छ्पी-अनछपी: ग़ज़ा बॉर्डर पर इसराइल का क़ब्ज़ा, बिहार में 10 लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे कोचिंग सेंटर्स में

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। ग़ज़ा बॉर्डर पर इसराइल के क़ब्ज़े और दूसरी संबंधित खबरें आज भी अखबारों में भरी पड़ी हैं।  साथ लगा झंडा फलस्तीन का है।एक अंदाज़े के मुताबिक बिहार में 10 लाख स्टूडेंट्स कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे हैं इसकी जानकारी को प्रभात खबर ने प्रमुखता दी है।

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है: ग़ज़ा सीमा पर इसराइल का कब्जा, अब संसद व मंत्रालय निशाने पर। इसराइल की सेना ने हमास के साथ जंग के चौथे दिन मंगलवार को ग़ज़ा सीमा पर पूरी तरह से कब्ज़े का ऐलान किया। इसराइली सेना ने घोषणा कर बताया कि उसने ग़ज़ा सीमा पर कब्जा कर उसे पूरी तरह से सील कर दिया है। इधर हमास की सैन्य शाखा के प्रवक्ता अबू ओबैद ने धमकी दी है कि बिना किसी पूर्व चेतावनी के इसराइल ग़ज़ा के नागरिकों को जब-जब निशाना बनाएगा तब तब वह एक-एक इसराइली बंधक की हत्या कर देगा।

खाने-पीने की मोहताजी

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: इसराइली स्ट्राइक से छलनी, खाने पीने को मोहताज। इसराइल ने ग़ज़ा की सीमाओं को सील कर दिया है। इससे दुनिया भर की मदद पर निर्भर यहां के 23 लाख लोगों को बिजली, पानी, राशन, ईंधन और दवाइयों के संकट से जूझना पड़ेगा। ग़ज़ा की हवाई और ज़मीनी सीमा इसराइल के नियंत्रण में है। ग़ज़ा की 80% आबादी मानवीय मदद पर निर्भर है। ग़ज़ा की सप्लाई काटे जाने पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है।

भारत इसराइल के साथ

हिन्दुस्तान की खबर है: नेतन्याहू ने फोन किया, मोदी बोले- भारत इसराइल के साथ। इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के हमले और जवाबी हमलों की कार्रवाई के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफोन पर बात की। इस दौरान उन्होंने मोदी को मौजूदा स्थितियों से अवगत कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों की पुरजोर और कड़ी निंदा करता है। बातचीत के बाद मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, मैं प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा मौजूदा हालात का ब्योरा देने के लिए उन्हें शुक्रिया देता हूं। भारत की जनता इस मुश्किल घड़ी में इसराइल के साथ मजबूती से खड़ी है। पीएम ने आतंकी हमलों के परिणामस्वरूप मारे गए और घायल हुए लोगों के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि भारत के लोग इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।

10 लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे कोचिंग सेंटर्स में

प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: 10 लख स्टूडेंट्स पढ़ रहे कोचिंग में ₹15000 करोड़ का बाजार। बिहार के 12736 निजी कोचिंग संस्थानों में 10 लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग को यह आंकड़ा रजिस्टर्ड कोचिंग संस्थानों से मिला है। यह आंकड़े कक्षा 6 से लेकर सभी तरह की प्रतियोगी स्पर्धाओं की तैयारी करने वाली कोचिंग संस्थानों के हैं। फिलहाल आंकड़े बताते हैं कि बिहार कोचिंग के बड़े बाजार में तब्दील हो चुका है। जानकारों के मुताबिक निजी कोचिंग संस्थान का अनुमानित सालाना बाजार करीब 14000 से 15000 करोड़ रुपए का है।

एसएसबी जवान समेत दो गिरफ्तार

जागरण की सबसे बड़ी खबर है कि बिहार पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में अब तक चार जिलों के चार पुलिसकर्मियों की भूमिका संदेह की घेरे में आ चुकी है। इसमें गया नालंदा दरभंगा के तीन और एक पटना का बताया जा रहा है। एक सिपाही कमलेश कुमार को कंकड़बाग थाने की पुलिस पहले ही नालंदा से गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है जो गया का निवासी है। उधर प्रश्न पत्र लीक मामले में दानापुर पुलिस ने मंगलवार को मनेर से बिहटा के आनंदपुर निवासी अजय कुमार उर्फ दीपक और दुल्हिन बाजार से रमेश कुमार उर्फ अनुराग को गिरफ्तार किया है। अजय एसएसबी का जवान है। दोनों से आठ मोबाइल बरामद किए गए हैं।

90 हज़ार आशा कर्मियों का मानदेय बढ़ेगा

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर में बताया गया है कि बिहार की 90 हजार से अधिक आशा कार्यकर्ताओं को राज्य सरकार की ओर से एक हजार के बदले ढाई हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। अभी आशा कार्यकर्ताओं को एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के तहत केंद्र सरकार दो हजार तो बिहार सरकार एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देती है। इसी के तहत बिहार सरकार ने राज्यांश को एक हजार से बढ़ाकर ढाई हजार करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की ओर से केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में आशा कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में वृद्धि करने की मांग की गई है।

न्यूज़क्लिक के संस्थापक 10 दिन की न्यायिक हिरासत में

समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को अदालत ने मंगलवार को 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उन्हें गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम (यूएपीए) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।आरोप है कि चीन के पक्ष में प्रचार करने के लिए समाचार पोर्टल को विदेश से पैसे मिले थे। अभियोजन की दलील पर पुरकायस्थ के वकील ने कहा, उन पर कोई मामला नहीं बनता है।

कुछ और सुर्खियां

  • खगड़िया के पूर्व विधायक रणवीर यादव को रंगदारी के मामले में 3 साल की सजा
  • ईडी ने ज़ब्त की की पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा की 15 बेनामी संपत्तियां
  • मणिपुर में युवक को जिंदा जलाने का वीडियो वायरल सीबीआई जांच होगी
  • अमित शाह 5 नवंबर को मुजफ्फरपुर में सभा करेंगे
  • आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह के आवास पर ईडी का छापा
  • धान खरीद 1 नवंबर से, साधारण धान 2183 रुपए क्विंटल
  • बिहार में तेज आवाज वाले पटाखों पर लगी पाबंदी

अनछपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बातचीत में इसराइल के लिए इकतरफा समर्थन जताकर भारत की जो छवि बनाई है उससे ऐसा लगता है कि इसे फलस्तीन के लोगों के साथ जो ज़ुल्म व ज़्यादती हो रही है, उससे कोई मतलब नहीं। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी बिल्कुल चिंता नहीं कि भारत की छवि एक इंसाफ़ पसन्द देश की बने। क्या इसराइल का खुलकर और इकतरफ़ा समर्थन करने के बाद भारतीय विदेश नीति की स्वतंत्रता धूमिल नहीं हुई है? इसराइल के साथ हमदर्दी जताने की मजबूरी तो समझ में आती है लेकिन इस मौके पर फलस्तीन के लोगों को पूरी तरह से भुला देना और इसराइल से शांति की बात न करना समझ से परे है। यह बात किसे नहीं पता कि फलिस्तीनियों को उनकी अपनी जमीन से बेदखल कर इसराइल की स्थापना की गई और दिन-ब-दिन कब्जा करते हुए उन्हें फलस्तीन के मूल निवासियों को पट्टी तक सीमित कर दिया गया है। अभी तक हमारे पास ऐसी सूचना नहीं आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फलस्तीन के लोगों के मारे जाने पर भी कोई सहानुभूति प्रकट की हो। क्या गांधी के नाम पर चलने वाले इस देश की यह नीति सही है? ऐसा नहीं है कि भारत सरकार पहली बार फलस्तीनियों की अनदेखी कर रही है लेकिन पहले जो लोग लाज की वजह से फलस्तीनियों के प्रति हमदर्दी जताई जाती थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस लोक लाज को भी, ऐसा लगता है, भुला दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वसुदधैव कुटुंबकम और विश्व गुरु होने की बात करते हैं लेकिन क्या इस भूमिका में फलस्तीनों के प्रति उनकी बेरुखी सही मानी जाएगी? विश्व गुरु बनने की चाहत रखने वाले भारत की नीति शायद यह सही होती कि वह इसराइल में मारे गए लोगों के साथ-साथ फलिस्तीन में मारे गए लोगों के प्रति भी हमदर्दी जताई जाती। भारत के लिए अब भी सही नीति यही मालूम होती है कि वह इसराइल का इकतरफा समर्थन करने की बजाय उसे इलाके में शांति के प्रयास को समर्थन दे और फलस्तीनियों के साथ इंसाफ की बात भी उठाए।

 

 

 

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