छपी-अनछपी: कर्नाटक चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर कांग्रेस भारी, मणिपुर हिंसा में 54 की मौत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है और भास्कर अखबार लिखता है कि स्थानीय मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर भारी है जबकि भाजपा को मोदी फैक्टर पर भरोसा है। मणिपुर के हिंसा में 54 लोगों के मारे जाने की खबर को उतनी तवज्जो नहीं दी गई है। बिहार में शिक्षकों की बहाली के लिए हर जिले के लिए सीट तय कर दी गई है इसकी खबर प्रमुखता से छपी है। साथ लगी तस्वीर सासाराम में नहर से नोट के बंडल छानने की है।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: स्थानीय मुद्दों पर कांग्रेस हावी, भाजपा को मोदी फैक्टर पर भरोसा। कर्नाटक में कल यानी 8 मई को विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार थम जाएगा। वोटिंग 10 मई को होगी और नतीजे 13 मई को आएंगे। पूरे प्रचार के दौरान भाजपा पर 40% कमीशन खोरी का आरोप लगाने में सफल रही कांग्रेस के सिद्धारमैया- डीके शिवकुमार की जोड़ी निखर कर सामने आई है। वे लगातार स्थानीय मुद्दे पर भाजपा को घेरे हुए हैं। दूसरी ओर, टिकट वितरण से बगावत, नेतृत्व को लेकर आशंका, पुराने नेताओं का पार्टी छोड़ जाना और डगमगाए लिंगायत समर्थन के बीच भाजपा की उम्मीद मोदी फैक्टर और बजरंगबली का मुद्दा उठने के बाद हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण से है। कर्नाटक में लिंगायत और मुस्लिम वोटर 17-17% हैं। 14% वोटर वोकालिगा है जबकि 32% एससी-एसटी वोटर हैं। कुरबा वोटर 9.5% हैं।

कर्नाटक, पीएफआई और अमित शाह

हिन्दुस्तान की खबर है: पीएफआई के एजेंडे पर काम कर रही कांग्रेस: अमित शाह। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने शनिवार को कांग्रेस पर प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एजेंडे पर काम करने का आरोप लगाया। कर्नाटक के लोगों से विपक्षी दल को वोट नहीं देने का आग्रह किया। कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि इसने स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व विचारक वी डी सावरकर के साथ ही भगवान हनुमान का भी अपमान किया है।

मणिपुर में 54 की मौत

मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। वहीं गैर आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और 150 से अधिक घायल हुए हैं। इंफाल घाटी में शनिवार को जनजीवन सामान्य होता नजर आया। बाजार खुले और सड़कों पर आवाजाही नजर आई। इस बीच राज्य में ‘नीट-यूजी’ परीक्षा स्थगित कर दी गई है, जिसकी नई तिथि जल्द घोषित की जाएगी। वहीं, सेना व असम राइफल्स ने अब तक चुराचांदपुर, इंफाल और मोरेह से 16 हजार से अधिक प्रभावित लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है।

टीचर बहाली के लिए जिलावार संख्या तय

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जिलावार पद तय। जागरण की सबसे बड़ी खबर भी यही है: शिक्षकों के रिक्त पदों का जिलेवार आवंटन। विद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर जिलावार पद तय हो गया है। इन्हें संबंधित जिलों को आवंटित भी कर दिया गया है। अब जिलों को आवंटित पद पर सीधी नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लीयरेंस के साथ कैटेगरी के हिसाब से आरक्षण की जानकारी मांगी गयी है। कक्षा 9 से 12 वीं तक के विद्यालय अध्यापक के लिए विषयवार आरक्षण रोस्टर का रिकॉर्ड जिला स्तर पर रखा जाएगा। सूबे में 1.78 लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है।

ब्रिटेन में ताजपोशी

भास्कर की सुर्खी है: ब्रिटेन में 70 साल बाद राजतिलक, बूंदाबांदी में डटे रहे 20 लाख लोग। हिन्दुस्तान ने लिखा है: ब्रिटेन किंग चार्ल्स तृतीय ने 360 वर्ष पुराना ताज पहना। ब्रिटेन में शनिवार को किंग चार्ल्स तृतीय का राज्याभिषेक धूमधाम से हुआ। कैंटरबरी के आर्कबिशप ने राजा को 360 साल पुराना ताज पहनाया। ऐसा आयोजन 70 साल के अंतराल के बाद हुआ है, इससे पहले ऐसी शाही परंपरा आखिरी बार 1953 में दिवंगत क्वीन के लिए देखी गई थी। किंग चार्ल्स और उनकी पत्नी कैमिला ने बकिंघम पैलेस से वेस्टमिंस्टर एबे चर्च तक की यात्रा (2.2 किलोमीटर) की, जिसे 2012 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के लिए कमीशन किया गया था। आर्चबिशप ने उनके राजा बनने की घोषणा की, इसके बाद चार्ल्स ने ईसाईयों की पवित्र किताब पर हाथ रखकर शपथ ली।

सूडान में शांति की कोशिश

हिन्दुस्तान की खबर है: सूडान में दोनों पक्षों ने शुरू की वार्ता। सूडान में 15 अप्रैल से सेना और अर्द्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच चल रहे खूनी संघर्ष के बाद पहली बार शनिवार को दोनों पक्षों में वार्ता शुरू हुई। वार्ता सऊदी अरब में हो रही है। वार्ता की मध्यस्थता अमेरिका और सऊदी अरब कर रहे हैं। वार्ता का मकसद तीन सप्ताह से सूडान में चल रहे खूनी संघर्ष को रोकना है। अमेरिका और सऊदी अरब ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि दोनों पक्षों में लड़ाई छिड़ने के बाद पहली बार सेना और आरएसएफ के प्रतिनिधियों ने सऊदी अरब के तटीय शहर जेद्दा में वार्ता शुरू की है।

सासाराम में नाले में बहते नोट

सासाराम शहर के मुरादाबाद पुल के पास सोन नहर में फेंके गए रुपयों के बंडल को देख लोगों में लूटने की होड़ मचने की खबर सभी जगह है। शनिवार को नहर के पानी में रुपयों के बंडल बह रहे थे। यह बात अचानक आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते सैकड़ों लोग नहर में कूद पड़े और रुपयों के बंडल लूटने लगे। नहर में रुपयों से भरी बोरी कहां से आई, इस संबंध में किसी को कुछ पता नहीं है। हर दिन की तरह शनिवार की सुबह भी बच्चे नहर तट पर खेल रहे थे। उसी समय उनकी नजर रुपयों के बंडलों पर पड़ी। उनके शोर मचाने पर स्थानीय लोग जमा हो गए। नहर में 500, 200, 100 व 10 रुपये के बंडल थे।

कुछ और सुर्खियां

  • हादसे: नालंदा में दूल्हा-दुल्हन, वैशाली में एक परिवार के चार की मौत
  • नीट आज, बिहार में 170 केंद्रों पर 1.07 लाख परीक्षार्थी
  • मणिपुर जल रहा, पीएम के पास संवेदना के दो शब्द नहीं: लालू
  • बिना मान्यता के चल रहे 500 निजी आईटीआई
  • 9 मई को ओडीशा जाएंगे नीतीश, सीएम नवीन पटनायक से मिलेंगे
  • 25 लाख छात्राओं की प्रोत्साहन राशि में देरी क्योंकि विभाग के पास पैसे नहीं
  • लालू के साले सुभाष समेत सात पर जमीन धोखाधड़ी में केस
  • भारत में मोस्ट वांटेड खालिस्तान कमांडो फोर्स का चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ लाहौर में मारा गया, बाइक सवार हमलावरों ने मारी गोली

अनछपी: कर्नाटक चुनाव और मणिपुर की हिंसा हमें बताती है कि चुनाव जीतना कितना असंवेदनशील काम हो गया है। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने सवाल किया है कि मणिपुर की हिंसा पर प्रधानमंत्री क्यों कुछ नहीं बोल रहे। यह सवाल इसलिए वाजिब है कि वे कर्नाटक में लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं और इधर मणिपुर में 54 से ज्यादा लोग वहां की हिंसा में मारे गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह भी कर्नाटक में बयान देने में लगे हुए हैं लेकिन मणिपुर की स्थिति पर उनका कोई बयान सामने नहीं आया है। यह जरूर है कि उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक कर मणिपुर हिंसा की समीक्षा की है लेकिन जो बयान वह कर्नाटक में दे रहे हैं उससे राजनीति की असंवेदनशीलता और महत्वपूर्ण मुद्दों की परवाह न करना उजागर होता है। अमित शाह ने कांग्रेस पर पीएफआई के एजेंडे पर चलने का आरोप लगाया लेकिन इसके लिए उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया। इसी तरह जब कांग्रेस ने बजरंग दल पर पाबंदी लगाने की बात की तो प्रधानमंत्री मोदी ने इसे बजरंगबली पर पाबंदी से जोड़ दिया। इस तरह के बयानों को लेकर चुनाव आयोग के रोल पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुल्लम-खुल्ला चुनाव के लिए बजरंग बली जैसी धार्मिक बातों का सहारा ले रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। दूसरी ओर चुनाव आयोग ने कांग्रेस को नोटिस दिया है कि वे 40% कमीशन खोरी के बारे में सबूत पेश करें। रोचक बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर 80% कमीशन खोरी का आरोप लगाया तो उनसे चुनाव आयोग ने इसका कोई सबूत नहीं मांगा। राजनीति के जानकारों का कहना है कि कर्नाटक में कांग्रेस स्थानीय मुद्दों पर भाजपा पर भारी पड़ रही है इसीलिए भाजपा के नेता ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जिससे धार्मिक ध्रुवीकरण करने में आसानी हो।

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