छ्पी-अनछपी: PMCH ओटी में 5 साल से सर्जरी का सामान नहीं, ‘मुफ्त की रेवड़ी’ पर कोर्ट का सख्त बयान
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पीएमसीएच के 100 साल पूरे होने पर नई बिल्डिंग का उद्घाटन करने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आ रही है लेकिन वहां सर्जरी का सामान 5 साल से नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त के राशन और अन्य रेवड़ियों के बांटे जाने पर कहा है कि यह चलन लोगों को नाकारा बना रही है। शब-ए-बारात को लेकर सभी जिलों में चौकसी बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। देश के 14 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की कुर्सी खाली चल रही है।
और जानिएगा कि आरएसएस की दिल्ली में बने 13 मंजिलों के तीन टॉवरों में कितने करोड़ लगे।
भास्कर की खास खबर में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 फरवरी को पीएमसीएच के 100 साल पूरे होने पर नई बिल्डिंग का उद्घाटन करने आ रही है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर करीब 903 करोड़ रुपए का है। पर अंदर की हकीकत यह है कि अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी का बेसिक सामान तक नहीं। बेटाडिन स्क्रब और लाइफबॉय साबुन तक मरीज से मांगे जा रहे हैं। हड्डी विभाग में ऑपरेशन के लिए इंप्लांट और जरूरी सामान मरीजों को लाना पड़ रहा है। ओटी नंबर चार और पांच में करीब ढाई लाख के दो ऑपरेशन बेड भी डॉक्टर के दान किए हुए हैं। वही कार्डियोथेरेसिक डिपार्टमेंट 23 साल से लगातार सक्शन मशीन व वैट सर्जरी का सामान मांग रहा है। फ्री में एक-रे के लिए लंबी लाइन लगी है। दूसरी ओर सक्रिय दलाल ढाई सौ रुपए में तत्काल सुविधा मुहैया करने का ऑफर दे रहे हैं। ऑर्थोपेडिक डिपार्मेंट की ओटी में 50 सामान की पिछले कई वर्षों से जरूरत है। 5 साल में कई बार मांगी जा चुकी है लेकिन नहीं मिली। अखबार ने लिखा है कि 22 बार कॉल करने के बाद भी पीएमसीएच के सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर आईएस ठाकुर ने कोई जवाब नहीं दिया।
मुफ्त की रेवड़ी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार और नकदी देने की घोषणाओं पर गंभीर चिंता जताई। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार से मुफ्त में राशन और नकदी मिलने के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं हैं। जस्टिस बी. आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय विकास के लिए लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के बजाय क्या हम परजीवियों का एक वर्ग बना रहे हैं? जस्टिस गवई ने कहा कि दुर्भाग्य से इन मुफ्त उपहारों के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं हैं। राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों से ठीक पहले इनकी घोषणा की जाती है। जैसे ‘लाडकी बहन, लाडली बहन, मुफ्त राशन और अन्य मुफ्त योजनाएं।
शब-ए-बरात के लिए सभी जिलों में अलर्ट
बिहार में आगामी शुक्रवार (14 फरवरी) को शब-ए-बरात का पर्व मनाया जाएगा। इसे लेकर सभी जिलों को खासतौर से अलर्ट किया गया है। खासकर बेगूसराय, औरंगाबाद, नवादा, पटना जैसे जिलों को विशेषतौर पर चौकसी बरतने के लिए कहा गया है। इन जिलों में बीते वर्ष में इस पर्व के मौके पर तनाव से संबंधित कुछ घटनाएं हो चुकी हैं। इस वजह से यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर स्तर पर तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। एडीजी (विधि-व्यवस्था) पंकज कुमार दराद के स्तर से सभी रेंज के आईजी और तमाम जिलों के एसपी को लिखित आदेश जारी किया गया है। चौकसी व्यवस्था में खुफिया एजेंसियों की सहायता भी खासतौर से लेने के लिए कहा गया है। सोशल मीडिया पर भी पूरी तरह से चौकसी बनाए रखने को कहा गया है।
14 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपति नहीं
जागरण ने लिखा है कि एक और जहां शिक्षा के जरिए विश्व गुरु बनने की बात हो रही है, नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है, वहीं शिक्षा जगत की यह तस्वीर चौंकाने वाली है कि देश के 56 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से 14 में स्थाई कुलपति की कुर्सी खाली है। इनमें 109 साल पुराना बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, बंगाल का 104 साल पुराना विश्व भारती विश्वविद्यालय, बिहार का नालंदा और महाराष्ट्र का महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा शामिल हैं। इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एक महीने से लेकर एक वर्ष से पद खाली पड़े हैं। कुल 47 केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षा मंत्रालय जबकि 9 केंद्रीय विश्वविद्यालय अलग-अलग मंत्रालय के अधीन हैं। बिहार स्थित नालंदा विश्वविद्यालय विदेश मंत्रालय के अधीन है। यहां 2023 से डॉक्टर अभय सिंह अंतरिम कुलपति हैं और स्थाई कुलपति का पद खाली है।
आरएसएस की दिल्ली बिल्डिंग में 13 मंजिल, 300 कमरे
प्रभात खबर के अनुसार दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का झंडेवालां स्थित पुराना कार्यालय नए स्वरूप में बनकर तैयार हो गया है। आरएसएस का नया कार्यालय केशव कुंज पौने चार एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला है। नवनिर्मित परिसर में तीन 13 मंजिला टावर और करीब 300 कमरे और कार्यालय हैं। इसके पुनर्निर्माण पर करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यह खर्च संगठन की विचारधारा से सहानुभूति रखने वाले 75000 से अधिक लोगों के योगदान से जुटाया गया है। इसके निर्माण में 8 साल से अधिक का समय लगा। वैसे आरएसएस का हेडक्वार्टर नागपुर में है। दिल्ली के नए कार्यालय में पाञ्चजन्य, ऑर्गनाइजर और सुरुचि प्रकाशन के भी कार्यालय होंगे।
कुछ और सुर्खियां:
- वक़्फ़ संशोधन बल पर जेपीसी की रिपोर्ट आज लोकसभा में पेश की जाएगी
- बिहार के 24 शहरों में 5.2 डिग्री तक चढ़ा पारा, अधिकतम तापमान 31.4 डिग्री तक
- कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक और मामले में दोषी करार
- भारत नेपाल सीमा पर सुपौल जिले में 11 करोड़ का गांजा जब्त, चार तस्कर गिरफ्तार
- मुंबई पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान पर हमले की धमकी देने वाले को हिरासत में लिया
अनछपी: अंधे राष्ट्रवाद और सरकार द्वारा किसी को भी किसी भी इल्जाम में पकड़ कर जेल में ठूंस देने के इस दौर में मानवाधिकार की बात करना बहुत मुश्किल काम है लेकिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दो मामलों में जो टिप्पणी की है उससे बहुत उम्मीद बंधती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति पर आपराधिक आरोप हैं तो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार की अनदेखी नहीं की जा सकती है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इस कारण से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। एक ऐसे दौर में जबकि बिना मुकदमा चलाए लोगों को लंबे समय तक जेलों में रखा जाता है, कोर्ट की यह टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है और उम्मीद की जानी चाहिए कि जो भली सोच रखने वाली सरकार है, वह उसका ध्यान रखेगी और लोगों को अनावश्यक रूप से जेलों में नहीं रखेगी। याद रखना होगा कि कई लोग जो राजनीतिक विरोधी होते हैं और सरकार की नीतियों के विरोध में आंदोलन करते हैं उन्हें भी लंबे समय तक जेलों में बंद रखा जा रहा है। उमर खालिद की मिसाल दी जाती है जो 1000 से अधिक दिनों से जेल में बिना मुकदमा चलाए गए बंद है लेकिन वह अकेले नहीं और ऐसे कई अभागे लोग हैं जिन्हें इंसाफ नहीं मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की एक और बेंच ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में रोहिंग्या शरणार्थियों को प्रवेश देने के लिए केंद्र एवं दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि शिक्षा में किसी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं होगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सवाल किया कि यह रोहिंग्या कहां रह रहे हैं और किसके घर में रहे हैं। एनजीओ रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने बताया कि पूरी जानकारी हलफनामे में दी गई है। अखबारों और मीडिया ने अपनी यह जिम्मेदारी भुला दी है लेकिन उनके जिम्मे यह बताना था कि भारत अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत शरणार्थियों के अधिकार देने के लिए वचनबद्ध है। अफसोस की बात है कि जिन शरणार्थियों को सहानुभूति मिलनी चाहिए उन्हें भारतीय जनता पार्टी जैसे दल घोर घृणा का शिकार बनाते हैं और उनके साथ सरकार चला रही पार्टियों भी चुप्पी साधे रहती हैं। एक तरफ विश्व गुरु बनने का दावा है और दूसरी तरफ सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी की इतनी गिरी हुई सोच है।
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