छ्पी-अनछपी: झारखंड में सियासी खेला, बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों की आधी सीटें खाली

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के चर्चे के साथ सियासी खेल चल रहा है। बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों की 7000 से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। कोलकाता के रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केस दर्ज किया है। सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक की आशंका में चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर को गिरफ्तार किया गया है।

यह है आज के अखबारों की अहम खबरें।

भास्कर की पहली सुर्ख़ी है: झारखंड में राजनीतिक खेला, भाजपा में जा सकते हैं चंपाई। झारखंड की राजनीति में बड़ा खेल हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर अब भाजपा में जा सकते हैं। वे कभी भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। चंपाई ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां कर साफ कर दिया कि वह झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ेंगे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट और घर से झारखंड मुक्ति मोर्चा का झंडा हटा दिया है। पैतृक गांव सरायकेला के जिलिंगगोड़ा स्थित घर से भी झामुमो का झंडा हटा दिया गया है। सोशल मीडिया पर अब नाम के साथ सिर्फ झारखंड का पूर्व मुख्यमंत्री लिखा हुआ है। शनिवार शाम तक चंपाई सोरेन रांची में थे। बार-बार भाजपा में जाने की अटकलें को खारिज कर रहे थे। रात में वह अपने घर सरायकेला जाने की बात कह कर रांची से निकले लेकिन सड़क मार्ग से वह कोलकाता रवाना हो गए। झारखंड की सीमा तक राज्य की पुलिस ने एस्कॉर्ट करती रही। वे दिल्ली जा रहे हैं इसकी भनक किसी को नहीं लगी। रविवार को पता चला कि वे दिल्ली में हैं। इसके बाद से कयासों का दौर शुरू हो गया।

इस मुद्दे पर किसने क्या कहा:

  • मेरा अपमान हुआ… मैं अंदर से टूट चुका हूं। मेरे सामने तीन विकल्प: चंपाई सोरेन
  • भारतीय जनता पार्टी वाले पार्टी तोड़ने का काम करते हैं: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन
  • भाजपा का मंसूबा कभी नहीं सफल होगा: झारखंड मुक्ति मोर्चा के विनोद कुमार पांडे
  • यह झारखंड मुक्ति मोर्चा का अंदरूनी मामला: कांग्रेस के केशव महतो
  • झारखंड मुक्ति मोर्चा का बहिष्कार करेंगे कई कार्यकर्ता: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी

बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में 52% सीटें खाली

प्रभात खबर के अनुसार बिहार के 38 इंजीनियरिंग कॉलेजों में सेकंड राउंड के बाद एडमिशन प्रक्रिया समाप्त हो गई है। इस बार मॉप अप राउंड के तहत एडमिशन नहीं होगा। ऐसे में सेकंड राउंड समाप्त होने के बाद भी इंजीनियरिंग कॉलेज में आधी से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 13675 सीटों पर एडमिशन होना था लेकिन मात्र 6507 यानी 47.58% सीटों पर ही एडमिशन हो चुका है। ऐसे में 7168 यानी 52.42% सीटें खाली रह गई हैं। इन खाली सीटों में कंप्यूटर साइंस के साथ-साथ उससे जुड़े हुए कई स्ट्रीम में सीटें खाली हैं। इस बारे में बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा (बीसीईसीई) ने कहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज में खाली बची हुई सीटों को एडमिशन के लिए जॉइंट मेरिट लिस्ट के आधार पर फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ ग्रुप के उम्मीदवारों से भरने का निर्णय लिया गया है।

रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से दरिंदगी के विरोध में दस दिनों से बिहार समेत देशभर में प्रदर्शन जारी है। इस मामले में रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ मंगलवार को डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल होंगे।

पेपर लीक में चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर गिरफ्तार

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की ओर से रविवार को आयोजित परीक्षा के दौरान गोपालगंज में प्रश्न पत्र लीक करने की आशंका में गोपालगंज के बाल संरक्षण पदाधिकारी (सीपीओ) सुरेंद्र कुमार पासवान समय 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। एसपी ने बताया कि सिपाही भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र मुहैया कराने वाले एक बड़े गिरोह का उद्वेदन किया गया है। केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के अनुसार राज्य के सभी जिलों के 545 केंद्रों पर एक पाली में परीक्षा आयोजित हुई।

यूपीएससी में लैटरल एंट्री का विरोध

हिन्दुस्तान के अनुसार मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर ‘लैटरल एंट्री’ से भर्ती करने पर राहुल गांधी, अखिलेश यादव, लालू प्रसाद समेत विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ‘लेटरल एंट्री’ को एससी/एसटी, ओबीसी के खिलाफ बताते हुए विरोध किया। उन्होंने सेबी का उदाहरण देते हुए केंद्र सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए। राहुल ने एक्स पर पोस्ट में कहा, मोदी सरकार यूपीएससी की जगह आरएसएस के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा अपनी विचारधारा के साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी में बैठाने की साजिश कर रही है। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यह फैसला सही नहीं है।

कुछ और सुर्खियां

  • सुपौल के वीरपुर में ट्रेनिंग ले रहे बिहार मिलिट्री पुलिस के डेढ़ सौ जवान फूड पॉइजनिंग के शिकार
  • पूर्व विधायक सुनील पांडे बेटे संग भारतीय जनता पार्टी में शामिल
  • मुजफ्फरपुर के पारू में किशोरी की हत्या के आरोपित के गांव में उपद्रवियों का हमला, पुलिस पर पथराव
  • जम्मू में अकेले चुनाव लड़ेगी भारतीय जनता पार्टी, घाटी में निर्दलियों से गठबंधन संभव
  • झारखंड में मंईयां योजना शुरू, हर महिला को हर माह मिलेंगे ₹1000

अनछपी: क्या भारत में यूपीएससी की जगह अब आरएसएस ऊंचे पदों पर बहाली करेगा? यूपीएससी के रहते यह सवाल थोड़ा अटपटा लग सकता है लेकिन जिस तरह भारत सरकार ने लैटरल एंट्री की घोषणा की है उससे कई हल्क़ों में यह आशंका जताई जा रही है कि दरअसल यह आरएसएस की भर्ती प्रक्रिया है। विपक्ष के कई नेता लैटरल एंट्री का इस आधार पर विरोध कर चुके हैं कि इसमें आरक्षण की व्यवस्था खत्म कर दी गई है और अखबारों में इसकी चर्चा भी है। विपक्ष के बाकी नेताओं से अलग राहुल गांधी ने यह कहा कि यूपीएससी की जगह आरएसएस बहाली में लगा है। उन्होंने इसे संविधान पर हमला बताया लेकिन जब देश के प्रधानमंत्री ही आरएसएस से आए हैं तो आरएसएस को भर्ती प्रक्रिया का केंद्र बनाए जाने से किसे ताज्जुब हो सकता है। याद दिलाने की बात यह है कि आरएसएस पर कभी प्रतिबंध लगाया गया था और यह व्यवस्था भी थी कि सरकारी लोक सेवक आरएसएस के कार्यक्रमों में भाग नहीं ले सकते लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद उस प्रतिबंध को भी हटा लिया गया। वैसे जो नियुक्ति यूपीएससी के जरिए हो रही है उसमें भी आरएसएस के प्रभाव को देखा जा सकता है क्योंकि सेलेक्शन पैनल में बहुत से लोग आरएसएस से सीधे जुड़े हुए बताए जाते हैं। राहुल गांधी ने यूपीएससी और आरएसएस के बारे में जो टिप्पणी की है वह काफी महत्वपूर्ण है और भारत में लोक सेवकों की सोच की दिशा बताने वाला है। जब आरएसएस को पहले ही सांप्रदायिक माना गया है और अब उसी के हाथ में लोक सेवकों की बहाली आ जाएगी तो इससे उपजने वाली स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इसलिए विपक्षी नेताओं को जहां इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि लैटरल एंट्री में आरक्षण को खत्म किया जा रहा है, वहीं इस बात की भी चिंता होनी चाहिए कि दरअसल यूपीएससी धीरे-धीरे आरएसएस की नियुक्ति एजेंसी के रूप में बदलता जा रहा है। ऐसे में यूपीएससी की बहाली में वंचित समूह के साथ-साथ अल्पसंख्यक समूह के लोगों के लिए कितनी गुंजाइश बनती है इस पर सोच विचार करना चाहिए। ऐसे में यही उपाय बचता है कि विपक्षी दलों को पूरा जोर लगाकर लैटरल एंट्री के इस रास्ते को आरएसएसस की भर्ती प्रक्रिया बनने से रोकना चाहिए। यह जिम्मेदारी सिर्फ राहुल गांधी की नहीं बल्कि सभी विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की है।

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