JPC Patna Meeting वक्फ पर मुसलमानों के साथ नीतीश ने किया धोखा। BJP के लिए बिल पास कराना हुआ आसान?
सैयद जावेद हसन
वक्फ संशोधन बिल को लेकर जो कहानी लोकसभा में शूरू हुई थी, पटना में उसका दी एंड हो गया। पिछले साल अगस्त में लोकसभा सत्र के दौरान जिस तरीके से जेडीयू सांसद और केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह ने वक्फ संशोधन बिल 2024 का धुआंधार तरीके से समर्थन किया था, उसी ढर्रे पर चलते हुए नीतीश कुमार ने बड़ी चतुराई से 18 जनवरी को पटना के होटल ताज में हुई ज्वायंट पार्लियामेंट्री कमिटी यानी जेपीसी की बैठक में ये इशारा दे दिया कि उन्हें इस संशोधन बिल से कोई परेशानी नहीं है। आप हमारा ये वीडियो ध्यान से देखते रहिये क्योंकि जेपीसी की बैठक के अंदर और बाहर, ऑन द रिकॉर्ड और ऑफ द रिकॉर्ड क्या हुआ, ये सब आपको सिर्फ बिहार लोक संवाद पर ही जानने और देखने को मिलेगा। शनिवार को हुई जेपीसी की बैठक में अध्यक्ष जगदंबिका पाल, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के डॉक्टर मोहम्मद जावेद, जेडीयू के दिलेश्वर कामैत, समाजवादी पार्टी से मोहिब्बुल्लाह नदवी, महाराष्ट्र से भाजपा की राज्य सभा सांसद मेधा विश्राम कुलकर्णी समेत कई मेम्बर मौजूद थे। बैठक में वक्फ संशोधन बिल पर लोगों की राय जानने के लिए समाज के विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले तकरीबन सवा सौ लोगों को आमंत्रित किया गया था। लेकिन इनमें ऐसे संगठन और लोग भी बुला लिए गए थे जो सही मायनों में स्टेक होल्डर्स नहीं थे। इनमें बिहार राज्य आर्य प्रतिनिधि सभा, भारत विकास परिषद्, राष्ट्रीय सामाजिक न्याय मोर्चा, मिथिला संस्कृति विकास समिति, वरीय नागरिक मंच, राजपूत महासभा बिहार, बीबीएसएफ, भारतीय क्रांतिदल डेमोक्रेटिक, गॉड बुद्धम शरणम ट्रस्ट और दीघा कृषि भूमि आवास बचाओ संघर्ष समिति शामिल हैं। कई संगठनों के नाम से ही आपको अंदाजा हो जाएगा कि इनका वक्फ से कोई वास्ता नहीं है। इन्हें बुलाने का मकसद एक ऐसा प्लेटफार्म उपलब्ध कराना था, जिसपर ये वक्फ संशोधन बिल का भरपूर समर्थन कर सकें। ऐसा इन्होंने किया भी। दूसरी तरफ, बिहार और झारखंड के वो मुस्लिम धार्मिक संगठन थे जो वक्फ के सही मायनों में स्टेकहोल्डर्स थे। इनमें इमारते शरीया, जामअते इस्लामी हिन्द बिहार, एदारा शरीया, जमीयत उलेमा हिन्द बिहार, मजलिसे उलेमा व खुतबए इमामिया बिहार, खानकाह मुनमिया पटना सिटी, खानकाह कबीरीया सासाराम शामिल हैं। ये बिहार की वो दीनी मिल्ली जमाअतें हैं, जिन्होंने जेपीसी को पेश किए गए अपने मेमोरंडम में वक्फ संशोधन बिल को पूरी तरह से रद् करने की मांग की है। इन्होने बिल को संविधान के खिलाफ और मुसलमानों की मजहबी आजादी को खत्म करने वाला बताया है। इन्होंने कहा है कि बिल के पास होने से देशभर में वक्फ संपत्ति की सरकारी लूट शुरू हो जाएगा। मुसलमानों की कदीम मस्जिदें, खानकाहें, मदरसे, कब्रिस्तान- सब खतरे में पड़ जाएंगे। सेंट्रल वक्फ बोर्ड के साथ-साथ रियासतों के वक्फ बोर्ड का वजूद बेमानी हो जाएगा। सारा कंट्रोल केन्द्र सरकार के हाथ में चला जाएगा और डीएम के माध्यम से कलेक्टर राज कायम हो जाएगा। दूसरे धर्म के लोग अपनी संपत्ति- मठ, मंदिर, गुरुद्वारे का संचालन अपने अनुसार करते रहेंगे लेकिन मुसलमान अपनी ही जमीन से महरूम हो जाएंगे। दीनी मिल्ली जमाअतों ने मेमोरंडम में वक्फ बोर्ड में दूसरे धर्म के लोगों को शमिल किए जाने पर भी सख्त ऐतराज किया।
जेपीसी की बैठक से पहले सर्कुलर जारी करके तमाम प्रतिनिधियों को खबरदार कर दिया गया था कि बैठक में कही गई बातें कंफिडेंशीयल रहेंगी, राज़ में रहेंगी। इन्हें बाहर किसी से शेयर नहीं करना है। इसीलिए बैठक से निकलने के बाद ज्यादातर लोग मीडिया से मुखातिब नहीं हुए। बैठक में जाने से पहले जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने कहा कि वो पूरी तैयारी के साथ आए हैं।
बैठक से निकलने के बाद रामपुर, यूपी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि बिहार के संगठनों ने जिस सलीके से अपनी बात रखी, वो काबिले तारीफ है।
भाजपा से जेपीसी के मेम्बर संजय जायसवाल ने कहा कि बैठक शांतिपूर्ण रही।
लेकिन हमारे सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान दो बार हंगामा हुआ। पहली बार तब हुआ जब राजपूत महासभा के अध्यक्ष राधे सिंह ने वक्फ बोर्ड को असंवैधानिक कह दिया। इसपर डॉ. जावेद नाराज हो गए। इसकी जानकारी खुद राधे सिंह ने बाहर आकर मीडिया को दी। राधे सिंह की बातों से लगा कि उनको न तो वक्फ की समझ है और न ही वक्फ बोर्ड की। डॉ. जावेद ने इस मामले पर कोई कमेंट करने से इंकार कर दिया।
दूसरी बार तब हंगामा हुआ जब राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी कारी मोहम्मद सोहैब ने बैठक के दौरान कहा कि मुसलमानों से सैकड़ों साल पुरानी वक्फ संपत्ति का डाक्यूमेंट मांगा जा रहा है। हिन्दुओं से सोमनाथ मंदिर और उस जैसे अन्य धार्मिक स्थलों का डाक्यूमेंट क्यों नहीं मांगा जाता है? इसपर मेधा कुलकर्णी भड़क गईं और कुछ देर के लिए माहौल हंगामाखेज रहा। आखिरकार बैठक स्थगित कर दी गई। खानकाह कबीरीया सासाराम के सज्जादानशीं सैयद शाह बुरहानुद्दीन अहमद ने आरोप लगाया कि मीटिंग में उन्हे अपनी बात कहने से रोका गया।
शीया आलिमे दीन मौलाना शबीब काजिम ने कहा कि उन्होंने वक्फ इम्लाक की चोरी की लूट का मामला उठाया।
अब बात करते हैं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की, जो मीटिंग के दौरान चर्चा में रहे। इसकी कई वजहें थीं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सीनीयर अफसरान जेपीसी की बैठक में मौजूद तो थे लेकिन बेबस और लाचार थे। हमारे सूत्रों के अनुसार, अफसरों ने वक्फ बिल के मुतल्लिक क्लीयर कट स्टैंड के लिए नीतीश कुमार से कई बार मुलाकात करने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने वक्त नहीं दिया। जेडीयू के सीनीयर लीडरों नेे भी इस सिलसिले में उनसे कोई बात नहीं की। एक तरह से दिशाहीन स्थिति थी। शायद यही वजह थी कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद जमां खान बैठक में अपने दलबल के साथ मौजूद नहीं थे। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अलहाज इर्शादुल्लाह और शीया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद अफजल अब्बास बुझे-बुझे से नजर आए। ये दोनों नीतीश की पार्टी जेडीयू से ताल्लुक रखते हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी हाई कमान से कोई स्पष्ट सिगनल नहीं मिलने की वजह से ये दोनों वक्फ संशोधन बिल को पूरी तरह से खारिज करने की मांग नहीं रख पाए। दोनों ने बिल के कुछ बिन्दुओं पर ही ऐतराज पेश किया। इनमें वक्फ कमिटी में गैर मुस्लिम का प्रतिनिधित्व और सर्वे कमिश्नर की बजाय डीएम को सारा पावर दे दिए जाने पर ऐतराजात शामिल हैं। इस बात की भी चर्चा रही कि दिलेश्वर कामैत के रूप में एक सदस्य को भेजकर जेडीयू ने महज खानापुरी कर दी। आरजेडी एमएलसी कारी मोहम्मद सोहैब ने कहा कि नीतीश की पार्टी का कोई नुमाइंदा बैठक में मौजूद नहीं था।
हालांकि एआईएमआईएम के बिहार यूथ विंग के अध्यक्ष एडवोकेट आदिल हुसैन ने सवाल करते हुए पूछा कि आरजेडी ने अपनी पार्टी का कोई बड़ा लीडर मीटिंग में क्यों नहीं भेजा।
नीतीश पर सबसे बड़ा हमला टीएमसी सांसद कल्याण बैनर्जी ने किया। उन्होंने कहा कि नीतीश को सिर्फ मुसलमानों के वोट से मतलब है। नीतीश को सार्वजनिक रूप से कहना होगा कि वो बिल के समर्थन में हैं या विरोध में।
अब बात करते हैं भाजपा सांसद और जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल की। छह घंटे की मैराथन बैठक के बाद उन्होंने कहा कि 31 जनवरी से शुरू होने जा रहे संसद के बजट सत्र के दौरान वो रिपोर्ट पेश कर देंगे। बजट सत्र 4 अप्रील तक चलेगा।
वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट में क्या सिफारिशें की जाएंगी, इसका अंदाजा वक्फ के स्टेकहोल्डर्स को अभी से होने लगा है। मीटिंग के दौरान मुस्लिम नुमाइंदों ने इसकी आशंका खुलकर व्यक्त की। इसपर जगदंबिका पाल ने कहा कि आप घबराते क्यों हैं। मैं हूं ना।….. हैं तो नीतीश कुमार भी। लेकिन वो कैसे हैं, इस बात का अंदाजा बहुत देर से लोगों को हुआ।
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