पटना में गूंजा नारा, ‘युद्ध नहीं, शांति चाहिए’

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना।

पटना रेल जंक्शन के पास स्थित बुद्ध स्मृति पार्क के निकट “हम बिहार के लोग” के बैनर तले शुक्रवार की शाम एक शांति सभा का आयोजन किया गया। रूस के यूक्रेन से युद्ध के प्रतिवाद में आयोजित इस सभा में बड़ी संख्या में महिलाओं की भी भागीदारी रही।

इस शांति सभा में पटना के प्रबुद्ध जनों ने विश्व शांति के लिए अपील करते हुए “युद्ध नहीं, शांति चाहिए” की आवाज़ बुलंद की।
सभा में सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रकांता ने अपनी बात मशहूर तरक्कीपसंद शायर साहिर लुधियानवी के इन पंक्तियों से की: जंग तो खुद ही एक मसला है, जंग क्या मसलों का हल देगी! उन्होंने कहा, “हर जंग की तरह ही इसमें भी बड़ी तादाद में इंसानी जान व माल का नुक्सान हो रहा है। ऐसे में इस युद्ध को जितनी जल्द हो सके रोका जाये और इसके लिए सभी देशों व संस्थाओं को दबाव बनाना चाहिए।”
वरिष्ठ रंगकर्मी तनवीर अख्तर ने कहा, “युद्ध मानव, पशु-पक्षी और समस्त पर्यावरण की हत्या है। यूक्रेन पर रूसी हमले की इप्टा घोर निंदा करती है और अविलंब युद्ध रोके जाने की अपील करती है। हथियारों की होड़ और वर्चस्व की इस लड़ाई को तुरंत रोका जाना चाहिए।”

कार्यक्रम में मानवाधिकार कार्यकर्ता रूपेश ने कहा, “मेरा नैतिक बल बहुत बड़ा तो नहीं परंतु हमारी अपील है कि युद्ध तुरंत समाप्त किया जाए। रूस का हमला अमानवीय है जिसकी हम भर्त्सना करते हैं। यह तानाशाही रवैया भी है। गुटनिरपेक्ष देशों को एकजुट होकर युद्ध का विरोध करना चाहिए और शांति के लिए अभिलंब पहल की जानी चाहिए।”

प्रतिरोध सभा में अभिनेता और वरिष्ठ रंगकर्मी विनोद कुमार ने कहा, “हम रूस और पुतिन के इस अमानवीय कृत्य का, जो आज युद्ध और उसके फासिस्ट विस्तारवादी रूप में यूक्रेन पर तबाही मचा रहा है, पुरज़ोर विरोध ही नहीं करते बल्कि उसे अविलंब रोके जाने और युद्ध से हुए नुकसान की पूरी भरपाई की मांग भी करते हैं। और विश्व समुदाय से भी अपील करते हैं कि अपने-अपने जियो पॉलिटिक्स को फिलहाल अलग रखते हुए शांति बहाली की प्रक्रिया में तेजी लाने के प्रयास जल्द से जल्द करें।”

असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन के विजयकांत ने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग विश्व को पुनः सामरिक ध्रुवीकरण की खेमाबाजी की ओर धकेलने की रणनीति है। यूक्रेनी युद्ध ले लिए जितना जिम्मेवार रूस है उतना ही जिम्मेवार नाटो सरगना अमेरिका भी है. जबकि भारत कि पहल हमेशा निर्गुट रहा है और हम भारत के लोग किसी भी युद्ध  का विरोध करते आए हैं और  हम इस युद्ध का भी उतना ही विरोध करते हैं।”
कार्यक्रम में इस पूरे मसले पर और यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों व छात्रों को लेकर भारत सरकार के ढुलमुल रवैये की आलोचना भी की गई। साथ ही सरकार से मांग की गई कि वह इस जंग में फंसे हमारे देश के हज़ारों स्टूडेंट्स सहित सभी नागरिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित वापस लाने के पुख्ता इन्तजाम करे।
इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले में लयोगों में अरशद अजमल, विनोद कुमार, राकेश कुमार, अभिषेक कुमार, पंकज श्वेताभ, ऋत्विज कुमार, राजनंदनी, निशा कुमारी, रीता कुमारी, मो. आशिक, चन्द्रकान्ता, डॉ. शकील अहमद, डोरोथी फर्नांडिस, राकेश कुमार, मुख्तारुल हक, रोहित राही, विजय कान्त सिन्हा, विद्यानंद, प्रेरणा विजय, प्रभाकर कुमार आदि थे।

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