छ्पी-अनछ्पी: हर तरफ भारत की जीत की धूम, रोहतास में भीड़ ने दो हत्यारों को मार डाला

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। विश्व कप क्रिकेट के सेमीफाइनल में भारत की जीत की धूम है। मोहम्मद शमी के सात विकेट और इससे पहले लगाए गए विराट कोहली के शतक की चर्चा सभी अखबारों में है। रोहतास में एक पूर्व सैनिक की हत्या कर भाग रहे तीन अपराधियों में से दो को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। इसकी खबर भी पहले पेज पर है।

प्रभात खबर की पहली खबर है: कोहली के रिकॉर्ड 50वें शतक के बाद शमी के आगे न्यूजीलैंड का सरेंडर, भारत फाइनल में। जागरण की सुर्खी है: शमी’फाइनल में विराट विजय। भास्कर ने लिखा है: मेरा भारत विराट। हिन्दुस्तान की हेडलाइन है: विराट विजय के साथ टीम इंडिया फाइनल में। भारत ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए विश्वकप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को 70 रनों से मात देकर 2019 के सेमीफाइनल की हार का बदला ले लिया। यह मैच विराट कोहली के लिए खास रहा, जिसमें उन्होंने वनडे में शतकों का अर्धशतक पूरा करके सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ा। वहीं, मोहम्मद शमी ने सात विकेट लेकर गेंदबाजी में फिर से कमाल दिखाया। मोहम्मद शमी ने विश्वकप में अपने 50 विकेट भी पूरे कर लिए। इसके लिए उन्होंने महज 17 पारियां लीं, जो टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे तेज है।

चौथी बार फाइनल में

पहले खेलते हुए भारत ने ताबड़तोड़ शुरुआत की। विराट कोहली (117) और श्रेयस अय्यर (105) के धुआंधार शतकों की बदौलत भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड के सामने जीत के लिए 398 रन का लक्ष्य रखा था। लक्ष्य का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड की पूरी टीम 48.5 ओवर में 327 रन बनाकर आउट हो गई। डेरिल मिचेल ने शानदार 134 रन बनाए। भारत ने चौथी बार वनडे विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई।

पूर्व सैनिक की जान लेने वालों को मार डाला

रोहतास जिले के सूर्यपुरा थाना क्षेत्र के कल्याणी गांव के समीप बुधवार की सुबह तीन अपराधियों ने सेवानिवृत्त फौजी विजेंद्र सिंह की गोली मार हत्या कर दी। हत्या के बाद गुस्साई भीड़ ने तीनों अपराधियों को खदेड़कर पकड़ लिया और बेरहमी से पिटाई कर दी। जिससे दो की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि एक की पुलिस अभिरक्षा में बिक्रमगंज के अस्पताल में इलाज चल रहा है। पुरानी रंजिश में विजेंद्र की हत्या की बात सामने आ रही है।

बस खाई में गिरी, 38 की जान गई

जम्मू-कश्मीर के डोडा में बुधवार को एक बस तीन सौ फुट गहरी खाई में गिर गई। हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटना पर दुख जताया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि बस लगभग 40 यात्रियों को ले जा रही थी। मरने वालों में दो बिहार के यात्री थे।

ट्रेन में आग, 18 झुलसे

दिल्ली से दरभंगा जा रही स्पेशल ट्रेन की डिब्बों में बुधवार शाम भीषण आग लग गई। इटावा में सराय भूपत स्टेशन के पास एस-वन कोच में चिंगारी उठी जो देखते ही देखते लपटों में बदल गई। यात्रियों ने कूदकर जान बचाई। आठ यात्री झुलस कर घायल हो गए जबकि भगदड़ में 18 यात्री घायल हुए। एस-वन व एसएलआर कोच जलकर खाक हो गए।

जनजाति के साथ अन्याय का आरोप

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: जनजातियों से होता रहा अन्याय: पीएम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों ने जनजातीय समुदायों की उपेक्षा की है। उनके साथ अब तक अन्याय होता रहा। पहले की सरकारों ने आदिवासियों का सिर्फ आकड़ा इकट्ठा किया। हम उन्हें उनका हक देने का प्रयास कर रहे हैं। यह बातें उन्होंने जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर बुधवार को झारखंड के खूंटी जिले के कुलियलों में बिरसा मुंडा की जन्मस्थली पर संबोधन के दौरान कहीं।

बिहार के 72 लाख किसानों को मदद

बिहार के 72 लाख 39 हजार 973 किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि की 15वीं किस्त मिली है। इन किसानों के खातों में 1607 करोड़ 91 लाख 94 हजार रुपये भेजे गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को झारखंड के खूंटी में आयोजित बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम में बटन दबाकर किस्त की राशि जारी की। हर किसान को दो हजार रुपये मिले हैं।

इसराइल अल शिफा अस्पताल में

इसराइल-हमास संघर्ष के 40वें दिन इसराइली सेना ने गजा के सबसे बड़े अस्पताल अल-शिफा में प्रवेश कर लिया। यहां सेना ने 16 साल और इससे ऊपर की उम्र के सभी पुरुषों को सिर पर हाथ रखकर आत्मसमर्पण करने को कहा। इसराइल शुरू से दावा करता रहा है कि अस्पताल के नीचे हमास का मुख्यालय है। इस अस्पताल में हजारों विस्थापित और मरीज शरण लिए हुए हैं। अस्पताल में प्रवेश करते ही इसराइली सैनिकों ने लाउडस्पीकर पर कहा कि अस्पताल के अंदर शरण लिए हुए 16 साल और उससे अधिक उम्र के लोग अपने हाथ उठाएं और बाहर आ जाएं। कुछ समय बाद ही करीब एक हजार पुरुष सिर पर हाथ रखकर अस्पताल प्रांगण में जमा हो गए।

कुछ और सुर्खियां

  • नहाए खाए के दिन दिल्ली-पटना का हवाई किराया 39 हज़ार रुपये
  • 12 साल बाद प्रचार के 173 पदों के लिए निकली वैकेंसी 31 जनवरी तक आवेदन
  • सोनपुर मेला 32 दिनों तक चलेगा, विदेशियों के लिए 20 स्विस कॉटेज
  • बिहार में 4.38 प्रतिशत महंगी हो सकती है बिजली
  • सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय के निधन के बाद 25 हज़ार करोड़ रुपए की चर्चा

अनछ्पी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय रांची दौरे के दौरान आदिवासियों के कल्याण की बात की और पुरानी सरकारों पर इल्जाम लगाया। बुधवार को बिरसा मुंडा की जयंती पर खूंटी में जनजातीय गौरव दिवस समारोह पर आयोजित सभा को भी उन्होंने संबोधित किया। सभा से पहले श्री मोदी बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू गए और उनके वंशजों से मुलाकात की। उन्होंने खूंटी से विकसित भारत संकल्प यात्रा का शुभारंभ किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने देश भर के 220 जिलों के 75 कमजोर आदम जनजातीय समूह के लिए कुल 24000 करोड़ की योजनाओं का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची में बतौर प्रधानमंत्री अच्छी योजनाओं की शुरुआत की लेकिन बतौर नेता उन्होंने वही काम किया जो विपक्ष में रहते हुए वह करते थे। 9 साल सरकार चलाने के बावजूद उनके भाषण का बड़ा हिस्सा पिछली सरकारों की कमजोरी बताने पर केंद्रित था। हालांकि ऐसा नहीं है कि पहले की सरकारों ने आदिवासियों के विकास के लिए कोई कार्यक्रम नहीं बनाया हो। प्रधानमंत्री ने अभी आदिवासियों के लिए जिन योजनाओं का शुभारंभ किया वह एक अच्छी बात है लेकिन अब से कुछ महीनों और सालों के बाद उसके बारे में भी यह देखना जरूरी होगा कि उसका कितना असर आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने में हुआ। ध्यान रखने की बात यह है कि आदिवासियों का विकास सिर्फ पैसे से नहीं हो सकता बल्कि उनकी जो मांगें हैं उन पर भी ध्यान देना जरूरी है। उदाहरण के लिए झारखंड को बिहार से इसी बात पर अलग किया गया था कि वहां के स्थानीय लोगों का जीवन सुधरेगा लेकिन क्या ऐसा हो सका? इस दौरान केंद्र में नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार रही है और राज्य में भी भाजपा का शासन रहा है। इसलिए आदिवासियों की स्थिति के लिए भारतीय जनता पार्टी अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती। आदिवासियों से यह पूछा जाना चाहिए कि उनकी समस्याएं क्या हैं लेकिन सरकार ऐसा नहीं करतीं। उन सरकारों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी शामिल है। उदाहरण के लिए आदिवासी चाहते हैं कि उन्हें अपने घरों से नहीं हटाया जाए लेकिन झारखंड में कारखाना बनाने के नाम पर आदिवासियों को बड़े पैमाने पर विस्थापित किया गया है। आदिवासी महिलाओं को दूसरे शहरों में छोटे-मोटे काम करते देखा जा सकता है, इस पलायन की वजह क्या है? यह बात तो सबको मालूम होगी कि आदिवासियों की गरीबी के कारण ही उन्हें बाहर जाकर काम करना पड़ता है। सवाल यह है कि इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या किया जाना चाहिए? इसी तरह आदिवासी समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी संघर्षरत है। आदिवासियों की लंबे समय से सरना कोड की मांग रही है, क्या उस पर नरेंद्र मोदी की सरकार ध्यान देगी? जरूरत इस बात की है कि आदिवासियों की मूल समस्याओं को उनकी जबान से सुना जाए और उनके हल के उपाय किए जाएं।

 

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