छ्पी-अनछ्पी: नीतीश ने दोहरायी विशेष दर्जे की मांग, धार्मिक जुलूसों में लाठी-डंडे-डीजे पर रोक
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के लिए एक बार फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है। इस खबर को सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। धार्मिक जुलूस के दौरान होने वाली गड़बड़ी के मद्देनज़र अब लाठी डंडे ले जाने पर भी पाबंदी लगाई गई है। इस खबर को भी अच्छी जगह मिली है।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बिहार को विशेष दर्जा केंद्र दे, नहीं तो अभियान: सीएम। जागरण ने लिखा है: विशेष दर्जा के लिए फिर अभियान। प्रभात खबर की सुर्खी है: केंद्र दे विशेष राज्य का दर्जा नहीं तो चलाएंगे अभियान: सीएम। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की फिर से मांग की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिहार को विशेष दर्जा दे, नहीं तो इसको लेकर अभियान चलायेंगे। “हर जगह यही मांग दोहरायी जाएगी। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दो, यही कैंपेन चलेगा। एक-एक जगह अभियान चलेगा। अगर केन्द्र बिहार को विशेष दर्जा नहीं देगा तो इसका मतलब है कि वे बिहार का विकास नहीं करना चाहते हैं।” मुख्यमंत्री गुरुवार को बापू सभागार में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत आयोजित एक दिवसीय उन्मुखीकरण एवं प्रथम किस्त वितरण समारोह के दौरान लोगों को संबोधित कर रहे थे।
धार्मिक जुलूस में पाबंदी
जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: धार्मिक जुलूस में नारेबाजी पर रोक। धार्मिक जुलूसों और शोभा यात्राओं में तेज आवाज वाले डीजे और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल अब नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा उत्तेजक एवं भड़काऊ गाने बजाने, नारेबाजी और हथियारों के प्रदर्शन पर भी रोक लगा दी गई है। गृह विभाग ने इस बाबत सभी जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिखकर आदेश का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। धार्मिक जुलूस और शोभा यात्राओं के दौरान लाठी, भाला, तलवार और आग्नेयास्त्र समेत अन्य हथियारों के प्रदर्शन पर भी रोक लगेगी। सिख समुदाय को भी शोभा यात्रा के दौरान कृपाण को छोड़कर अन्य किसी भी हथियार को ले जाने या प्रदर्शन करने पर रोक लगेगी।
लाउडस्पीकर केवल भीड़ नियंत्रण के लिए
गृह विभाग के नए आदेश के अनुसार लाउडस्पीकर का उपयोग अब केवल जुलूस नियंत्रण के लिए किया जाएगा। इसके लिए भी हर लाउडस्पीकर के लिए जिला प्रशासन से अलग से लाइसेंस जारी किया जाएगा। हर लाइसेंस में इलाके के अनुसार आवाज की सीमा यानी डेसीबल स्पष्ट रूप से अंकित होगा। जुलूस नेतृत्व यह सुनिश्चित कराएगा कि लाइसेंस में दर्ज डेसीबल से अधिक आवाज में लाउडस्पीकर या डीजे आदि का इस्तेमाल नहीं होगा।
छठ के लिए 25 करोड़
छठ महापर्व के लिए राज्यभर के सभी 261 नगर निकायों में 4050 घाटों को तैयार किया जा रहा है। 465 घाट खतरनाक श्रेणी में रखे गए हैं। यहां खासतौर से बैरिकेडिंग की गई है। खतरे के निशान के लिए लाल कपड़ा एवं साइनेज का प्रयोग किया गया है। सभी घाटों तक आने वाली छठ व्रतियों के लिए लाइट, घाट तक पहुंचने के लिए समुचित रास्ता, पार्किंग, चेंजिंग रूम, अस्थाई शौचालय, वाटर टैंकर समेत अन्य सभी मूलभूत सुविधाएं बहाल की जा रही हैं। सभी नगर निकायों के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग ने 25 करोड़ 51 लाख रुपए जारी किये हैं। इसमें पटना नगर निगम क्षेत्र के लिए 15 करोड़ 50 लाख रुपये जारी किए हैं। पिछले वर्ष 2022 में छठ महापर्व की तैयारी के लिए 15 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।
दक्षिणी ग़ज़ा भी खाली करवा रहा इसराइल
उत्तरी गजा में इसराइल द्वारा की जा रही सैन्य कार्रवाई के बाद अब सेना दक्षिणी गजा में भी मिशन शुरू करने को तैयार है। यहां सेना ने हवा से अरबी भाषा में पर्चे गिराकर खान यूनिस इलाका खाली करने का फरमान सुनाया है। इनमें लिखा है कि जो भी हमास के नेताओं या उनके कमांड सेंटर के आस-पास मौजूद है वो अपनी जान जोखिम में डाल रहा है। इसराइल ने दक्षिणी गजा में व्यापक अभियानों के संकेत दिए हैं क्योंकि अस्पताल की खोज से अभी तक हमास के अड्डे का पता नहीं चला है। इसराइल के इस कदम से फलस्तीनी नागरिक दहशत में हैं। दक्षिण गजा में लाखों लोग शरण लिए हुए हैं, जिन्हें पहले इसराइल ने पर्चे गिराकर उत्तरी गजा खाली करने का आदेश दिया गया था। अल शिफा अस्पताल की जांच के दौरान इसराइली सेना को हमास के केंद्रीय कमांड सेंटर के सबूत नहीं मिले है।
कुछ और सुर्खियां
- वैशाली एक्सप्रेस में बीड़ी फूंकने से भड़की आग, 21 झुलसे
- मध्य प्रदेश की 230, छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण की 70 सीटों पर वोटिंग आज
- दक्षिण अफ्रीका को तीन विकेट से हरा आस्ट्रेलिया विश्व कप क्रिकेट के फाइनल में, 19 को भारत से भिड़ंत
- नहाय खाय के साथ आज से छठ पर्व शुरू
- बिहार में अब तक लग चुके हैं 22 लाख स्मार्ट बिजली मीटर
अनछपी: बिहार में धार्मिक जुलूसों के दौरान फैलाई जाने वाली गड़बड़ियों के मद्देनजर नया आदेश जारी किया गया है ताकि जुलूस में भड़काऊ गाने नहीं बजें और हथियारों का प्रदर्शन न हो। ऐसा नहीं है कि पहले इन बातों पर पाबंदी नहीं थी लेकिन उन पर अमल कम ही होता है। सच्चाई यह है कि बिहार में या अन्य जगहों पर धार्मिक जुलूसों को नियंत्रण में लेकर चलना प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती रहती है। इसकी वजह यह है कि धार्मिक जुलूस वाले सारे नियमों की धज्जियां उड़ा देते हैं। उदाहरण के लिए अगर विसर्जन जुलूस हो तो यह तय तिथि के कई दिनों के बाद भी निकाला जाता है। इससे प्रशासन लगातार तनाव में बना रहता है। इसके अलावा जुलूस के दौरान बड़े-बड़े साउंड बॉक्स लगाए जाते हैं जिससे इतनी तेज आवाज निकलती है कि वाकई में कलेजा कांप जाता है। तेज आवाज से दिल के मरीजों को होने वाले नुकसान का अंदाजा होने के बावजूद इस पर पाबंदी नहीं लग पाती है। आवाज के बाद इन लाउडस्पीकरों से ऐसे नारे लगाए जाते हैं जिससे आसानी से सांप्रदायिक नफरत फैलती है। धार्मिक जुलूस के दौरान झगड़ा का सबसे बड़ा कारण भड़काऊ नारेबाजी होती है। अब प्रशासन का कहना है कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सिर्फ जुलूस को नियंत्रित करने के लिए होगा। प्रशासन ने नियम तो बहुत बनाए हैं लेकिन देखना यह है कि इस पर कितना अमल हो पता है। उदाहरण के लिए दिवाली के दौरान पटाखों पर पाबंदी की बात तो कही गई लेकिन इसकी धज्जियां उड़ा दी गईं और प्रशासन देखता रह गया। जुलूस के दौरान लाठी डंडे ले जाने पर भी पाबंदी रहेगी। यह भी देखने की बात होगी कि इस पर कितना अमल हो पता है। पुलिस की सुरक्षा में निकाले जा रहे धार्मिक जुलूसों के दौरान लाठी-डंडों, तलवारों और हथियारों की जरूरत क्यों पड़ती है यह समझना मुश्किल है। इन हथियारों के मौजूद रहने से हिंसा की आशंका प्रबल रहती है। अगर सरकार अपने नए निर्देशों पर अमल कराने में कामयाब होती है तो धार्मिक जुलूसों के दौरान होने वाली गड़बड़ियों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।
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