छ्पी-अनछपी: अडानी पर संसद में विपक्ष को बोलने नहीं दिया गया, सुप्रीम कोर्ट का फैसला- नहीं हटेगा सेक्यूलर शब्द
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। उद्योगपति गौतम अडानी के घूस मामले पर विपक्ष को संसद में बोलने की इजाज़त नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द हटाने की अर्जी रद्द कर दी है। इमारत-ए-शरिया के अमीर फैसल रहमानी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव पद और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। जदयू सांसद ललन सिंह के मुसलमानों के वोट पर बयान से सियासी जंग छिड़ गई है।
यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।
भास्कर के अनुसार अमेरिकी अदालत में उद्योगपति गौतम अडानी पर रिश्वत देने के आरोप लगने के बीच संसद के शीतकालीन सत्र की सोमवार को हंगामादार शुरुआत हुई। कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष अडानी रिश्वत कांड पर सदन में चर्चा की मांग पर अड़ गया है। इसके चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही ठप रही। लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को अडानी मुद्दे पर बोलने की अनुमति नहीं दी। राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही सदन अध्यक्ष जगदीप धनखड़ को अडानी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 7 नोटिस मिले। इनमें से एक विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का था लेकिन इसे धनखड़ ने अस्वीकार कर दिया। इस पर खड़गे ने कहा कि अडानी का मुद्दा महत्वपूर्ण है फिर भी इस चर्चा के लिए नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि दुनिया में भारत की छवि खराब हुई है फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अडानी का समर्थन कर रहे हैं। इस पर धनखड़ ने खड़गे के आरोपों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि रिश्वत कांड की संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) से जांच कराई जाए लेकिन भाजपा डर रही है।
टोटल एनर्जीज ने अडानी समूह में निवेश रोका
रिश्वत कांड की जांच के बीच सोमवार को फ्रांस की दिग्गज एनर्जी कंपनी टोटल एनर्जीज ने कहा कि उसे हाल ही में अडानी समूह से जुड़े 26.5 करोड़ डॉलर के रिश्वत कांड की जानकारी मिली है। जब तक अडानी ग्रुप के व्यक्तियों के खिलाफ आरोप और उसके परिणाम स्पष्ट नहीं हो जाते तब तक हम अडानी ग्रुप में नया निवेश नहीं करेंगे। इस खबर के बाद अडानी ग्रीन के शेयर 8.05% की गिरावट पर बंद हुए।
संविधान की प्रस्तावना से नहीं हटेगा सेक्यूलर शब्द
हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसले में संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दीं। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान की प्रस्तावना अपने मूल रूप में भी 1976 में 42वें संशोधन के पारित होने से पहले भी धर्मनिरपेक्ष लोकाचार को दर्शाती थी। वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने संविधान के 42वें संशोधन के जरिए प्रस्तावना में सामाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को शामिल किया था। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 1949 में संविधान को अपनाते समय ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को वस्तुनिष्ठ रूप से परिभाषित नहीं किया गया था। इसके बावजूद, प्रस्तावना में निहित मूल सिद्धांत ‘स्थिति और अवसर की समानता, बंधुत्व, व्यक्तिगत गरिमा सुनिश्चित करना, न्याय के साथ-साथ, सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक और स्वतंत्रता, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और पूजा, इस धर्मनिरपेक्ष लोकाचार को दर्शाते हैं।
फैसल रहमानी का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से इस्तीफा
जागरण के अनुसार इमारत-ए-शरिया बिहार, झारखंड व ओडिशा के अमीर और मुंगेर के खानकाह रामानी के सज्जादानशीं अहमद अली फैसल रहमानी ने सोमवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्यता, कार्यकारिणी और सचिव पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफा में लिखा कि वर्तमान परिस्थितियों में बोर्ड के आंतरिक संचार, निर्णय लेने की प्रक्रिया, पूर्वजों की इस्लामी सोच, बोर्ड के उद्देश्यों और इमारत-ए-शरिया के साथ सामंजस्य की कमी के कारण वह अपनी जिम्मेदारियां को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ महसूस कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि कमाल फारूकी को बिना किसी परामर्श के कार्यकारिणी से हटा दिया गया।
मुसलमानों के वोट न देने के बारे में ललन सिंह के बयान पर विवाद
बिहार में अल्पसंख्यकों के वोट को लेकर केन्द्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के बयान पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। गौरतलब है कि ललन सिंह ने मुजफ्फरपुर की एक सभा में कहा कि मुसलमान हमें (जदयू को ) वोट नहीं करते, जबकि सरकार मुसलमानों के हित में काम कर रही है। राजद विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा कि ललन सिंह जदयू से अधिक भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। एआईएमआईएम के अख्तरुल इमान ने कहा कि किसी धर्म विशेष को निशाना बनाना संविधान के खिलाफ है। उन्होंने ललन सिंह के बयान के बारे में कहा कि उससे उनका चरित्र उजागर हो गया है। कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने पूछा कि क्या ललन सिंह हर बूथ पर खड़े होते हैं जो उन्हें पता है कि मुसलमान वोट नहीं कर रहा है? क्या वह एक्सरे मशीन लेकर चलते हैं। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने कहा कि जदयू को मुस्लिम समाज का भी वोट मिलता है लेकिन विधान पार्षद खालिद अनवर ने कहा कि जदयू को अल्पसंख्यक का वोट मिलता है लेकिन जितना काम किया है उसे हिसाब से कम वोट मिलता है।
आईपीएल: बिहार के तेरह साल के वैभव के लिए एक करोड़
प्रभात खबर के अनुसार आईपीएल मेगा ऑक्शन में बिहार के 13 साल के वैभव सूर्यवंशी सबसे चर्चित रहे। राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें एक करोड़ 10 लख रुपए में अपने साथ जोड़ा है। बाएं हाथ के बल्लेबाज वैभव मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले हैं। वैभव आईपीएल के इतिहास में नीलाम होने वाले सबसे युवा क्रिकेटर बन गए हैं। अनकैप्ड कैटेगरी के तहत लिस्टेड वैभव की बेस प्राइस 30 लाख रुपए थी। उनकी नीलामी में राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स दोनों ने ही बोली लगाई।
ट्रक लेकर आये और लूट ले गए 25 लाख का लहसुन
हिन्दुस्तान के अनुसार गया के शेरघाटी अनुमंडल मुख्यालय के पास अकौना कस्बे में ट्रक लेकर आए बदमाश एक कारोबारी के गोदाम से 25 लाख रुपये का लहसुन और अन्य सामान लूटकर ले गए। घटना सोमवार भोर की है। लूट की जगह आमस थानाक्षेत्र में है। डकैत सीढ़ी के सहारे गोदाम के अंदर घुसे थे। घटना को अंजाम देने के पूर्व तीन कर्मचारियों को बंधक बना लिया था। बदमाशों ने उनका मोबाइल और एक सोने की चेन भी छीन ली। अपराधियों की संख्या बीस के करीब थी। मौके से पुलिस ने 15 फीट लंबी एक बांस की सीढ़ी बरामद की है, जिसका इस्तेमाल 12 फीट ऊंची गोदाम की दीवार को लांघ कर अंदर आने के लिए किया गया था।
कुछ और सुर्खियां
- दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ‘डूसू’ के अध्यक्ष पद पर 7 वर्ष बाद एनएसयूआई का कब्जा
- उत्तर प्रदेश के संभल में पुलिस फायरिंग में चार लोगों की मौत के बाद पुलिस ने सांसद जियाउर रहमान बर्क पर मुकदमा किया
- बांग्लादेश में इस्कॉन के सचिव चिन्मय ब्रह्मचारी देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार
- तीन विधायकों के शपथ ग्रहण के साथ शुरू हुआ बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र
- अब क्यूआर कोड के साथ जारी होगा पैन कार्ड
- भारत ने पर्थ टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हराया
- नवगछिया के खरीक थाना क्षेत्र में ज्वेलरी की दुकान से तीन करोड़ के जेवरात की चोरी
- पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक इस्लामाबाद में घुसे, पुलिस का लाठीचार्ज
अनछपी: लंबे इंतजार और काफी धरना प्रदर्शन के बाद बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने सहायक उर्दू अनुवादक का रिजल्ट तो जारी कर दिया लेकिन 1294 पदों में से 215 पद इसलिए खाली रह गए क्योंकि योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। किसी प्रतियोगी परीक्षा में सही उम्मीदवार नहीं मिलने की बात सुनकर थोड़ा ताज्जुब होता है लेकिन जो पद खाली रह गए हैं उसके लिए उम्मीदवारों की क्षमता की कमी कारण नहीं है। दरअसल इन पदों को जिस वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था उसके योग्य उम्मीदवार नहीं मिले हैं। उदाहरण के लिए अनुसूचित जनजाति यानी एसटी के लिए आरक्षित 13 पदों के लिए एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिला। यह पता नहीं चल पाया कि इस वर्ग के कितने उम्मीदवारों ने परीक्षा फॉर्म भरे थे। इसके अलावा अनुसूचित जाति यानी एससी के लिए आरक्षित 207 पदों में केवल 17 पर ही योग्य उम्मीदवार मिले। इसके बारे में भी यह नहीं मालूम हुआ कि इस वर्ग के कितने लोगों ने परीक्षा दी थी। इन दोनों वर्गों के लिए आरक्षित पदों पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने की एक बड़ी वजह यह भी है कि मुसलमान को इन वर्गों का सर्टिफिकेट नहीं मिलता। मुसलमानों की लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें भी अनुसूचित जाति यानी एससी कैटरी दी जाए। ध्यान देने की बात यह है कि मुसलमानों में एसटी और एससी की जाति में कम ही जातियां शामिल हैं लेकिन उनके लिए जो सीट रिजर्व की गई हैं, वह ज्यादा हैं। ऐसे में जरूरी है कि यह सीट ओबीसी के उम्मीदवारों को दी जाए। कहीं ऐसा न हो कि योग्य उम्मीदवार न मिलने का बहाना बनाकर 215 पोस्ट को ही खत्म कर दिया जाए। जनरल कैटेगरी में भी 13 पोस्ट खाली रह गए क्योंकि योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। लेकिन यहां भी यह बात ध्यान में रखने की है कि इसमें एक मूक बधिर और 11 सीट मनोविकार वाले उमीदवारों के लिए रखे गए थे। सवाल यह है कि यह 13 सीट आखिर खाली रहेंगी या इस पर दूसरी श्रेणी के उम्मीदवारों को जगह मिलनी चाहिए।
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