छ्पी-अनछपी: अस्पतालों में तैनात हो सकेंगे मार्शल, बड़े पुलों के डिज़ाइन की जांच होगी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए अस्पतालों में मार्शल की तैनाती भी की जा सकती है। बिहार में बन रहे बड़े पुलों के डिजाइन की फिर से जांच होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन पहुंचेंगे। बिहार में बिल्डरों को हर 3 महीने में बताना होगा कि अपार्टमेंट में कितना काम हुआ। बिहार के विश्वविद्यालयों के अनुदान पर रोक लगा दी गई है।

यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार कोलकाता में महिला डॉक्टर से दरिंदगी के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को केंद्रीय अस्पतालों में 25 प्रतिशत सुरक्षा बढ़ाने की अनुमति दे दी। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अस्पताल सार्वजनिक सुविधा है, इसलिए इन्हें किले में तब्दील नहीं किया जा सकता। मंत्रालय ने सभी सरकारी अस्पतालों में लागू किए जाने वाले सुरक्षा उपायों की सूची जारी की। स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में मांग पर मार्शल तैनात किए जा सकेंगे। हालांकि, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के मामले में केंद्रीय कानून लाने से बड़ा अंतर नहीं आएगा, क्योंकि वहां महिला डॉक्टर से दरिंदगी मरीज-डॉक्टर हिंसा का मामला नहीं है।

बड़े पुलों के डिज़ाइन की जांच

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार पथ निर्माण विभाग ने तय किया है कि निर्माणाधीन 5 मेगा ब्रिज के डिजाइन की जांच होगी। इनमें उन पुलों को शामिल किया गया है जो इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्ट (ईपीसी) मोड में बन रहे हैं। इस व्यवस्था के तहत पुल के निर्माण की सभी जिम्मेदारी निर्माण कंपनी की रहती है। जिन पुलों के डिजाइन की जांच की जानी है उनमें पटना के अशोक राजपथ में बन रहा डबल डेकर पुल भी शामिल है। इसके अलावा एक पुल पटना के करौटा से नालंदा के सिलाव के बीच बना रही नई सड़क के एलाइनमेंट में शामिल है। एक और पुल सहरसा में कोसी नदी पर बन रहा है। इसके अलावा पूर्णिया में महानंदा नदी पर बना रहे एक पुल के डिजाइन की भी जांच की जाएगी।

पीएम नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को पहुंचेंगे यूक्रेन

प्रभात खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेन्सकी ने पीएम मोदी को यूक्रेन आने का न्योता दिया था। मोदी की यात्रा से पहले भारत ने सोमवार को कहा कि वह रूस-यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान तलाशने के लिए हर संभव सहायता करने का इच्छुक है। विदेश मंत्रालय ने मोदी की 23 अगस्त की यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक यात्रा होगी। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी 21 और 22 अगस्त को पोलैंड में रहेंगे और वहां से सात-आठ घंटे की ट्रेन यात्रा से यूक्रेन पहुंचेंगे।

बिल्डरों को हर 3 महीने में देनी होगी जानकारी

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार सूबे में चल रही रियल स्टेट परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट में देरी अब प्रमोटर यानी बिल्डरों को काफी महंगी पड़ेगी। रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) बिहार ने ऐसे मामलों में प्रमोटरों पर बड़ा जुर्माना लगाने का निर्णय किया है। इसको लेकर बिहार भू संपदा नियमावली को प्रभावित कर दिया गया है। नियमावली के मुताबिक सभी बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट की तिमाही रिपोर्ट रेरा की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करना आवश्यक होगा। यदि कोई प्रमोटर निर्धारित तिथि तक ऐसा करने में विफल रहा तो उस पर प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का पांच फ़ीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

यूनिवर्सिटी ग्रांट पर रोक लगी

जागरण के अनुसार बिहार के विश्वविद्यालय के जुलाई के अनुदान पर सरकार ने रोक लगा दी है। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग ने की है क्योंकि 20 जून को ही कुलपतियों को आदेश दिया गया था कि संबंधित विश्वविद्यालय में स्वीकृत पद और उसके विरुद्ध कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन व पेंशन तथा अतिथि शिक्षकों से संबंधित डेटा पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल पर अपलोड करा दें। तब कुलपतियों ने भी डेटा उपलब्ध कराने का भरोसा दिया था। लेकिन विश्वविद्यालय ने शिक्षकों और कर्मचारियों का डेटा अपलोड ही नहीं किया। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय के अनुदान पर रोक लगाने संबंधी सूचना कुलपतियों को दे दी है।

चंपाई पर अब भी सस्पेंस

भास्कर के अनुसार झारखंड मुक्ति मोर्चा के बागी नेता पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पर सस्पेंस बना हुआ है। वे दो दिनों से दिल्ली में हैं लेकिन अब तक भाजपा के किसी बड़े नेता से उनकी बातचीत नहीं हुई है। उनके मंगलवार को रांची लौटने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि रांची लौटने के बाद ही यह साफ होगा कि वह भाजपा में शामिल होंगे या कोई मोर्चा बनाएंगे। या फिर बेटे को राजनीति में स्थापित कर राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

चुनाव जीते तो अनुच्छेद 370 बहाल करेंगे: नेशनल कॉन्फ्रेंस

हिन्दुस्तान के अनुसार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सोमवार को जारी अपने घोषणापत्र में 12 ‘गारंटी’ की घोषणा की। इनमें अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया गया। घोषणापत्र में वर्ष 2000 में तत्कालीन विधानसभा द्वारा पारित स्वायत्तता प्रस्ताव का कार्यान्वयन भी शामिल हैं। जून 2000 में फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर राज्य में 1953 से पहले की संवैधानिक स्थिति बहाल करने की मांग की थी। हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इसे खारिज कर दिया था।

कुछ और सुर्खियां

  • राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा 21 अगस्त को करेंगे राज्यसभा के लिए नामांकन
  • लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने लैटरल एंट्री स्कीम को गलत बताया, कहा- मुद्दा सरकार के पास उठाएंगे
  • आईजीआईएमएस में एमबीबीएस सीटों की संख्या 120 की जगह 150 होगी
  • कर्नाटक में हाई कोर्ट ने सिद्धारमैया के खिलाफ कार्यवाही 29 अगस्त तक रोकी
  • गांवों में बिजली के स्मार्ट मीटर के रिचार्ज की सुविधा सरकार उपलब्ध कराएगी

अनछपी: क्या पुल बनाने वाली कंपनी अपने फायदे के हिसाब से पुलों का डिजाइन बनवा लेती है? यह सवाल सुनने में अटपटा जरूर लगता है लेकिन बिहार में पुलों के गिरने और नए पुलों के डिजाइन की जांच के आदेश के मद्देनजर यह सवाल बिल्कुल सही है। विजय कुमार सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के विधायक होने के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री भी हैं। अखबारों के अनुसार पथ निर्माण मंत्री की यह समझ है कि निर्माण कंपनी अपने लाभ के हिसाब से डिजाइन तैयार करा लेती है। इसमें कितना बड़ा भ्रष्टाचार होता होगा इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। बिहार सरकार ने कई पुलों के गिरने की वजह डिजाइन की खराबी को बताया है लेकिन आखिर यह डिजाइन में खराबी क्यों आती है? क्या पुल के काम को फाइनल करने से पहले डिजाइन को भली-भांति परखा नहीं जाता? बिहार में हर निर्माण में और पुलों के निर्माण में भी कमीशनखोरी की बात तो आम है लेकिन क्या यह इस हद तक है कि पुलों के निर्माण के डिजाइन को बदल दिया जाए और बाद में पुल जल्द ही गिर जाए? वास्तविकता यह है कि नीतीश कुमार के सुशासन का इतना प्रचार है कि ऐसी बातों पर आम आदमी का तो क्या विपक्ष का भी ध्यान नहीं जाता है। अब पटना के कारगिल चौक से एनआईटी मोड तक बंद रहे डबल डेकर पुल का मामला ही लिया जाए। एक तो इस पुल के बनने में देरी हो रही है, दूसरी बात यह है कि जब यह पुल तीन चौथाई हिस्से तक बन चुका है तो अब उसके डिजाइन की जांच क्या होगी और कौन करेगा? क्या डिजाइन में गड़बड़ी होने के बावजूद किसी पुल का तीन चौथाई हिस्सा बन सकता है? और अब उसके डिजाइन की जांच कर उसमें कितना बदलाव लाया जा सकेगा? पुलों के डिजाइन की नए सिरे की जांच के बाद भी यह कौन गारंटी लगा कि इस बार कोई गड़बड़ी नहीं हुई है? यह पूरा मामला भ्रष्टाचार के साथ-साथ घोर लापरवाही का है और इसके लिए नीतीश कुमार सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना जरूरी है। बात किसी एक पुल की नहीं है बल्कि जो भी बड़े पुल बन रहे हैं उनके डिजाइन में अगर इसी तरह की खामी है तो यह बिहार के लिए दुर्भाग्य की बात है।

 

 

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