सूदखोरों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी जाना जाता था। उनके पिता सुबरन मांझी की हत्या महाजनों ने कर दी थी। 81 साल की उम्र में उनका निधन झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए एक युग का अंत है। वह किडनी की बीमारी से परेशान थे। करीब डेढ़ महीने पहले उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी आया था। शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष आंदोलन और जन सेवा के मिसाल रहा। वह झारखंड की अस्मिता, सम्मान और पहचान के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहे। उन्होंने आदिवासियों के जल जंगल और जमीन की लड़ाई को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचा। शिबू सोरेन ने जिस आंदोलन को आकार दिया वह आज झारखंड राज्य के रूप में हमारे सामने है। शिबू सोरेन 19 जून से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज कर रहे थे। श्री सोरेन के निधन की खबर मिलते ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेता अंतिम दर्शन के लिए सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे। उनका अंतिम संस्कार रामगढ़ जिले के निमरा गांव में होगा।
प्रत्यय अमृत होंगे बिहार के नए मुख्य सचिव
1991 बैच के आईएएस अधिकारी प्रत्यय अमृत बिहार के नए मुख्य सचिव होंगे। एक सितंबर को वे पद संभालेंगे। उनका कार्यकाल 31 जुलाई 2027 तक रहेगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। प्रत्यय अमृत के पास अभी विकास आयुक्त के साथ स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव का भी प्रभार है। वह बिजली, पथ परिवहन समेत कई विभागों के प्रधान सचिव रह चुके हैं। पदभार ग्रहण करने तक उन्हें मुख्य सचिव कार्यालय में ओएसडी की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
भारत के सबसे अमीर लोग लगाते हैं इन दो सेक्टर में अपने पैसे
जागरण के अनुसार भारत की आबादी में एक प्रतिशत हिस्सेदारी वाले सबसे अमीर लोगों ने अपने धन का 60% हिस्सा रियल एस्टेट और सोने में निवेश किया है। अमेरिका की वेल्थ मैनेजमेंट फॉर्म बर्नस्टीन के अनुसार इस वर्ग में अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स, हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स और समृद्ध वर्ग शामिल हैं, जिनकी संख्या केवल एक प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार इस समय भारत की कुल घरेलू संपत्ति करीब 19.6 ट्रिलियन डॉलर है। इसमें से 11.6 ट्रिलियन डॉलर या 59% इस समृद्ध वर्ग के पास है। इस वर्ग के पास भारत की वित्तीय संपत्तियों का 70% है।
कुछ और सुर्खियां:
- अरवल से भाकपा माले के विधायक महानंद सिंह को 24 साल पुराने केस में जेल भेजा गया
- भारत में इंग्लैंड को दूसरे टेस्ट क्रिकेट में हराकर सीरीज दो-दो से बराबर की, मोहम्मद सिराज की शानदार गेंदबाजी
- इंडिया गठबंधन की वोट अधिकार यात्रा अब 17 अगस्त से
- बिहार में मैट्रिक परीक्षा 2027 के लिए आज से 19 अगस्त तक होगा रजिस्ट्रेशन
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को फिर धमकी दी- रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया तो और टैरिफ लगाएंगे
अनछपी: भारत की जमीन पर चीन के कब्जे के बारे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जो चिंता जताई थी उसे भारत के सैनिक जवानों की मानहानि का मुद्दा बनाकर मुकदमा किया गया था। इस मुकदमे पर रोक के लिए दी गई अर्जी की सुनवाई करते हुए राहुल गांधी के बारे में की गई सुप्रीम कोर्ट के एक जज की टिप्पणी न केवल अनावश्यक है बल्कि चिंताजनक भी है। हालांकि कोर्ट ने मानहानि के इस मुकदमे पर रोक लगा दी लेकिन इससे पहले कोर्ट ने राहुल गांधी को ऐसी नसीहतें दीं जिनके बारे में यह समझा जाता है कि वह विपक्ष के नेता के तौर पर बोलने की आजादी को नियंत्रित करने वाली है। यही नहीं कोर्ट ने जिस जिस तरह यह कहा कि अगर आप भारतीय होते तो ऐसा नहीं करते, वह बेहद आपत्तिजनक है और इसका विरोध जरूरी है। क्या भारतीय होने का मतलब सच्चाई बयान करने से रुक जाना होता है? कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि आप यह कैसे जानते हैं कि चीन ने भारत के 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है, क्या आप वहां मौजूद थे? कोर्ट का यह सवाल सही हो सकता है और राहुल गांधी को इसका जवाब देना चाहिए। वैसे भी, राहुल गांधी अकेले नहीं है जिन्होंने ऐसी बातें की हैं। लेकिन सिर्फ सवाल पूछने के बजाय कोर्ट ने जो नसीहतें दीं उसके लिए कोर्ट से सवाल कौन पूछेगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि राहुल गांधी को अपना बयान संसद में देना चाहिए और सोशल मीडिया पर यह बात नहीं लिखनी चाहिए। आखिर कोर्ट किस अधिकार से राहुल गांधी को सोशल मीडिया पर ऐसी बातें लिखने से रोकने को कह रहा है? कोर्ट को यह बताना चाहिए कि जो बात संसद में कही जा सकती है उसे सोशल मीडिया पर लिखने में किस कानून के तहत रोग लगाई जा रही है। क्या संसद में कही बात को आम लोग नहीं सुनते हैं? और कोर्ट इस बात को सुनिश्चित करेगा कि राहुल गांधी या कोई और विपक्षी नेता जो बात कहना चाहते हैं उस पर सरकारी पार्टी संसद में चर्चा होने दे? अभी पूरा विपक्ष एसआईआर पर बात करना चाह रहा है लेकिन संसद में इस बात पर चर्चा की इजाजत नहीं दी जा रही है तो सोशल मीडिया पर इस बात को क्यों नहीं लिखा जाए? पहले तो केवल सरकार सोशल मीडिया पर नियंत्रण करना चाहती थी, अब कोर्ट की टिप्पणी से ऐसा लगेगा कि वह भी सरकार के नियंत्रण को जारी रखना चाहता है। लोकतंत्र के हित के लिए राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट की गई टिप्पणी पर सवाल उठाना जरूरी है।
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