छ्पी-अनछपी: ट्रंप से बहस के बाद जेलेंस्की को यूरोप का साथ, बर्फ में फंसे चार लोगों की मौत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बहस होने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को यूरोप का साथ मिल रहा है। उत्तराखंड के चमोली के पास बर्फ में फंसे 55 कामगारों में चार की मौत हो गई है। बिहार में सरकारी शिक्षकों की संख्या 5.80 लाख हो गई है।

और, जानिएगा कि अपने सुर बदल चुकीं जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला रशीद से देशद्रोह का मामला कैसे वापस हुआ।

हिन्दुस्तान के अनुसार व्हाइट हाउस में शुक्रवार देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी समकक्ष वोलोदिमिर जेलेंस्की की तीखी बहस हुई। इसके बाद यूरोपीय देश यूक्रेन के समर्थन में उतर आए हैं। जेलेंस्की शनिवार को यूरोपीय नेताओं से वार्ता के लिए ब्रिटेन पहुंचे।

यूक्रेन युद्ध रोकने और खनिज भंडार समझौते पर चर्चा के लिए जेलेंस्की अमेरिका पहुंचे थे। मगर ट्रंप और जेलेंस्की के बीच वार्ता बहस में बदल गई। ट्रंप ने वार्ता को बीच में ही रोक दिया और संयुक्त प्रेसवार्ता भी रद्द कर दी। ट्रंप ने जेलेंस्की को जाने के लिए कहा, जिसके बाद वह व्हाइट हाउस से निकल गए। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष डेर लेयेन, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों , इटली की पीएम मेलोनी, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, पोलैंड के पीएम ने यूक्रेन के सर्मथन में बयान जारी किए।

यूक्रेन की मदद रोकेगा अमेरिका

व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकेयूक्रेनी समकक्ष वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता रोकी जा सकती है। ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, अमेरिका अब यूक्रेन को सैन्य सहायता नहीं देगा। इस अधिकारी ने बहस के तुरंत बाद कहा, हमारी प्राथमिकता शांति वार्ता है। अब हम वास्तविक, स्थायी शांति के बिना किसी दूर के देश में युद्ध के लिए धन नहीं देंगे।

सुरक्षा गारंटी मिले बिना रूस से बात नहीं: जेलेंस्की

जागरण के अनुसार यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने साफ कर दिया है की सुरक्षा गारंटी के बगैर उनके देश रूस के साथ शांति वार्ता नहीं करेगा और ना ही कोई युद्धविराम मानेगा। शुक्रवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई तीखी बहस को जेलेंस्की ने दोनों पक्षों के लिए अच्छा नहीं बताया लेकिन उसके लिए खेद व्यक्त करने से साफ इनकार कर दिया। कहा कि ट्रंप को समझना चाहिए कि यूक्रेन एकाएक रूस के प्रति अपनी सोच नहीं बदल सकता है।

बर्फ में फंसे चार कामगारों की मौत

प्रभात खबर के अनुसार उत्तराखंड के चमोली के पास माना गांव में शुक्रवार को हुए हिमस्खलन में फंसे 55 श्रमिकों में से 50 सुरक्षित निकाल लिए गए हैं। हादसे के दूसरे दिन शनिवार को 17 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकल गया। वहीं हादसे की शाम में शुक्रवार को ही 33 श्रमिकों को बाहर निकलने में सफलता मिली थी। इनमें से चार की मौत इलाज के दौरान हो गई। पांच श्रमिकों की तलाश जारी है। इलाके में भारी बर्फबारी के कारण मौली-बद्रीनाथ हाईवे पर बीआरओ के 55 मजदूर पांच कंटेनर हाउस में रुके थे, तभी बर्फ का पहाड़ खिसक गया और सभी मजदूर इसकी चपेट में आ गए।

बिहार में सरकारी शिक्षक 5.80 लाख

हिन्दुस्तान के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य में सरकारी शिक्षकों की संख्या अब 5.80 लाख हो गई है। सभी शिक्षक अच्छे से बच्चों को पढ़ाएं और उनका विकास करें। शिक्षा मंत्री शिक्षण कार्य पर निरंतर निगरानी रखें। मुख्यमंत्री शनिवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में नवनियुक्त विशिष्ट शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।

बैलट पेपर वापस लाने की बहस

जागरण के अनुसार विधि मंत्रालय ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने संबंधी दो विधेयकों की पड़ताल कर रही संसद की संयुक्त समिति यानी जेपीसी से कहा है कि बैलट पेपर से चुनाव कराने का सवाल उसके दायरे में नहीं आता है। बैलट पेपर पर वापस लौटने का सुझाव संयुक्त संसदीय समिति के कुछ सदस्यों ने दिया था और विधि मंत्रालय को इसका लिखित में जवाब देना था।

बिहार में मार्च में ही आ सकती है जुलसने वाली गर्मी

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में मार्च से ही झुलसा देने वाली गर्मी पड़ सकती है। प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम भाग (बक्सर, आरा, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद और अरवल जिलों) के कुछ जिलों में लू चलने की संभावना है। इसको लेकर मौसम विभाग ने शनिवार को पूर्वानुमान जारी किया है। पूर्वानुमान के अनुसार बिहार का अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा, जबकि मार्च में प्रदेश का सामान्य अधिकतम तापमान 30 से 33 डिग्री और सामान्य न्यूनतम तापमान 15 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है

शहला रशीद के खिलाफ देशद्रोह का मामला वापस

आपको शहला रशीद का नाम याद होगा। वही जो जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष रहीं और प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ जोरदार आवाज उठाती थीं। अब उनका रुख और सुर बदल चुका है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसक बन चुकी हैं और भारतीय जनता पार्टी की हर नीति की समर्थक। वह अब अपने उन साथियों के लिए आवाज नहीं उठातीं जो जेल में बंद हैं। उन्होंने कॉलेज में पढ़ाने की नौकरी कर ली है। जागरण ने उनके बारे में खबर दी है कि दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनुज कुमार सिंह ने अभियोजन पक्ष की ओर से दायर एक आवेदन पर शहला रशीद के खिलाफ दर्ज मामला वापस लेने की अनुमति दे दी है। यह मामला सेवा के खिलाफ ट्वीट से जुड़ा था। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने शहला के खिलाफ मुकदमा चलाने की अपनी मंजूरी वापस ले ली है। शहला पर अपने ट्वीट से विभिन्न समूह के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव के लिए हानिकारक कृत्यों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था।

कुछ और सुर्खियां:

  • सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में दाखिले के लिए सीयूईटी -यूजी आठ मई से एक जून तक
  • बिहार के मनन मिश्र सातवीं बार बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन चुने गए
  • स्काइप पांच मई से हमेशा के लिए हो जाएगा बंद, यूजर माइक्रोसॉफ्ट टीम्स पर ट्रांसफर कर सकते हैं डेटा
  • चैंपियंस ट्रॉफी में इंग्लैंड को हर दक्षिण अफ्रीका सेमी फाइनल में, क्लासेन और डुसैन ने जड़े अर्धशतक

अनछपी: समस्तीपुर के शाहपुर पटोरी के घमौन गांव का 5 साल का हंसता खेलता रामायण कुमार कल अपने मां-बाप को रोता बिलखता छोड़ दुनिया से गुजर गया। और उसकी मौत पटना के एक बड़े सरकारी अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएमसीएच) में तब हुई जब उसे वहां ऑपरेशन से पहले एक सूई लगाई गई। किसी विकसित देश में यह खबर पहले पन्ने की होती लेकिन कुछ अखबारों ने इसे अंदर भी अच्छी जगह दी है। चूंकि बच्चों के मां-बाप ने पोस्टमार्टम करने की इजाजत नहीं दी इसलिए अस्पताल के उस दावे के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता जिसमें यह कहा गया कि ऐसा रिएक्शन 1000 मरीजों में किसी एक को होता है। इस बच्चे के पिता मजदूरी करते हैं। एनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर ओम प्रकाश के अनुसार इस बच्चे का घुटने डिसलोकेट हो गया था जिनका ऑपरेशन कराया गया था। बच्चे को सर्जरी के बाद होने वाले इंफेक्शन से बचाने के लिए और नए ऑपरेशन से पहले Ceftriaxone इंजेक्शन लगाया गया। इंजेक्शन लगते ही बच्चा छटपटाने लगा और उसकी मौत हो गई। अब एनएमसीएच की अधीक्षक प्रोफेसर अलका सिंह कह रही हैं कि मामले की जांच के लिए टीम बनाई जाएगी। यह सूई भी सरकारी दवा कंपनी ने सप्लाई की थी और उस बैच की अस्पताल में बची हुई सभी सूई को हटा लिया गया है और उन्हें जांच के लिए भेजा गया है। मीडिया की जिम्मेदारी है कि उस जांच रिपोर्ट तक पहुंच बनाए और आम लोगों को इसकी जानकारी उससे मिले। इस बात पर जोर देना जरूरी है कि बिहार के लाखों लोग सरकारी अस्पतालों पर भरोसा करके वहां जाते हैं लेकिन उन्हें वहां परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कई बार स्थिति मौत तक पहुंच जाती है। इससे पहले एनएमसीएच में ही एक युवक की लाश से चूहों द्वारा आंख कुतरने की खबर आई थी। अभी कुछ दिनों पहले ही इसी अस्पताल से यह खबर आई थी कि ट्रेन से गिरा एक युवक इमरजेंसी गेट के पास छटपटाता रहा लेकिन उसे सही समय पर इलाज नहीं मिला और उसकी मौत हो गई। ऐसी घटनाओं से उन लाखों लोगों का विश्वास टूटता है जो यहां इलाज के लिए आते हैं। अफसोस की बात यह है कि एक के बाद एक ऐसी घटनाएं होती रहती हैं और सख्त कार्रवाई न होने की वजह से जारी रहती हैं।

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