छपी-अनछपी: रेलवे में नौकरी के नाम पर 100 करोड़ की ठगी, फीकी रही नीतीश की इफ्तार पार्टी
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 100 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी हुई है लेकिन वक़्फ़ मुद्दे पर बायकॉट की वजह से यह फीकी रही। वक़्फ़ संशोधन बिल इसी महीने इसी सत्र में पेश होने की उम्मीद है। संभल जामा मस्जिद के सदर जफर अली को गिरफ्तार किया गया है। कांग्रेस ने चौंकाने वाले बयान में कहा है कि राजद से गठबंधन का फैसला समय आने पर होगा। जस्टिस वर्मा के आवास के बाहर जले नोट मिलने की पुष्टि हुई है।
और, जानिएगा कि महाकुंभ भगदड़ में मारे गए बंगाल के लोगों को कैश में क्यों दिया जा रहा मुआवजा।
जागरण के अनुसार रेलवे में बुकिंग क्लर्क टीटीइआरपीएफ सिपाही और ट्रैकमैन आदि की फर्जी नौकरी दिलाने के मामले में बिहार की सोनपुर जीआरपी और आरपीएफ की टीम ने उत्तर प्रदेश से दो लोगों को गिरफ्तार किया जिसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस अंतर राज्य गिरोह के सदस्यों ने बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों के युवाओं से रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम पर 100 करोड रुपए से अधिक की ठगी की है पूर्ण ग्राम रकम को गुजरात की एक सॉफ्टवेयर कंपनी के माध्यम से अपने-अपने खाते में ट्रांसफर कराया पूर्ण राम इस राशि से गृह युवकों को फर्जी नियुक्ति पत्र देकर कुछ महीने वेतन भुगतान भी करता था ताकि उन पर शक ना हो पूर्ण राम रविवार को रेल डीएसपी सहकार खाने बताया कि पूर्व में जीआरपी थाना में नौकरी के नाम पर फर्जी वाले का केस दर्ज हुआ था। इसके आधार पर गोरखपुर में छापेमारी कर अंतर राज्य गृह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। दोनों ने पूछताछ में गिरोह का सरगना गोरखपुर के अनिल पांडे उर्फ राघवेंद्र शुक्ला को बताया है।
फीकी रही नीतीश की इफ्तार पार्टी
रविवार को नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी की खबर तो सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है लेकिन एक दो प्रमुख मुस्लिम लोगों को छोड़कर इसमें किसी के शामिल होने की खबर नहीं है। सभी अखबारों ने इसकी खबर तस्वीर के साथ दी है लेकिन मीतन घाट के सैयद शाह शमीम मुनअमी को छोड़कर किसी प्रमुख धार्मिक संगठन के पदाधिकारी के इसमें शामिल होने की खबर नहीं है। प्रभात खबर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने आवास पर रमजान के अवसर पर रविवार को रोजेदारों को दावत-ए-इफ्तार पर आमंत्रित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह, केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, केन्द्रीय राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर, विस अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, मंत्री विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, महेश्वर हजारी, सुनील कुमार, मो. जमा खान, राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा, सांसद कौशलेन्द्र कुमार सहित अन्य मंत्री, सांसद, विधायक, विधान पार्षद, अन्य जनप्रतिनिधि, राज्य के वरीय प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।
वक़्फ़ संशोधन बिल इसी सत्र में
हिन्दुस्तान के अनुसार संसद में आम बजट पारित कराने के बाद केंद्र सरकार वक्फ संशोधन विधेयक इसी सत्र में पेश कर सकती है। केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू कह चुके हैं कि वक्फ संशोधन विधेयक का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना, गरीबों और महिलाओं को लाभ पहुंचाना है। हालांकि, इसके बावजूद विधेयक पर सरकार और विपक्ष में टकराव तय है। विधेयक को लेकर विपक्ष के साथ-साथ मुस्लिम संगठन भी विरोध जता रहे हैं।
संभल जामा मस्जिद के सदर जफर अली गिरफ्तार
जागरण के अनुसार संभल जामा मस्जिद इंतजामियां कॉटिविटी के सदर एडवोकेट जफर अली को गिरफ्तार किया गया है। रविवार को उन्हें पूछताछ के लिए कोतवाली बुलाया गया था। चार घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की गई। शाम को उन्हें अपर मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट आदित्य सिंह की कोर्ट में पेश किया गया। रात में जफर अली को मुरादाबाद जेल में लाया गया। उनकी गिरफ्तारी के पीछे यह आरोप लगाया जा रहा है कि 24 नवंबर 2024 को जमा मस्जिद के सर्वे के दौरान उन्होंने भीड़ को पुलिस के ऊपर फायरिंग करने की बात कह कर भड़काया था। 25 नवंबर को भी उन्हें हिरासत में लिया गया था लेकिन 2 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था।
राजद से गठबंधन समय आने पर: कांग्रेस
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, राजद के साथ चुनाव लड़ेगी या अकेले, इस पर निर्णय समय आने पर लिया जाएगा। रविवार को बिहार दौरे पर आए एआईसीसी के मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अभी विधानसभा चुनाव में सात-आठ महीने की देरी है। मीडिया के सवाल पर पवन खेड़ा ने दो टूक कहा कि आप जितनी बार पूछें, हमारा एक ही जवाब होगा कि समय आने पर निर्णय लिया जाएगा। अभी हमारा पूरा ध्यान बिहार में पार्टी को मजबूत करने पर है।
जस्टिस वर्मा के घर से चार-पांच बोरियों में अधजले नोट का वीडियो
भास्कर के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट के जज के बंगले पर लगी आग के मामले में 9 दिन बाद भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि चार-पांच बोरियों में भारी अधजले नोट कहां चले गए? आग लगने के बाद बंगले में मौजूद लोगों के अलावा पुलिस और दमकल कर्मी पहुंचे थे। दिल्ली पुलिस ने 15 मार्च को पहली रिपोर्ट में चार-पांच अधिकारी कैश भरी बोरियां होने की पुष्टि की और वीडियो दिया। 16 मार्च को दूसरी रिपोर्ट में पुलिस ने बंगले के सुरक्षा गार्ड के हवाले से मलबा हटाने की बात कही पर इसमें कैश का जिक्र नहीं है। मलबा किसने और किसके कहने पर हटाया यह भी नहीं लिखा है। इसी दिन रात 9:10 पर दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार ने घटनास्थल का दौरा किया। उनकी रिपोर्ट में भी कैश का जिक्र नहीं है। दूसरी ओर जस्टिस वर्मा ने अपनी सफाई में कहा है कि आग बुझाने के बाद जब उनके घर वाले मौके पर गए तो वहां कोई कैश नहीं था।
महाकुंभ में मौत का मुआवजा कैश में क्यों?
जागरण के अनुसार प्रयागराज महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी को हुई भगदड़ में मारे गए लोगों में से बंगाल के मृतकों के आश्रितों को कथित तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से नकद मुआवजा राशि देने पर सवाल खड़े हो गए हैं। भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई थी जिनमें से चार बंगाल के भी थे। 17 मार्च को बंगाल के ऐसे ही दो परिवारों के रिश्तेदार से मिलने कुछ लोग पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आए हैं और परिवार को मुआवजे की पहली किस्त की बात कह कर 5-5 लाख रुपए नगद दिए। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि भगदड़ में मरने वाले के स्वजन को 25 लाख रुपए दिए जाएंगे। जब यह पैसे बैंक में जमा करवाने गए तो बैंक वालों ने पूछा कि यह पैसे कहां से आए हैं। इधर बंगाल सरकार के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मुआवजा राशि के बारे में कुछ पता नहीं था।
कुछ और सुर्खियां:
- 1 अप्रैल से अब एनसीईआरटी की किताबें पढ़ेंगे बिहार के सरकारी स्कूल के छठी से आठवीं तक के बच्चे
- पशुपति कुमार पारस की लोजपा ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक को मुसलमानों के लिए काला कानून बताया
- बेगूसराय में स्कॉर्पियो पलटने से चार बारातियों की मौत
- आरएसएस का दावा- धर्म आधारित आरक्षण संविधान के ख़िलाफ़
अनछपी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी की जो तस्वीर सामने आई उनमें से दो को देखकर ऐसा लगता है कि यह इफ्तार पार्टी ‘पकड़ौआ इफ्तार’ पार्टी बन गई थी। उनकी तस्वीर अफसोस दिलाने वाली थीं। इस इफ्तार पार्टी की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं कि वक़्फ़ संशोधन बिल के मुद्दे पर नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाले जनता दल यूनाइटेड के समर्थन के विरोध में प्रमुख मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने इसके बायकॉट का ऐलान किया था। इन संगठनों का आरोप है कि वक़्फ़ संशोधन बिल न केवल अतार्किक है बल्कि असंवैधानिक भी है, और इससे वक़्फ़ संपत्तियों पर हकदारों का हक समाप्त हो जाएगा। दूसरी महत्वपूर्ण बात उन्होंने यह कही कि केवल प्रतीकात्मक बातों से नीतीश कुमार यह दावा नहीं कर सकते कि वह मुसलमानों के हितेषी हैं बल्कि वक़्फ़ जैसे मुद्दे पर वह अगर भारतीय जनता पार्टी का विरोध नहीं करते तो यह माना जाएगा कि उनकी सारी बातें अर्थहीन हैं। इस इफ्तार पार्टी के फीकी होने के बारे में भी खबरें आई हैं लेकिन बायकॉट की कॉल के बावजूद दो-चार प्रमुख और धार्मिक लोगों ने इसमें शिरकत भी की। ऐसे कौन लोग थे इसकी जानकारी भी सामने आ चुकी है लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या उनके उस इफ्तार पार्टी में शामिल होने से वक़्फ़ संशोधन बिल को रोकने में कोई मदद मिलेगी? जदयू की ओर से अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है कि नीतीश कुमार ने अपने सांसदों से इस बिल का विरोध करने को कहा हो। अगर वक़्फ़ संशोधन बिल पर नीतीश कुमार का रुख नहीं बदलता है तो यही समझा जाएगा कि ऐसे लोगों ने वक़्फ़ संपत्तियों को बचाने के लिए बायकॉट की अपील को नहीं मानकर सही कदम नहीं उठाया। इस दौरान हिंदी के अखबारों के रोल की भी चर्चा जरूरी है क्योंकि नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बायकॉट की प्रेस रिलीज को इन्होंने ब्लैक आउट किया और सरकारी रिलीज को प्राथमिकता से छापा। इन अखबारों की मजबूरी तो समझ में आती है लेकिन यह याद रखना भी जरूरी है कि आठ बड़े मुस्लिम धार्मिक संगठनों की रिलीज को भी इन्होंने क्यों रद्दी की टोकरी में डाला होगा।
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